23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार बजट से अपेक्षाएं

निवेश व रोजगार को मिले रफ्तार 27 फरवरी को बिहार विधानसभा में पेश हाेने वाले बजट को लेकर हर वर्ग के लोगों को काफी अपेक्षाएं हैं. उद्योग जगत ने जहां इस बार बजट में आवंटन बढ़ाने की मांग की है, वहीं महिलाओं को अलग से आवंटन मिलने की अपेक्षा है. उद्योग जगत का कहना है […]

निवेश व रोजगार को मिले रफ्तार
27 फरवरी को बिहार विधानसभा में पेश हाेने वाले बजट को लेकर हर वर्ग के लोगों को काफी अपेक्षाएं हैं. उद्योग जगत ने जहां इस बार बजट में आवंटन बढ़ाने की मांग की है, वहीं महिलाओं को अलग से आवंटन मिलने की अपेक्षा है. उद्योग जगत का कहना है कि राज्य में निवेश व रोजगार बढ़ाने के लिए लैंड बैंक बनाने की जरूरत है. झारखंड में 11 लाख एकड़ जमीन उद्योग के लिए है, जबकि बिहार में 110 एकड़ भी जमीन उद्योग के लिए नहीं है. साथ ही कृषि और कृषि आधारित उद्योग के लिए भी अतिरिक्त बजट का प्रावधान करने की जरूरत है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट का आवंटन बढ़ाने की दरकार है. आज के बिग इश्यू में हम बिहार बजट से लोगों की अपेक्षाओं का जायजा ले रहे हैं.
बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
उद्योग विभाग का बजट
1685 करोड़ रुपये हो
पटना. वित्तीय वर्ष 2017–18 के लिए राज्य सरकार के वार्षिक बजट से उद्योग जगत को काफी अपेक्षाएं हैं. बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन व बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने उद्योग जगत की ओर से बकायदा मांग पत्र सौंप कर अपनी अपेक्षाएं जतायी हैं. बीआइए की ओर से अध्यक्ष राम लाल खेतान व बिहार चैंबर ऑफ काॅमर्स की ओर से अध्यक्ष पी के अग्रवाल ने वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी को मांग पत्र सौंपा है. मांग पत्र में निम्नलिखित मांगें रखी गयी हैं:-
बजट आकार में वृद्धि
औद्योगिक नीति में राज्य सरकार द्वारा घोषित की गयी प्रोत्साहन सुविधाएं तथा राज्य में निवेश के प्रति निवेशकों की रुचि के मद्देनजर उद्योग विभाग के बजट को 1685 करोड़ किये जाने का अनुरोध किया गया है.
लैंड बैंक
राज्य में उद्योगों के लिए लैंड बैंक बनाने का अनुरोध किया गया है. इसके तहत प्रत्येक जिले में 200 एकड़ का लैंड बैंक औद्योगिक उपयोग के लिए बनाया जाये.
आधारभूत संरचना पर बल
शहरीकरण की प्रक्रिया को गति देने के लिए आधारभूत संरचना को विकसित किये जाने की आवश्यकता है. अत: बजट में इसके लिए आवश्यक प्रावधान किया जाये. साथ रुग्ण उद्योगों के पुनर्वास हेतु आवश्यक निधि की बजट में व्यवस्था हो.
ट्रेड फेयर सेंटर खुले
राजधानी में राष्ट्रीय व अंतररार्ष्ट्रीय स्तर के कॉन्फ्रेंस, प्रदर्शनी आदि के आयोजन के लिए एक समुचित जगह को चिन्हित कर अन्य आधारभूत सुविधा विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है. सरकार 50 एकड़ जगह चिन्हित करते हुए इसके लिए बजट में आवश्यक प्रावधान करे.
अनुदान का भुगतान ऑनलाइन हो
औद्योगिक प्रोत्साहन नीति के माध्यम से दी जाने वाली विभिन्न प्रकार के अनुदान का भुगतान ऑनलाइन करने की व्यवस्था शुरू करने की मांग की गयी है.
भागीदारी सुनिश्चित हो
सरकार तथा विभिन्न उपक्रमों में होनेवाली खरीद में स्थानीय उद्योगों की भागीदारी सुनिश्चित करने की मांग की गयी है. ताकि उद्योगों को बढ़ावा मिले.
