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नदियों को बचाने के लिए गाद प्रबंधन जरूरी : चौधरी

साल 2011 में केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार के समय इस विषय को नीतीश कुमार ने उठाया था पटना : विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने गुरुवार को कहा कि नदियों को बचाने के लिए गाद प्रबंधन जरूरी है. समय रहते इसका समाधान नहीं होने पर नदियां समतल हो जायेंगी और ये विलुप्ति की […]

साल 2011 में केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार के समय इस विषय को नीतीश कुमार ने उठाया था
पटना : विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने गुरुवार को कहा कि नदियों को बचाने के लिए गाद प्रबंधन जरूरी है. समय रहते इसका समाधान नहीं होने पर नदियां समतल हो जायेंगी और ये विलुप्ति की कगार पर पहुंच जायेंगी. साल 2011 में केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार के समय इस विषय को नीतीश कुमार ने उठाया था. अब इस पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हो रही है.
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के जागरूकता सप्ताह के पहले दिन आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नदियां हमारे जीवन का आधार हैं. नदी की जिंदगी उसका प्रवाह है. यदि इसमें अवरोध पैदा होगा तो इसका बुरा असर नदियों पर पड़ेगा और हमारा जीवन भी प्रभावित होगा. नदियों में लगातार जमा होने वाले गाद से नदियों के पेट में पानी रखने की क्षमता खत्म हो रही है.
इससे जो पानी आयेगा वो नदियों में नहीं समा पायेगा और इलाके में फैल जायेगा. इससे भी बाढ़ का खतरा है. उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशक से इसके निर्मलता की बात हमेशा होती रही है. ऐसा कहा जाता रहा है कि नदियों में किसी भी तरह की गंदगी नहीं डालें जिससे कि वह निर्मल बनी रहे. गंदगी से भी गाद जमा होता है. इसलिए निर्मलता भी अविरलता से सीधे तौर पर जुड़ी है. गाद जमने से नदी की धारा बदल जाती है. इसका सीधा असर नदी के किनारों पर पड़ता है. इसलिए नदी का मेन चैनल ठीक रखने के लिए गाद प्रबंधन बहुत जरूरी है.
महिलाओं को मिले राहत कार्य का विशेष प्रशिक्षण
बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि आपदा का समय सामने है. प्रदेश में हर साल बाढ़ से बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान होता है. ट्रांसजेंडर, महिलाएं और बच्चे बुरी तरह प्रभावित होते हैं. ऐसे में यदि महिलाओं को राहत कार्यों संबंधी प्रशिक्षण दी जाये तो वे पुरुषों से ज्यादा लाभकारी साबित हो सकती हैं. वे गुरुवार को आपदा प्रबंधन में लैंगिक मुद्दों पर आधारित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे. चौधरी ने कहा कि महिलाएं परिवार की धुरी होती हैं. उनके प्रभावित होने का असर पूरे परिवार पर पड़ता है.
यदि वे शिक्षित या प्रशिक्षित होती हैं तो पूरा परिवार प्रशिक्षित होता है. इस कार्यक्रम को बिहार राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के उपाध्यक्ष व्यासजी, डॉ यूके मिश्रा, वरिष्ठ सलाहकार डॉ शंकर दयाल, पद्मश्री सुधा वर्गीज और बिहार राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की मधुबाला ने संबोधित किया. मंच संचालन रेशमा ने किया.
हमारा समाज भले ही पुरुष प्रधान है, लेकिन हमलोगों का परिवार महिला प्रधान ही है. वे परिवार के लिए हमेशा त्याग और कुरबानी देने के लिए तैयार रहती हैं. इसलिए आपदा प्रबंधन के लिए भी महिलाओं को प्रशिक्षित करना चाहिए.
तिरस्कृत वर्ग के लोग नहीं हैं ट्रांसजेंडर
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह कार्यक्रम उनके जीवन का पहला अवसर है जब उन्होंने देवियों-सज्जनों से पहले ट्रांसजेंडर कहा. ये तिरस्कृत वर्ग के नहीं बल्कि समाज की मुख्यधारा के लोग हैं. यही वो लोग हैं जो पुरुषों और महिलाओं के बीच सामंजस्य का काम करते हैं. इसलिए इनसे किसी भी तरह का भेदभाव ठीक नहीं है.
आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सराहनीय काम हुआ
विजय कुमार चौधरी ने कहा कि सिंचाई मंत्री रहते हुए उन्होंने भी बाढ़ की समस्या से समाधान के लिए बहुत काम किया, जब से व्यासजी बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष बने हैं तब से इस पर बढ़िया काम हो रहा है. उन्होंने कहा कि व्यासजी के प्रयासों का ही परिणाम है, जिससे अब आपदा पीड़ितों को तत्काल मदद मिल पा रही है.
इसके पहले भी यह विभाग काम करता था, लेकिन उस समय ऐसी व्यवस्था थी जिससे कि राहत सामग्री उपलब्ध करवाने में बहुत समय लग जाता था. लोग परेशान हो जाते थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करते हुये उन्होंने कहा कि उन्होंने व्यासजी की कुशलता का सही आकलन कर यह विभाग उन्हें सौंपा. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार हमेशा कहते हैं कि राज्य के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है. ऐसे में इस विभाग की महत्ता समझी जा सकती है.

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