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जांच चौकी पर सीसीटीवी से विभाग की नजर : सुजाता
पटना : नोटबंदी का असर केवल आम लाेगों पर ही नहीं पड़ा है. बल्कि, बिहार के उद्योग-धंधों पर भी पड़ा है. इसके कारण वाणिज्य कर विभाग को कम कर प्राप्त हो रहे हैं. ये बातें वाणिज्य कर विभाग की प्रधान सचिव सह वाणिज्य कर आयुक्त सुजाता चतुर्वेदी ने मंगलवार को बीआइए परिसर में आयोजित संवाद […]
पटना : नोटबंदी का असर केवल आम लाेगों पर ही नहीं पड़ा है. बल्कि, बिहार के उद्योग-धंधों पर भी पड़ा है. इसके कारण वाणिज्य कर विभाग को कम कर प्राप्त हो रहे हैं. ये बातें वाणिज्य कर विभाग की प्रधान सचिव सह वाणिज्य कर आयुक्त सुजाता चतुर्वेदी ने मंगलवार को बीआइए परिसर में आयोजित संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं. उन्होंने कहा कि जब कारोबार नहीं होगा, तो कर कहां से मिलेगा. लेकिन, नोटबंदी का असर धीरे-धीरे कम हो रहा है. चतुर्वेदी ने कहा कि प्रतिपूर्ति के लिए मॉडल बनाया जा रहा है. इसमें प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी.
इसके लिए अपनी तकनीकी टीम से रूपरेखा तैयार करवायी जा रही है. पहले आआे, पहले पाओ के आधार पर प्रतिपूर्ति आवेदन की ऑनलाइन व्यवस्था जल्द शुरू हो जायेगी. उन्होंने कहा कि वैट कानून में कोई बदलाव नहीं हो सकता है क्योंकि, जीएसटी में सभी कानून समाहित हो जायेंगे.
मंत्री के यहां भी सीसीटीवी मॉनीटरिंग की सुविधा : उन्होंने बताया कि शिकायत मिलने पर मैंने खुद जांच चौकी का निरीक्षण किया था. इस दौरान कई तथ्य सामने आये थे. उसके बाद कई निर्देश भी दिये गये हैं. चतुर्वेदी ने कहा कि जांच के नाम पर वाहनों को लंबे समय तक रोके रखे जाने का कोई औचित्य नहीं है. अगर कोई अधिकारी ऐसा करता है, तो उस पर कार्रवाई की जायेगी. जांच चौकी के कार्यकलाप पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी लगाये गये हैं. इसके अलावा मंत्री के यहां भी मॉनीटरिंग की सुविधा है. इसके लिए विशेष टीम बनायी गयी है, जो उस पर नजर रखती है.
इसके पूर्व बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से पुरूषोतम अग्रवाल ने कई बिंदुओं पर प्रकाश डाला और उन पर विचार करने की
मांग रखी.
इस पर वाणिज्य कर आयुक्त सुजाता चतुर्वेदी ने विचार करने का भरोसा दिया. मौके पर बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राम लाल खेतान, उपाध्यक्ष संजय भरतिया, अरविंद कुमार सिंह, संजय गोयनका, मनीष तिवारी, वाणिज्य कर विभाग के संयुक्त सचिव अरुण कुमार मिश्रा, उपायुक्त सीमा भारती आदि मौजूद थीं.
ब्रांडेड और जेनरिक दवाओं में अंतर नहीं
आम उपभोक्ताओं में भ्रम रहता है कि ब्रांडेड और जेनरिक दवाओं की गुणवत्ता में भारी अंतर होता है. जेनरिक दवाओं के सेवन से रोग काफी देर में ठीक होता है. जबकि, ब्रांडेड दवाओं के खाते ही रोग छू-मंतर हो जाते हैं. लोगों के दिल और दिमाग से यह भ्रम निकालना काफी मुश्किल है.
विशेषज्ञ कहते हैं कि दोनों ही दवाओं की गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं है. लोगों के बीच भ्रम को दूर करने के लिए रिसर्च भी हुए हैं. रिसर्च में साफ हो चुका है कि दोनों दवाओं के साल्ट में रत्ती भर भी अंतर नहीं होता. मंगलवार को आइजीआइएमएस में इंडियन फाॅर्मोकोविजिलेंस सोसायटी के 50वें गोल्डेन जुबली प्रोग्राम में ये बातें विशेषज्ञों ने कहीं. तीन दिवसीय गोल्डेन जुबली प्रोग्राम के दूसरे दिन उद्घाटन एडिशनल सेक्रेटरी पीके झा ने किया. गोल्डेन जुबली पर आइजीआइएमएस, पीएमसीएच और आरएमआरआइ के डॉक्टरों के बीच एक कार्यशाला का आयोजन भी किया जा रहा है. दिल्ली एम्स फाॅर्माकोलोजी विभाग के डॉ वाइके गुप्ता ने दवाओं की गुणवत्ता के बारे में बताया. एंटीबायोटिक दवाओं के बारे में उन्होंने बताया कि इन दिनों लोग सरदी, खांसी, सिर दर्द, बदन दर्द, बुखार आदि में एंटीबायोटिक दवा खरीद कर खा लेते हैं. ऐसे में दवाओं का कुप्रभाव भी पड़ता है.
ऐसे में लोग बिना डॉक्टर की सलाह के दवा नहीं ले. वहीं, कोलकाता से आये डाॅ एसके त्रिपाठी ने कहा कि एंटीबायोटिक दवाओं के लगातार दुरूप्रयोग से इंसान की रोग-प्रतिरोधक क्षमता तेजी से घट रही है. इसके लिए लोगों को जागरूक होना काफी जरूरी है. वहीं, आइजीआइएमएस के डायरेक्टर डॉ एनआर विश्वास व फाॅर्माकोलोजी विभाग के हेड डॉ हरिहर दीक्षित व प्रोफेसर हेड डॉ हितेश मिश्रा ने दवाओं के साइड इफेक्ट के बारे में बताया. साथ ही उन्होंने अस्पताल में होनेवाली दवाओं पर रिसर्च के बारे में भी अपनी बातें रखी. डॉ दीक्षित ने कहा कि कार्यशाला में भारत से 600 से अधिक डॉक्टरों ने भाग लिया हैं.
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