इनसान को उसके गुनाहों से माफी मिलती है. रमजान में जकात का महत्व खासा बढ़ जाता है. जकात का मतलब है अपनी कमाई का करीब ढाई फीसद गरीबों में बांटना.
ईद से पहले फितरा दिया जाता है, जिसमें परिवार का प्रत्येक इनसान ढाई किलो के हिसाब से गेहूं या उसकी कीमत की रकम इकट्ठा कर जरूरतमंदों में बांट देता है. रोजेदार मगरिब की अजान के पहने खाने-पीने की चीजों को लेकर परिवार के साथ बैठ जाएं. इफ्तार के समय सामूहिक रूप से दुआ करें. इस वक्त की दुआ कबूल होती है.