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प्रदेश भाजपा में अभी सबकुछ ठीक नहीं

पटना : भाजपा ने प्रदेश में फायर ब्रांड नेता नित्यानंद राय को कमान तो सौंपी है, लेकिन उनकी टीम की घोषणा हाेते ही पार्टी में खलबली मची हुई है. पार्टी पदाधिकारियों की सूची में जगह नहीं मिलने से नाराज नेताओं ने नित्यानंद राय पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. पूर्व महासचिव सुधीर कुमार शर्मा […]

पटना : भाजपा ने प्रदेश में फायर ब्रांड नेता नित्यानंद राय को कमान तो सौंपी है, लेकिन उनकी टीम की घोषणा हाेते ही पार्टी में खलबली मची हुई है. पार्टी पदाधिकारियों की सूची में जगह नहीं मिलने से नाराज नेताओं ने नित्यानंद राय पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. पूर्व महासचिव सुधीर कुमार शर्मा के बाद अब पूर्व मंत्री सुनील कुमार पिंटू ने भी प्रदेश अध्यक्ष पर सवाल उठाया है.
हालांकि, पिंटू की नाराजगी विधान पार्षद लाल बाबू प्रसाद की बिना कारण पूछे निलंबन को लेकर है. पिंटू ने कहा कि अध्यक्ष के व्यक्तिगत निर्णय से वह और तैलिक साहू समाज आहत है. नाराजगी की वजह जो भी हो लेकिन, दल के भीतर अध्यक्ष विरोधी गतिविधियां बढ़ने से पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं में बेचैनी है.
भाजपा ने प्रदेश में यादव मतदाताओं को अपनी ओर रिझाने के लिए नित्यानंद राय को प्रदेश की कमान सौंपने का फैसला लिया था. पर, अब कुछ माह बाद ही पार्टी के भीतर का अंदरूनी कलह सतह पर आने लगा है. संगठन में जिन लोगों को जगह मिली है वह विरोधियों के निशाने पर हैं. खास कर चार महासचिवों के अनुभव को लेकर तर्क दिये जा रहे हैं. महासचिव के पदों में जहां पार्टी के पूर्व से समर्पित नेताओं को जगह नहीं मिल पायी है. वहीं अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले कई वैसे दमदार जातियों को प्रतिनिधि नहीं मिल पाया हैं, जो अगले लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए वोट बैंक बन सकते हैं.
पार्टी सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव के पहले जिन नेताओं को दूसरे दलों से भाजपा में शामिल कराया गया था, उन सभी नेताओं को कोई जवाबदेही नहीं दी गयी. इनमें अति पिछड़ा वर्ग से आने वाले पूर्व मंत्री डाॅ भीम सिंह, बैजनाथ साहनी, पूर्व सांसद रामबदन राय, मिथिलांचल से आने वाले पूर्व मंत्री नीतीश मिश्र, जदयू के संगठन मंत्री डाॅ उदय कुमार प्रजापति, पूर्व एमएलसी अनुज कुमार सिंह समेत दर्जनों ऐसे नेता जो जदयू छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे, उन्हें संगठन में भी जगह नहीं दी गयी. विधानसभा चुनाव में जब उम्मीदवारी नहीं मिली तो ऐसे नेताओं को उम्मीद थी कि संगठन में उन्हें कोई पद दी जायेगी. जानकारों का कहना है कि दो साल बाद आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मध्यम मार्ग वाली जातियों से आने वाले ऐसे नेताओं का राजनीतिक इस्तेमाल किया जा सकता था. लेकिन, पार्टी इससे चूक गयी है.
लाल बाबू प्रसाद के निलंबन का विरोध
भाजपा से निलंबित एमएलसी लाल बाबू प्रसाद के पक्ष में तैलिक साहू समाज के कई नेता और पदाधिकारी खड़े हो गये हैं. गर्दनीबाग धरनास्थल पर बिहार तैलिक साहू सभा की ओर से धरना दिया गया.
भाजपा के पूर्व मंत्री सुनील कुमार पिंटू, छपरा के विधायक डॉ सीएन गुप्ता, चिरैया के विधायक लाल बाबू गुप्ता और राजद के पूर्व विधायक संजय गुप्ता सहित कई नेता पहुंचे और उन्होंने कहा कि वे तेली समाज के हक की लड़ाई लड़ने यहां पहुंचे हैं. किसी ने कथित तौर पर यदि कोई अपराध किया है तो उससे जवाब मांगा जाना चाहिए. लेकिन, ऐसा नहीं किया गया.

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