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शहर में मच्छरों का प्रकोप निगम की फॉगिंग फेल
बीते वर्ष नवंबर में निगम ने खरीदी थीं छह लाख की दस फॉगिंग मशीनें पटना : राजधानी में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है. शाम होते ही लोगों की परेशानी बढ़ जाती है, लेकिन मच्छरों को मारनेवाली नगर निगम की फॉगिंग मशीन काम नहीं कर रही है. भले ही नगर अायुक्त अभिषेक सिंह के स्तरसे […]
बीते वर्ष नवंबर में निगम ने खरीदी थीं छह लाख की दस फॉगिंग मशीनें
पटना : राजधानी में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है. शाम होते ही लोगों की परेशानी बढ़ जाती है, लेकिन मच्छरों को मारनेवाली नगर निगम की फॉगिंग मशीन काम नहीं कर रही है. भले ही नगर अायुक्त अभिषेक सिंह के स्तरसे फॉगिंग के लिए वार्ड वार रोस्टर बनाये गये हैं.
कमोबेश वार्डों में फॉगिंग भी हो रही है. मगर उसका असर नहीं दिखता है. नगर आयुक्त खुद भी स्वीकार करते हुए करते है कि निगम की फाॅगिंग से मच्छर भागते हैं, लेकिन मरते नहीं. इसके अलावे खुली नालियों व ठहरे गंदे पानी में दवा की छिड़काव नहीं होने से भी परेशानी है. छिड़काव मलेरिया विभाग को करना है.
प्रकाश पर्व के दौरान खरीदी नयी मशीन : प्रकाश पर्व के दौरान नवंबर में नगर निगम ने दस बड़ी फॉगिंग मशीनों की खरीद की थी. इसमें से तीन मशीनों को नूतन राजधानी अंचल में दे दिया गया.
कार्यपालक पदाधिकारी विशाल आनंद बताते हैं कि अंचल का क्षेत्र बहुत बड़ा है. दो मशीनों को वार्ड ड्यूटी में लगायी गयी है. एक मशीन सरकारी प्रतिष्ठानों में फॉगिंग करने के लिए उपयोग की जाती है. अभी तीन मशीनों की और जरूरत है. शेष मशीनों को बाकी अंचलों में लगाया गया है.
किंग फॉग नहीं, टेक्नीकल मैलेथियान से की जा रही फॉगिंग : नगर निगम फॉगिंग के लिए टेक्नीकल मैलेथियान का प्रयोग करती है. नगर आयुक्त अभिषेक सिंह बताते है कि टेक्नीकल मैलेथियान (95 फीसदी) का प्रयोग उतना प्रभावी नहीं है, लेकिन डब्ल्यूएचओ से प्रमाणित है. किंग फॉग का प्रयोग प्रभावित है, लेकिन इसका छिड़काव डब्ल्यूएचओ से स्वीकृत नहीं है. इसके अलावे अब डेल्टा मैलेथियान उतना प्रभावी नहीं होता.
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