पटना: देर से ही सही झारखंड परिवहन निगम के कर्मचारियों का सरकारी नौकरियों में समायोजन हो गया, लेकिन बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के 11 सौ कर्मचारियों को पंचम-षष्टम वेतन के भी लाले पड़े हैं. बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के कर्मचारी अपने समायोजन की बात तो भूल गये हैं, पर पंचम-षष्टम वेतन की बांट आज भी जोह रहे हैं. कर्मचारी संगठनों ने पंचम-षष्टम वेतन को लेकर पटना हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. निगम बंटवारे के वक्त झारखंड नहीं गये बिहार के कर्मचारी आज अफसोस कर रहे हैं.
पांच साल में 600 रिटायर्ड
परिवहन निगम के बंटवारे के बाद ही झारखंड सरकार ने साफ कर दिया था कि वह परिवहन निगम को नहीं चलायेगी. झारखंड सरकार ने निगमकर्मियों का समायोजन करने का तब एलान भी किया था. हालांकि, कर्मचारियों के समायोजन में पांच साल का समय लगा. पांच वर्षो में झारखंड परिवहन निगम के 600 कर्मचारी रिटायर्ड भी हो गये. यानी, रिटायर्ड कर्मचारियों को समायोजन का लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन झारखंड निगम में योगदान के समय से समायोजन का अन्य सरकारी लाभ अवश्य मिलेगा.
लड़नी पड़ी लंबी लड़ाई
बिहार राज्य पथ परिवहन निगम के कर्मचारियों को बकाया वेतन भुगतान के लिए सर्वोच्च न्यायालय में लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी. दो साल पहले कोर्ट के आदेश पर कर्मचारियों को बकाये का भुगतान शुरू हुआ. हालांकि, इसका लाभ झारखंड परिवहन निगम के कर्मचारियों को भी मिला है. वहीं, पंचम व षष्टम वेतन के लिए कर्मचारियों ने हाइकोर्ट में आवेदन दे रखा है. 2007 से केस की सुनवाई हो रही है, पर फैसला अभी तक नहीं हुआ है.
राज्य परिवहन कर्मचारी संघ के महामंत्री विजयधारी कुमार ने कहा कि बिहार सरकार ने सभी कर्मचारियों को पंचम व षष्टम वेतन देने की घोषणा की थी, लेकिन परिवहन निगम के मामले में सरकार दोहरा रवैया अपना रही है. कर्मचारियों को थक-हार कर अपनी मांग के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है. उन्होंने बिहार सरकार से जल्द-से-जल्द परिवहन निगम कर्मचारियों को पंचम-षष्टम वेतन देने की मांग की है.