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मेडिकल कॉलेजों में नामांकन शुल्क निर्धारित करेगी कमेटी
अवकाशप्राप्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में कमेटी गठित पटना : राज्य के निजी मेडिकल काॅलेज अस्पातालों में एमबीबीएस व पीजी कोर्स में नामांकन शुल्क का निर्धारण सरकार करेगी. एमबीबीएस में दाखिला के लिए क्या शुल्क होगा. पोस्ट ग्रेजुएट में नामांकन की शुल्क क्या होगा. इसके लिए सरकार ने अवकाशप्राप्त न्यायमूर्ति अखिलेश चंद्रा की अध्यक्षता में पांच […]
अवकाशप्राप्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में कमेटी गठित
पटना : राज्य के निजी मेडिकल काॅलेज अस्पातालों में एमबीबीएस व पीजी कोर्स में नामांकन शुल्क का निर्धारण सरकार करेगी. एमबीबीएस में दाखिला के लिए क्या शुल्क होगा. पोस्ट ग्रेजुएट में नामांकन की शुल्क क्या होगा. इसके लिए सरकार ने अवकाशप्राप्त न्यायमूर्ति अखिलेश चंद्रा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है. कमेटी का कार्यालय राज्य स्वास्थ्य समिति में स्थापित किया गया है.
इस कमेटी में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को सदस्य सचिव बनाया गया है. इसके अलावा राज्य से एमसीआइ के एक सदस्य, एक चार्टर्ड एकाउंटेंट और एक व्यक्ति जो चेयरमैन द्वारा नामितएक सदस्य को शामिल किया गया है. यह कमेटी बैठक कर राज्य के निजी कालेजों के नामांकन का शुल्क निर्धारित करेगी. राज्य में माता गुजरी मेडिकल काॅलेज अस्पताल, किशनगंज, कटिहार मेडिकल काॅलेज, कटिहार और नारायण मेडिकलकाॅलेज एंड हॉस्पिटल, सासाराम निजी क्षेत्र में संचालित होनेवाले मेडिकल काॅलेज हैं.
पटना : राज्य में इस बार नव स्थापित दो मेडिकल काॅलेज अस्पतालों में एमबीबीएस सीटों पर नामांकन नहीं हो सकेगा. शैक्षणिक सत्र 2017 के लिए एमसीआइ से इन कालेजों में दाखिले के लिए अनुमति नहीं ली गयी है. इसमें राजकीय मेडिकल काॅलेज अस्पताल मधेपुरा और कर्मचारी राज्य बीमा निगम (इएसआइसी) मेडिकल काॅलेज अस्पताल, बिहटा शामिल हैं.
दोनों मेडिकल काॅलेज अस्पतालों में 100-100 एमबीबीएस सीटों पर दाखिला के लिए मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया (एमसीआइ) से अनुमति नहीं ली जा सकी है. अनुमति मिल जाती तो राज्य में एमबीबीएस की दो सौ सीटों का इजाफा होता. इसी तरह इएसआइसी मेडिकल काॅलेज अस्पताल में नामांकन के लिए 2014-15 में ही लक्ष्य निर्धारित किया गया था. तब यह मेडिकल काॅलेज अस्पताल केंद्र सरकार के द्वारा संचालित किया जाना था. वर्ष 2015 में केंद्र सरकार ने इस मेडिकल काॅलेज अस्पताल को राज्य सरकार को सौंपने का प्रस्ताव रखा. इधर, डेढ़ वर्षों में अब तक इसके हस्तांतरण का काम केंद्र के पास ही अटका हुआ है. राज्य सरकार ने एमओयू तैयार कर केंद्र सरकार के पास भेज दिया है. छह माह से अधिक समय से इस मेडिकल काॅलेज की फाइल केंद्र सरकार के पास अटकी पड़ी है.
भवन का निर्माण ही पूरा नहीं हुआ : इएसआइसी मेडिकल काॅलेज अस्पताल के हस्तांतरण के कारण राज्य सरकार इसमें नामांकन आरंभ करने की दिशा में कार्रवाई नहीं कर सकी है. इसी तरह राज्य सरकार द्वारा 2008-09 में राज्य में तीन नये मेडिकल काॅलेज अस्पतालों की स्थापना का कार्य शुरू किया गया था. इसमें राजकीय मेडिकल काॅलेज अस्पताल बेतिया, वर्द्धमान आयुर्विज्ञान संस्थान पावापुरी और राजकीय मेडिकल काॅलेज अस्पताल मधेपुरा शामिल हैं. बेतिया और पावापुरी मेडिकल कॉलेजों में 100-100 एमबीबीएस सीटों पर पांचवें बैच का नामांकन होने जा रहा है.
मधेपुरा मेडिकल काॅलेज अस्पताल को चालू करने के लिए 2011 में 100 शिक्षकों की नियुक्ति की गयी. लेकिन, बाद में इन शिक्षकों को दूसरे मेडिकल काॅलेजों में पदस्थापित कर दिया गया. 2014 में भी शिक्षकों की तैनाती इस मेडिकल काॅलेज अस्पताल में की गयी. फिर उनको वापस दूसरे मेडिकल काॅलेज में पदस्थापित कर दिया गया. इस मेडिकल काॅलेज अस्पताल के भवन का निर्माण ही पूरा नहीं हुआ है. लार्सन एंड टूब्रो कंपनी द्वारा इसका भवन निर्माण कराया जा रहा है. इस अस्पताल के भवन को नवंबर, 2016 में स्वास्थ्य विभाग को सौंप दिया जाना था.
अब तक निर्माण पूरा नहीं होने के कारण यहां पर नामांकन की प्रक्रिया प्रारंभ करने की दिशा में कदम नहीं उठाया गया है. अगर इन दोनों मेडिकल काॅलेज अस्पतालों की प्रक्रिया पूरी की जाती तो इस शैक्षणिक सत्र में 100-100 एमबीबीएस सीटों पर दाखिला हो जाता.
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