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कार हादसा : 7:30 बजे जन्मा था तरुष, 20वें बर्थडे पर उसी वक्त हो गयी मौत

कार हादसा. कोई इकलौता चिराग, तो कोई था आंखों का तारा पटना : रूपसपुर थाने के सामने हुए कार हादसे में गुरुवार को तीन युवकों की मौत हो गयी थी. इनका अंतिम संस्कार गुलबी घाट और बांस घाट पर मातमी माहौल में हुआ. परिजनों की हालत ऐसी कि काटो तो खून नहीं. सभी के आंसू […]

कार हादसा. कोई इकलौता चिराग, तो कोई था आंखों का तारा
पटना : रूपसपुर थाने के सामने हुए कार हादसे में गुरुवार को तीन युवकों की मौत हो गयी थी. इनका अंतिम संस्कार गुलबी घाट और बांस घाट पर मातमी माहौल में हुआ. परिजनों की हालत ऐसी कि काटो तो खून नहीं. सभी के आंसू रो-रो कर सूख चुके थे.
मृत युवकों में कोई अपने परिवार का इकलौता चिराग था, तो कोई इतना होनहार कि उससे मां-बाप ने बड़ी-बड़ी उम्मीदें पाल रखी थीं. तरुष कुमार सिन्हा के पिता सत्य प्रकाश सिन्हा ने दिल पर पत्थर रखकर अपने आसूं पोछते हुए बताया कि कल उसका 20वां जन्मदिन था. शाम में दोस्तों के साथ जन्मदिन मनाने के लिए वह गया था. मैं बधाई देने के लिए उसके लौटने का इंतजार कर रहा था कि कार दुर्घटना की सूचना मिली और मौत उसे अपने साथ ले गयी. दुर्भाग्य से साढ़े सात बजे यह सब कुछ हुआ, जो उसके जन्म का समय भी था.
वहीं, जयंत मुखर्जी व आस-पड़ोस के कई लोगों से भी प्रभात खबर की टीम ने बात की. सभी ने तरुष को बेहद मिलनसार और हंसमुख स्वभाव का बताया. यह भी मालूम हुआ कि तरुष को बचपन से ही वाहनों से विशेष लगाव था. आठवीं कक्षा से ही उसने कार चलाना शुरू कर दिया था और इसकी छोटे-मोटे खराबियों को भी वह खुद ही दूर कर लेता था.
राजबीर से थीं बड़ी उम्मीदें
कंकड़बाग के बड़े ऑटोमोबाइल कारोबारी और बिल्डर राजेंद्र सिंह बग्गा के पुत्र राजबीर बग्गा की भी गुरुवार को हुए कार दुर्घटना में मौत हो गयी. फ्रेजर रोड गुरुद्वारा में अपने पुत्र के अंतिम विदाई की रस्म पूरा करते समय वे अंदर से पूरी तरह टूटे दिखे. पत्नी और पुत्री को सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे लेकिन खुद उनके आंसू थम नहीं रहे थे. मां और बहन का भी रो-रो कर बुरा हाल था. राजबीर के चाचा अर्जुन बग्गा ने बताया कि उनका भतीजा बेहद प्रतिभाशाली था, जिससे पूरे परिवार को बहुत उम्मीदें थीं. उसके पड़ोसी विशाल ने बताया कि वह दिल का बहुत अच्छा था और हमेशा दूसरे की मदद के लिए तैयार रहता था. राजबीर के सहपाठी दानीश्वर ने बताया कि अक्सर उससे मिलना होता था. विश्वास ही नहीं होता है कि अब वह हमारे बीच नहीं है.
भाश्वत ने डिबेट में जीते थे कई पदक
नागेश्वर कॉलोनी निवासी भुवन मुखर्जी के इकलौते बेटे भाश्वत मुखर्जी की मौत भी कार हादसे में हो गयी. उसके दोस्त कैलाश ने बताया कि वह एक बहुत अच्छा डिबेटर था, जिसने अपनी एक डिबेटिंग सोसाइटी बना रखी थी. कई पदक भी उसने जीते थे. दीप्तोरूप ने बताया कि लीगल मैटर पर उसकी बहुत अच्छी पकड़ थी. भाश्वत के माता पिता और बहन का भी कहना था कि अगर वह बच जाता तो बहुत बड़ा वकील बनता. उसके एक अन्य मित्र आदित्य ने राजनीति में उसके रुझान को बताते हुए कहा कि वह बड़े शौक से अपने बंडी पर फ्यूचर प्राइम मिनिस्टर का टैग लगाता था. अपनी एक कैबिनेट भी उसने बना रखी थी. उसके ड्रेस सेंस, बेहतरीन थे. उसके मित्र तबशीर ने कहा कि उसे जीतना बहुत पसंद था. पढ़ाई में तो वह अव्वल रहता ही था, खेल के मैदान में भी कभी पीछे नहीं रहना चाहता था. बैडमिंटन में कभी वह हार जाता, तो तब तक रैकेट नहीं छोड़ता था, जब तक गेम जीत नहीं ले.
इंजीनियर बनना चाहता था तरुष : इंटर के छात्र तरुष की इच्छा ऑटोमोबाइल इंजीनियर बनने की थी और वह इसके लिए तैयारी भी कर रहा था. दुर्घटना की वजहों के बारे में पूछने पर मालूम हुआ कि रांग साइड से आते गाड़ी को बचाने का प्रयास इसकी वजह बनी और दम घुटने से अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसका देहांत हो गया.

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