पटना : नवादा जिला में एससी-एसटी छात्रवृत्ति घोटाले के मामले की जांच कर रही इओयू (आर्थिक अपराध इकाई) को इसके तार कई दूसरे जिलों से भी जुड़े मिले हैं. नवादा के मामले की जांच के दौरान इओयू को ऐसी कई जानकारी और दस्तावेज मिले हैं, जिससे पटना, मोतिहारी, शेखपुरा, आरा समेत कुछ अन्य जिलों से लिंक मिले हैं.
इसके आधार पर इओयू संबंधित जिलों से जुड़े लोगों की छानबीन करने में जुट गया है. अब तक हुई जांच में इस घपलेबाजी में पटना के कुछ निजी कंसल्टेंसी के नाम अब तक सामने आ चुके हैं. इन निजी कंसल्टेंसी एजेंसियों ने ही विभागीय अधिकारियों, छात्रों और निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों के बीच मुख्य रूप से दलाली करने की भूमिका निभायी थी.
नवादा के बाहर के जिलों में जिन लोगों के तार इससे जुड़े मिले हैं. इसमें दो तरह के लोग शामिल हैं. एक, वैसे लोग जिनके बैंक खाते में छात्रवृत्ति के रुपये ट्रांसफर किये गये हैं. दूसरा, जिन लोगों के माध्यम से निजी इंजीनियरिंग संस्थानों में छात्रों का नामांकन कराया गया था या संबंधित छात्रों की जानकारी के बिना ही इनके दस्तावेजों का इस्तेमाल करके इनका नामांकन मध्य प्रदेश या देहरादून के कॉलेजों में करा दिया गया है.
इन दोनों तरह के तकरीबनसभी लोगों की पहचान हो चुकी है.
इनकी गिरफ्तारी जल्द शुरू होने जा रही है.इन छात्रों का नामांकन दिखाकर विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से छात्रवृत्ति के रुपये निकाल लिये गये हैं. अब तक हुई जांच में यह बात भी सामने आयी है कि जिन जिलों में इस घोटाले के लिंक मिल रहे हैं, वहां के छात्रों का बिना किसी कॉलेज में एडमिशन कराये ही छात्रवृत्ति निकाल ली गयी है.
नवादा से जुड़ा यह है पूरा मामला
वर्ष 2012-13 में नवादा जिला के एससी-एसटी वर्ग के 60 छात्रों का एडमिशन देहरादून, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के 10 इंजीनियरिंग कॉलेजों में कराया गया. पंरतु इन छात्रों के लिए वर्ष 2015 के जनवरी में एससी-एसटी कल्याण विभाग ने यह कहते हुए रुपये जारी किया कि ये छात्र पिछले वर्ष छूट गये थे. जब पूरे मामले की जांच की गयी, तो पता चला कि सभी 60 छात्रों का कभी किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन ही नहीं हुआ. कागज पर जिन 10 इंजीनियरिंग कॉलेजों का उल्लेख किया गया है. उनमें पांच देहरादून के हैं, जो वास्तविकता में जमीन पर कहीं मौजूद ही नहीं हैं.
शेष पांच कॉलेज महाराष्ट्र एवं एमपी में तो हैं, लेकिन इनमें कभी किसी छात्र का एडमिशन हुआ ही नहीं है. देहरादून के फर्जी कॉलेज में ही सबसे ज्यादा 50 छात्रों का एडमिशन दिखाया गया था. शेष महाराष्ट्र और एमपी के जिन पांच कॉलेजों में 10 छात्रों का एडमिशन दिखाया गया है. परंतु हकीकत में इन छात्रों का कभी एडमिशन इन कॉलेजों में हुआ ही नहीं है. मुख्यालय में अधिकारियों की मिलीभगत से गलत कागज दिखाकर पूरी छात्रवृत्ति का बंदरबांट हुआ है. अब नवादा जिला से इसके तार दूसरे जिलों तक पहुंच गये हैं, जिससे जांच का दायरा बढ़ गया है.