वैट प्रतिपू्र्ति
औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2011 तथा 2016 के माध्यम से सरकार द्वारा वैट तथा प्रवेश कर प्रतिपू्र्ति प्रोत्साहन की सुविधा समय पर उपलब्ध कराने की मांग रखते हुए अनुरोध किया है कि सरकार इस मद में पर्याप्त राशि मुहैया करायें जिससे कि इस मद में पिछले बकाया का भुगतान हो सके.
चैंबर ऑफ काॅमर्स
बढ़े आवंटन, चाय उद्योग के लिए बनायी जाये अलग से प्रोत्साहन नीति
बिहार चैंबर आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज अध्यक्ष पी के अग्रवाल ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से मांग की गयी है कि बजट में उद्योग विभाग का आवंटन को बढ़ाने, प्रोत्साहन प्रतिपूर्ति राशि को ऑनलाइन क्रेडिट हो, चाय उद्योग के लिए अलग से प्रोत्साहन नीति तैयार की जाये. रुग्न इकाइयों के पुनर्वास की सुदृढ़ व्यवस्था करने का प्रस्ताव वित्त मंत्री से किया गया है. इसके अलावा कई बिंदुओं पर ध्यान आकृष्ट कराया गया है.
सहमति शुल्क कम हो
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लिये जा रहे ‘सहमति शुल्क’ की राशि को कम करने साथ उद्योग को कम्पाउंडिग की सुविधा प्रदान किया जाये.
विद्युत अापूर्ति बढ़े
ऊर्जा के संबंध में समुचित औद्योगिक विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निर्वाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाये.
औद्योगिक प्रोत्साहन नीति, 2011 के तहत कवरड औद्योगिक इकाइयों को एमएमजी व एएमजी से छूट प्रदान करने, राज्य की सभी औद्योगिक इकाइयों को एमएमसी, एमएम व एएमजी से छूट मिले.
प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया सरल हो: वैट से संबंधित मांगों में वैट प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया को सरल बनाने, वैट में एक मुश्त समझौता योजना लागू हो.
घोषणा प्रपत्र की वैधता 100 किलोमीटर की दूरी के लिए अभी मात्र 36 घंटे का प्रावधान है. इसे बढ़ाकर 144 घंटे करने, ट्रांसपोर्टर डिटेल भरने की सुविधा ट्रांसपोर्टर एवं व्यापारी दोनों को दिया जाना चाहिए.
कल्याण कोष बने
व्यवसायियों के कल्याण के लिए हरियाणा सरकार की तरह बिहार में भी व्यवसायी कल्याण कोष का गठन हो.
महिलाओं की अपेक्षा, आधी आबादी के लिए हो अधिक आवंटन
सिर्फ योजना ही नहीं बने
बजट कैसा भी हो. पर वह महिलाओं से जुड़ा हो. सरकार पहले योजनाओं को ध्यान में रखकर बजट पेश करें. सरकार योजना तो बना देती हैं, लेकिन बजट के अभाव में ज्यादातर योजना विफलता के कगार पर पहुंच जाती है. इसका जीता जागता उदाहरण राजधानी का एकमात्र वन स्टॉप सेंटर है जिसे लंबे इंतजार के बाद मूर्त रूप तो दिया गया, पर बजट के अभाव में बस खानापूर्ति बन कर रह गयी है.
शाहिदा बारी, बेटी जिंदाबाद अभियान
जेंडर बजटिंग की जरूरत
जेंडर बजटिंग की जरूरत है न कि जेंडर वॉयस की. बजट में महिलाओं पर खास ध्यान देने की जरूरत है. इसके अलावा जेंडर बजट में हर एक पहलू पर ध्यान रखते हुए सरकार बजट बनायेगी. तभी सही मायने में महिला सशक्तीकरण हो पायेगा.
शिल्पी, भूमिका बिहार.
दिव्यांगों के लिए हो प्रावधान
बजट महिलाओं को ध्यान में रखकर करने की जरूरत तो है कि लेकिन दिव्यांग महिलाओं के लिए कभी भी बजट में कोई प्रावधान नहीं दिखता है. इससे कई योजनाओं का लाभ लेने में दिव्यांग महिलाएं पीछे रह जाती हैं. जैसे हिंसा होने पर उनके लिए न तो वाहन की व्यवस्था है. न ही अस्पताल जाने के लिए एबुलेंस की सुविधा. कई बार तीन-तीन मंजिला भवन में जाने के लिए न तो रैंप होता है और न ही कोई व्हीलचेयर की सुविधा. ऐसे में बजट दिव्यांग महिलाओं से जुड़ा हो.
