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1982 तक नहीं मिलता था पार्षदों को भत्ता

पटना में हुआ था अखिल भारतीय महापौर सम्मेलन, बना था लोकनायक जयप्रकाश नारायण उद्यान कृष्णा कुमार रजक पूर्व पार्षद अमिताभ श्रीवास्तव पटना सिटी : अतीत में निगम के समृद्ध इतिहास को याद कर कॉप्शन से चुने गये पूर्व पार्षद कृष्णा कुमार रजक कहते हैं कि 47 लोगों की टोली पांच सदस्यों को कॉप्शन के माध्यम […]

पटना में हुआ था अखिल भारतीय
महापौर सम्मेलन, बना था
लोकनायक जयप्रकाश नारायण उद्यान
कृष्णा कुमार रजक
पूर्व पार्षद
अमिताभ श्रीवास्तव
पटना सिटी : अतीत में निगम के समृद्ध इतिहास को याद कर कॉप्शन से चुने गये पूर्व पार्षद कृष्णा कुमार रजक कहते हैं कि 47 लोगों की टोली पांच सदस्यों को कॉप्शन के माध्यम से चुनती थी.
इसमें एक अनुसूचित जाति का सदस्य होता था, जबकि चार सदस्य सामान्य वर्ग के. अनुसूचित जाति के कोटे से पूर्व मंत्री संजीव कुमार टोनी को हरा कर 1978 में पार्षद बने, उस समय पार्षदों को किसी तरह के भत्ते की बात तो दूर आने-जाने का किराया भी नहीं मिलता था. हालांकि, 1982 में जब कृष्णनंदन सहाय फिर महापौर बने, तब उसी समय में पार्षदों को 200 रुपये भत्ता मिलने लगा. उस समय की बातों को याद कर कृष्ण कुमार रजक बताते हैं कि उस समय पटना के महापौर रहे कृष्णनंदन सहाय ने अखिल भारतीय महापौर सम्मेलन 1979 में पटना सिटी की हृदय स्थली मंगल तालाब परिसर में कराया था, जिसमें देश भर से महापौर आये थे. सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री बलराम जाखड़ ने किया था.
इसी सम्मेलन के दौरान मंगल तालाब में लोकनायक जयप्रकाश नारायण उद्यान का निर्माण कराया गया था. महापौर ने उनको हाट बाग समिति का अध्यक्ष मनोनीत किया था. इस वजह से पार्क का निर्माण कराया गया. इतना ही नहीं निगम की स्थायी समिति की बैठक में बतौर पार्षद उन्होंने बेगमपुर स्थित जगदेव पार्क व लोकनायक उद्यान के निर्माण का प्रस्ताव रखा था, जिसे समिति व सभा में बहुमत से पास कर दिया गया.
इसके बाद दोनों पार्कों का निर्माण हुआ. अतीत को याद कर पूर्व पार्षद बताते हैं कि निगम की गरिमा होती थी. अधिकारी व महापौर पार्षदों की बातों को ध्यान से सुन कर समस्या का समाधान करते थे, अब तो स्थिति यह है कि महापौर व अधिकारी की आपस में नहीं बनती. पार्षद शहर के विकास की बात तो दूर वार्ड के विकास में भी दिलचस्पी नहीं दिखाते. उस समय की यादों को दस्तावेज के साथ संजोये पूर्व पार्षद बताते हैं कि उनके समय में ही पटना साहिब के वर्तमान विधायक नंदकिशोर यादवसबसे कम उम्र के पार्षद बने थे. उस समय के पार्षद समाज सेवा की भावना से कार्य करते थे. वार्ड में किसने उनको वोट नहीं दिया, उस क्षेत्र में विकास व सुविधाएं नदारद रहती हैं. धन-बल की बदौलत चुनाव जीते प्रतिनिधि से भेदभाव को भुला कार्य कराने की उम्मीद बेमानी है.

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