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फाइलों में उलझ गयी मुख्यमंत्री आदर्श नगर निकाय योजना
पटना : मुख्यमंत्री आदर्श नगर निकाय योजना फाइलों में उलझ गयी है. पुरस्कार देने के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग नगरपालिकाओं से चार माह पहले समय सीमा तय की थी. नगरपालिकाओं को अपने कार्यों का खुद निर्धारण किया जाना था. इसका दूसरा पक्ष जनता की राय लेनी थी. विभाग को अभी तक 31 जिलों […]
पटना : मुख्यमंत्री आदर्श नगर निकाय योजना फाइलों में उलझ गयी है. पुरस्कार देने के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग नगरपालिकाओं से चार माह पहले समय सीमा तय की थी. नगरपालिकाओं को अपने कार्यों का खुद निर्धारण किया जाना था. इसका दूसरा पक्ष जनता की राय लेनी थी. विभाग को अभी तक 31 जिलों की नगरपालिकाओं द्वारा जनता की धारणा की रिपोर्ट नहीं मिल पायी है. विभाग ने सभी जिलों को दोबारा रिपोर्ट भेजने का निर्देश भेजा है.
मुख्यमंत्री आदर्श नगर निकाय प्रोत्साहन योजना के तहत नगर निगम के बीच एक निगम को पांच करोड़, दो नगर परिषदों को तीन-तीन करोड़ और तीन नगर पंचायतों को एक-एक करोड़ रुपये पुरस्कार के तौर पर दिया जाना है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य की नगरपालिकाओं को स्वच्छता को लेकर स्वस्थ्य प्रतियोगिता आरंभ करने के लिए मुख्यमंत्री आदर्श नगर निकाय योजना की 16 जुलाई, 2015 को घोषणा की थी. नगर विकास एवं आवास विभाग ने इसके लिए मानक तैयार करते हुए नगर निकायों को स्व निर्धारण करते हुए पत्र लिखा था. सितंबर 2016 में ही रिपोर्ट देने की तिथि निर्धारित की गयी थी.
विभाग के मानकों में शासन, आधारभूत संरचना का विकास, वित्तीय प्रबंधन, सामाजिक विकास, गत वर्ष में किया गया अभिनव कार्य, आवास, लोक भागीदारी और जनता की धारणा व राय पर अलग -अलग अंक निर्धारित किये गये हैं. शासन के लिए 25 अंक, बुनियादी ढांचा के लिए 40 अंक, जलापूर्ति के लिए 10 अंक, सीवरेज एवं स्वच्छता के लिए 10 अंक, अन्य बुनियादी सुविधा के लिए 10 अंक, नगरपालिका वित्त के लिए 25 अंक, सामाजिक विकास 25 अंक,रिपोर्टिंग वर्ष में परिवर्तनात्मक कार्य के लिए 10 अंक, आवास के लिए 10 अंक, सार्वजनिक भागीदारी के लिए 25 अंक के साथ जनता की धारणा के लिए 50 अंक निर्धारित किये गये हैं. जनता की धारणा पर अंकों का निर्धारण संबंधित जिलाधिकारी द्वारा किया जायेगा. विभाग के नगरपालिका निदेशक भरत झा ने बताया कि जिलों की अवधारणा की रिपोर्ट भेजने के लिए जिलों को एक फिर से स्मार भेजा जा रहा है.
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