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पीएमसीएच में भी स्टेपलर तकनीक से ऑपरेशन शुरू

सर्जरी विभाग में बिना धागे के होगी चमड़े की सिलाई पटना : टना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में अब मरीजों का सर्जरी के दौरान अधिक खून नहीं बह रहा है. ऑपरेशन के बाद टांके के लिए धागे की भी जरूरत नहीं पड़ रही है. क्योंकि, अस्पताल में स्टेपलर (सर्जरी में काम आने वाला उपकरण) तकनीक […]

सर्जरी विभाग में बिना धागे के होगी चमड़े की सिलाई
पटना : टना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में अब मरीजों का सर्जरी के दौरान अधिक खून नहीं बह रहा है. ऑपरेशन के बाद टांके के लिए धागे की भी जरूरत नहीं पड़ रही है.
क्योंकि, अस्पताल में स्टेपलर (सर्जरी में काम आने वाला उपकरण) तकनीक का इस्तेमाल शुरू हो गया है. यह तकनीक बड़ी और छोटी आंत में होनेवाली सर्जरी में उपयोग है. ऐसे में मरीजों को कई तरह के फायदे हो रहे हैं.
नि:शुल्क है सर्जरी : पीएमसीएच में स्टेपलर से सर्जरी कराने पर कोई चार्ज नहीं लिया जा रहा है. यह व्यवस्था पूरी तरह से नि:शुल्क है. अस्पताल प्रशासन की ओर से मरीजों को सर्जरी विभाग में स्टेपल मुहैया कराया गया है. जबकि, इस तकनीक से निजी अस्पतालों में ऑपरेशन कराने पर मरीजों को 25 से 30 हजार रुपये अधिक चार्ज देने पड़ते हैं. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अगर स्टेपलर लगाने से पहले कोई भी डॉक्टर पैसे की मांग करे, तो वह अधीक्षक या फिर प्रिंसिपल से शिकायत कर सकते हैं.
क्या है स्टेपलर तकनीक
एनएमसीएच के डॉ महेश प्रसाद का कहना है कि बड़ी और छोटी आंत में होनेवाली सर्जरी के दौरान डॉक्टर स्टेपलर का इस्तेमाल करते हैं. इससे डॉक्टरों को हाथ से चमड़े की सिलाई नहीं करनी पड़ती है. साथ ही शरीर को चीरने के बाद बंद करने के लिए धागे की भी जरूरत नहीं पड़ती है.
डॉ प्रसाद ने कहा कि जो बड़ी सर्जरी होने पर एक लीटर खून के बजाय अब 200 मिली लीटर खून का ही नुकसान होता है. इसके अलावा पहले काटने या फिर गलने के लिए दवा दी जाती थी, लेकिन इसमें मरीज को किसी तरह की कोई दवा खाने की जरूरत नहीं है. इससे पेट के अंदर इंफेक्शन भी नहीं होता है. चीरे के ऑपरेशन में मरीज को तीन सप्ताह तक दवा खानी पड़ती है व परेशानी भी झेलनी पड़ती है. जबकि, स्टेपलर से ऑपरेशन होने पर मरीज को ज्यादा तकलीफ नहीं होती है. दवाई पर भी ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता है.

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