वैष्णवी, विकलांग अधिकार मंच
स्वास्थ्य पर हो जोर
महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी बजट में प्रावधान जरूरी है. उन्हें हर स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करायी जानी चाहिए. चाहे किशोरी योजना हो या फिर गर्भवती महिलाओं के लिए. साथ ही योजनाओं के इम्पलीमेंटेशन के लिए भी अलग से बजट का प्रावधान हो.
सुनिता, निदान
उद्यमियों को आस
कृषि आधारित उद्योग को बढ़ावा देने के लिए हो अतिरिक्त बजट का प्रावधान
निवेश को बढ़ावा देने की जरूरत
बिहार बजट में राज्य में रोजगार बढ़ाने के लिए निवेश को सहयोग करने की जरूरत है. इसके अलावा उद्योग के लिए लैंड बैंक, न्यू औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण, कृषि की आधारभूत संरचना पर और ध्यान देनी की आवश्यकता है.
झारखंड में 11 लाख एकड़ जमीन उद्योग के लिए है जबकि बिहार में 110 एकड़ भी जमीन उद्योग के लिए नहीं है. आज की तारीख में लैंड बैंक की जरूरत है. अगर राज्य सरकार सही में कृषि और कृषि आधारित उद्योग को बढ़ाना देना चाहती है, तो इसके लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान करना होगा.
सत्यजीत सिंह, अध्यक्ष, पीएचडी चैंबर अॉफ कॉमर्स
स्टार्टअप केंद्र की हो स्थापना
जिला स्तर पर उद्यमिता और स्टार्टअप केंद्र की स्थापना करने की जरूरत है ताकि युवाओं को स्टार्टअप के बारे में अधिक से अधिक जानकारी मिल पाये. बजट में राज्य सरकार को स्टार्टअप बिहार में कर की सीमा तीन वर्ष से बढ़ा कर सात वर्ष कर करना चाहिए.
युवा और सूक्ष्म उद्यमियों के लिए सिंगल विंडो की व्यवस्था करने की जरूरत है .जिला स्तर पर कपड़ा और चमड़ा उद्योग कलस्टर के विकास के लिए नये बजट में विशेष प्रावधान हो ताकि उसके मध्यम से छोटे-छोटे उद्यमी ग्रुप बनाकर कलस्टर के लिए आवेदन कर सके.
अभिषेक, महासचिव, बिहार उद्यमी संघ
स्वास्थ्य, शिक्षा पर हो फोकस
राज्य सरकार के आगामी बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में विशेष बजट का प्रावधान करने की आवश्यकता है ताकि बजट का लाभ आर्थिक रूप से कमजोर लोगों तक पहुंच सके.
सभी सरकारी चिकित्सा क्षेत्र में मूलभूत समस्याओं को दूर किया जाये. इसके अलावा राज्य के सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों की स्थिति को सुधारने पर खास ध्यान दिया जाये और शिक्षक की व्यवस्था की जाये क्योंकि बच्चों का भविष्य उसके गुरु पर निर्भर करता है. साथ ही बजट में निर्धारित राशि का सही उपयोग सुनिश्चित करने पर विशेष फोकस हो .
परसन, अध्यक्ष, बिहार केमिस्ट्स एवं ड्रगिस्ट एसोसिएशन
कपड़ा उद्योग को प्राथमिकता
बिहार सरकार के आगामी बजट में सरकार को कपड़ा उद्योग को प्राथमिकता देना चाहिए. खासकर सिल्क उद्योग और पावरलूम को बढ़ावा देने के लिए सरकार को विशेष बजट का प्रावधान करना चाहिए. इसे दूसरे उद्योग की तुलना में ज्यादा छूट देनी चाहिए जिससे यह उद्योग बिहार में अच्छी तरह से फल- फूल सके . सालों से लंबित भागलपुर में सिल्क पार्क और गया के मानपुर में पावरलूम टेक्सटाइल पार्क जल्द बने इसके लिए सरकार को इस बजट में विशेष कदम उठाना चाहिए. क्योंकि पार्क बनने से नये उद्योग लगेंगे जिसका फायदा मिलेगा.
रणजीत सिंह, महासचिव, बिहार चैंबर ऑफ टेक्सटाइल
औद्योगिक नीति और सशक्त बने
राज्य में औद्योगिक नीति को ओर सशक्त बनाने और माहौल तैयार करने की आवश्यकता है. ताकि देश-विदेश के उद्योगपति यहां निवेश करे और रोजगार के अलावा राज्य प्रगतिशील बन सके. सरकार को बजट में न केवल निवेश बल्कि सुरक्षा और सभी तरह की आधारभूत संरचना में बदलाव लाना होगा. ताकि नये उद्यमी आकर्षित हो सके. प्रस्तावित बजट में मेक इन इंडिया और स्टैंड इंडिया के तहत नये उद्यमी को प्रोत्साहन मिले और राज्य में उद्योग स्थापित कर सके. डिजिटल इंडिया के साथ-साथ आइटी पार्क का प्रस्ताव बजट में होना चाहिए.
