पटना : 25 फरवरी, 1925 को पीएमसीएच की स्थापना एक बेहतर भविष्य को देखते हुए की गयी थी. यही कारण है कि यहां के कितने ही पूर्ववर्ती छात्र आज देश-दुनिया में इस संस्थान का नाम रोशन कर रहे हैं. लेकिन, आज संसाधनों में कमी के कारण छात्रों को बेहतर पढ़ाई का न मौका मिल पा रहा है और न ही माहौल.
यह तो हुई छात्र की बात, लेकिन यहां के मरीजों की भी कुछ वैसी ही स्थिति है. आज भी उनका इलाज 89 साल पुराने संसाधनों के सहारे किया जा रहा है, जबकि आज जमाना बदल गया है. आज के मरीजों की बीमारी भी नयी है और उनकी जांच भी नयी, पर पीएमसीएच इस मामले में पिछड़ा हुआ है. यही वजह है कि गंभीर बीमारी की चपेट में आये मरीज इलाज कराने के लिए महानगरों की ओर कूच कर जाते हैं. यहां के पूर्ववर्ती छात्रों का मानना है कि अब इसे ऑटोनोमश बना दिया जाये, तभी इसकी पुरानी गरिमा दोबारा लौट सकेगी.
पिछले स्थापना दिवस में क्या कहा था सीएम ने : पीएमसीएच को अगर ऑटोनोमश बनाने से विकास हो सकता है और संसाधन बढ़ाये जा सकते हैं, तो इस पर भी विचार करने की जरूरत है. क्योंकि, कभी-कभी देखा गया है कि विकास मंद में पैसा होता है, लेकिन अस्पताल प्रशासन उसे खरीद नहीं पाता है. उसे डर होता है कि बाद में विजिलेंस की पूछताछ हो जायेगी.
इसलिए पीएमसीएच को ऑटोनोमश बना दिया जाये, तो यहां की प्रशासनिक व्यवस्था खुद भी कई निर्णय लेकर काम को आगे बढ़ायेगी. जहां तक पुराने भवन की बात है, तो उसे तोड़ कर मल्टी स्टोरेज बनाया जा सकता है, ताकि जगह और भीड़ के मुताबिक संसाधन भी बढ़े. अगर पुराने भवन को तोड़ने में परेशानी होगी कि इतने पुराने इतिहास को कैसे खत्म किया जाये, तो इसके लिए एक म्यूजियम बनाया जाये, डॉक्यूमेंट्री बनायी जाये, ताकि लोग देख सके कि यहां के पुराने भवन ऐसे थे और ये हमारे वरीय चिकित्सक व व्यवस्थापक हैं, जो यहां अपना काम करते थे.