पूर्णिया : भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय की छात्रा रही उषा कुमारी ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नयी दिल्ली में शोध कार्य के लिए चयनित होकर न केवल अपने कॉलेज का मान बढ़ाया है, बल्कि राष्ट्रीय फलक पर भी अपनी पहचान दर्ज करायी है. किसान पुत्र की बेटी उषा ने आर्थिक विपन्नता और संघर्ष के बीच जो ऊंची छलांग लगायी है, वह कम ही लोगों को नसीब हो पाता है.
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कृषि कॉलेज की पूर्व छात्रा ने राष्ट्रीय फलक पर भरी ऊंची उड़ान
पूर्णिया : भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय की छात्रा रही उषा कुमारी ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नयी दिल्ली में शोध कार्य के लिए चयनित होकर न केवल अपने कॉलेज का मान बढ़ाया है, बल्कि राष्ट्रीय फलक पर भी अपनी पहचान दर्ज करायी है. किसान पुत्र की बेटी उषा ने आर्थिक विपन्नता और संघर्ष के […]
गौरतलब है कि उषा कृषि महाविद्यालय के प्रथम सत्र वर्ष 2011-15 की छात्रा रही है. कॉलेज के शिक्षकों की मानें तो उषा आरंभिक काल से ही मेधावी थी और खास बात यह थी कि वह हमेशा ऊंची उड़ान भरने की सपने देखा करती थी. उषा की यह सफलता कॉलेज के अन्य छात्र-छात्राओं के लिए नजीर बन गया है और छात्र-छात्राओं समेत शिक्षकों में भी हर्ष व्याप्त है.
अभावों के बीच पली-बढ़ी है उषा : उषा मूल रूप से सीतामढ़ी जिले के सुपैना गांव की रहने वाली है. उषा के पिता चेत नारायण भगत पेशे से किसान हैं. वहीं मां पूनम देवी घरेलू महिला हैं. पिता के छोटे जोतदार किसान होने की वजह से उषा का बचपन अभावों के बीच ही गुजरा था. लेकिन अपने नाम के अनुरूप बचपन से ही उषा अपने घर में नयी सुबह को अपने साथ लेकर आने की आहट का एहसास परिजनों को कराती रही, लिहाजा पिता श्री भगत ने अपनी बेटी को पढ़ाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. इसी का परिणाम रहा कि उषा का चयन वर्ष 2011 में कृषि महाविद्यालय में हुआ. उसके बाद उषा ने अपने चार वर्ष के कैरियर में पीछे मुड़ कर नहीं देखा और छात्र-छात्राओं की भीड़ में अपनी खुद की पहचान बनायी.
स्नातकोत्तर के बाद पीएचडी में मिला दाखिला
कहते हैं कि अगर जज्बा कुछ कर गुजरने का हो तो साधन कोई मायने नहीं रखता है. उषा ने हर विषम परिस्थिति को नकार कर मंजिल की ओर बढ़ने की जो ठानी तो बढ़ती ही चली गयी. भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उषा को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की 2015 की परीक्षा में सफलता मिली और उसे स्नातकोत्तर कक्षा में दाखिला मिला, जो कि अपने आप में एक गौरव की बात है. उसके बाद वर्ष 2017 में उषा ने सफलता की एक नयी इबारत लिखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित कृषि शोध प्रवेश परीक्षा में चयनित हुई और अब उसका नामांकन पीएचडी (कृषि रसायन) में होगा. खास बात यह है कि भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय की उषा पहली छात्र-छात्राओं में शामिल है, जिसे यह सम्मान हासिल हुआ है. अपनी सफलता पर उषा कहती हैं ‘ जहां तक खुला आसमान बांकी है, मुझे पता है मेरी उड़ान बांकी है ‘ . उषा की इस उपलब्धि पर कॉलेज के प्राचार्य डा राजेश कुमार ने उषा को बधाई दी है और उज्ज्वल भविष्य की कामना भी की है.
कृषि महाविद्यालय के प्रथम सत्र वर्ष 2011-15 की छात्रा रही है उषा
मूल रूप से सीतामढ़ी जिले के सुपैना की रहने वाली है
पिता पेशे से किसान जबकि मां गृहिणी हैं
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