विनोद कुमार, अध्यक्ष, पाटलिपुत्र सर्राफा संघ
शराबबंदी के घाटे की हो भरपाई
शराबबंदी के बाद राजस्व में जो घाटा हो रहा है उसकी भरपाई के लिए अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गयी है.
बिहार बजट में इसकी भरपाई कैसे हो, इस पर विशेष प्रावधान की सख्त जरूरत है. जब तक राजस्व में बढ़ोतरी नहीं होगी तब तक विकास संबंधित आधारभूत संरचना आदि पर खर्च कैसे करेंगे. विकास कार्य में खर्च केंद्रीय ग्रांट या फिर अपना संसाधन होता है या ऋण लेकर होता है.ज्य में शराबबंदी से लगभग 5000 करोड़ रुपये की हानि हुई है. साथ की बिहार में नये उद्योग कैसे लगे इस पर ही गहन मंथन करना चाहिए.
सुरेश रुंगटा, पूर्व अध्यक्ष, मगध स्टॉक एक्सचेंज
दुर्घटना बीमा व पेंशन शुरू हो
वैट कानून के तहत लघु कर योजना को बढ़ा कर एक करोड़ पचास लाख किया जाये. बजट में बिहार के खुदरा विक्रेताओं के लिए दुर्घटना बीमा और पेंशन सुरक्षा योजना शुरू करने का प्रावधान किया जाये. साथ ही इसका गरीब लोगों को मिले. बजट में किसानों के विशेष बजट का प्रावधान किया जाये और उनके उत्पादन का सही- सही दाम मिल सके इस पर भी ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि इनके बिना राज्य का विकास संभव नहीं है. साथ ही कृषि यंत्रों पर छूट मिले ताकि वे आधुनिक यंत्र से खेती कर सके.
रमेश चंद्र तलरेजा, महासचिव, बिहार खुदरा विक्रेता महासंघ
लैंड बैंक बनाने की हो पहल
सबसे पहले बिहार बजट में सरकार को यह बताना चाहिए कि उद्योग के लिए अलाटमेंट के लिए क्या-क्या किया है. साथ ही बजट में उद्योग और बिल्डर्स के लिए लैंड बैंक की व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए. क्योंकि इसके बिना बिहार में नये उद्योग नहीं लग सकता है. लो कास्ट हाऊसिंग पर सरकार को सूबे के बिल्डर्स के लिए इस बजट में विशेष छूट का प्रावधान होना चाहिए. छूट मिलने से राज्य के रियल एस्टेट के कारोबार में बढ़ोतरी होगी जिसका लाभ सरकार को मिलेगा. .
एनके ठाकुर, अध्यक्ष, बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (पटना सेंटर)
प्रभात खबर परिचर्चा : समाज के हर वर्ग को बेहतरी की अपेक्षाएं, टैक्स में मिले राहत
कृषि यंत्रों का एसेम्बलिंग प्लांट लगे
कृषि क्षेत्र का आवंटन बढ़ना चाहिए. जैविक खेती को बढ़ावा देना केेे लिए विशेष प्रयास होने चाहिए. कृषि यंत्रों का एसेम्बलिंग प्लांट लगे ताकि उनकी कीमत कम हो सके.
कमल नोपानी, अध्यक्ष, राष्ट्रीय वैश्य महासभा
युवा उद्यमियों के लिए शुरू हो विशेष योजना
युवा उद्यमियों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए स्टार्ट अप इंडिया और स्टैंड अप इंडिया की तरह प्रांतीय बजट में भी विशेष योजनाएं शुरू की जानी चाहिए. इसके लिए विशेष फंड बनाया जाना चाहिए.
अवधेश कुमार भगत, व्यवसायी
इंटरटेनमेंट टैक्स की दर हो कम
इंटरटेनमेंट टैक्स की दर बहुत ऊंची है. इससे निम्न मध्यवर्ग पर अधिक असर पड़ता है. इसे कम किया जाना चाहिए. महिला उद्यमियों की सहायता के लिए इस बार के बजट में विशेष प्रावधान किये जाने चाहिए.
पुष्पा चोपड़ा, अध्यक्ष, महिला उद्योग संघ
ग्रामीण स्वास्थ्य व शिक्षा पर हो जोर
ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी अस्पताल व स्वास्थ्य संबंधी अन्य सेवाओं की बुरी स्थिति है. इसके लिए बजट में आवंटन बढ़ाने की जरूरत है. ग्रामीण शिक्षा की दशा को सुधारने के लिए भी विशेष उपबंध किये जाने चाहिए.
बिन्देश्वरी सिंह, सेवानिवृत बैंक अधिकारी
तार्किक हो करारोपण, मिलते-जुलते टैक्स करें माफ
करारोपण तार्किक होना चाहिए. एक ही व्यक्ति पर कई तरह के टैक्स नहीं लगाये जाने चाहिए. एक टैक्स लगायें तो अन्य मिलते-जुलते टैक्स को हटाना चाहिए.
विनय पप्पू , पूर्व उप महापौर, पटना नगर निगम
कला संस्कृति पर बढ़े बजटीय आवंटन
कला संस्कृति पर बजटीय आवंटन अभी नगण्य है. इसे बढ़ा कर जीडीपी का एक-दो फीसदी तक किया जाना चाहिए. पटना में एक भी ऑडिटोरियम ढंग का नहीं है. इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.
जयप्रकाश, रंगकर्मी
प्रभात खबर दफ्तर में परिचर्चा आयोजित हुई. इसमें समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े पाठक शामिल हुए जिसमें प्रोफेसर, शोधार्थी और वरीय अधिकारियों से लेकर कलाकार, उद्यमी और व्यवसायी तक शामिल थे. सभी ने राज्य सरकार के द्वारा 27 फरवरी को प्रस्तुत किये जानेवाले बजट पर अपनी राय रखी. साथ ही, अपने वर्ग से जुड़ी मांगें भी उठायीं और समाचार पत्र के माध्यम से उस ओर सरकार का ध्यान दिलाने का प्रयास किया.
महिला कॉलेज के लिए अलग हो
बजट प्रावधान
महिलाओं के कॉलेज के लिए अलग से बजटका प्रावधान होना चाहिए क्योंकि महिला शिक्षा को नि:शुल्क करने से महिला कॉलेज की आय कम हो गयी है. टैक्स में बढ़ोतरी की आशंका है. इससे बचना चाहिए क्योंकि ऐसा होने पर अंतत: आम लोग ही प्रभावित होंगे.
प्रो. रास बिहारी सिंह, पूर्व वीसी, नालंदा मुक्त विवि
किसानों के लिए बढ़े समर्थन मूल्य
चीनी मिल पर बजट आवंटन बढ़ाना चाहिए और इसके लिए विशेष प्रबंध किये जाने चाहिए. आलू का समर्थन मूूल्य बढ़े ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके.
विनीत कुमार, शोधार्थी
शोध के लिए मिले अधिक राशि
शोध पर सरकार का बजट बहुत कम है. शोध के लिए सरकार अधिक पैसा मुहैया कराये. कृषि को भी टैक्स के दायरे में लाया जाये. खासकर बड़े भूस्वामियों को जो छूट का बेजा फायदा उठा रहे हैं. बड़े भूस्वािमयों को छूट का फायदा नहीं िमलना चािहए.
अनीश अंकुर, वरिष्ठ रंगकर्मी
उच्च शिक्षा पर बढ़े आवंटन
उच्च शिक्षा पर आवंटन बढ़ाया जाना चाहिए. धनराशि के आवंटन के साथ साथ उसकी उपयोगिता भी देखी जानी चाहिए. पापुलिस्ट बजट से बचे. शिक्षा संस्थाओं को स्वायत्ता सिर्फ नाम की नहीं, बल्कि व्यावहारिक रूप में मिलनी चाहिए.
प्रो. बलराम तिवारी, पूर्व रजिस्टार, पटना विवि
स्वास्थ्य व मेडिकल टीचिंग पर खर्च बढ़े
स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट जीडीपी के एक फीसदी से बढ़ा कर कम से कम तीन-चार फीसदी करना चाहिए. मेडिकल कॉलेज में टीचिंग की व्यवस्था कमजोर हो गयी है. उसे दुरुस्त करने के लिए विशेष प्रावधान किये जाने चाहिए. मल्टी स्पेश्यिलिटी अस्पतालों के निर्माण की व्यवस्था भी की जानी चाहिए.
डॉ. दिवाकर तेजस्वी, वरीय चिकित्सक

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें