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शराब मामलों के लिए विशेष कोर्ट गठित नहीं
15000 से ज्यादा अभियुक्त गिरफ्तार, विशेष कोर्ट नहीं होने के कारण मुकदमा नहीं दिसंबर तक 11,172 एफआइआर हुई दर्ज पटना : राज्य में शराबबंदी कानून पांच अप्रैल से लागू है. इस कानून को और सख्त तरीके से लागू करने के लिए संशोधित कानून (उत्पाद अधिनियम (संशोधित)-2016) दो अक्तूबर को लागू हुआ. नये विधेयक के अंतर्गत […]
15000 से ज्यादा अभियुक्त गिरफ्तार, विशेष कोर्ट नहीं होने के कारण मुकदमा नहीं
दिसंबर तक 11,172 एफआइआर हुई दर्ज
पटना : राज्य में शराबबंदी कानून पांच अप्रैल से लागू है. इस कानून को और सख्त तरीके से लागू करने के लिए संशोधित कानून (उत्पाद अधिनियम (संशोधित)-2016) दो अक्तूबर को लागू हुआ.
नये विधेयक के अंतर्गत सभी जिलों में स्पेशल कोर्ट गठित करने का प्रावधान बना, पर अभी तक इस तरह के कोर्ट को गठित करने से संबंधित कोई पहल नहीं हुई. इससे शराबबंदी कानून में गिरफ्तार हुए लोगों पर मुकदमा नहीं चल पा रहा है.
इसकी मुख्य वजह इस कानून के तहत पकड़े गये लोगों को सजा दिलाने के लिए विशेष न्यायालय का गठन नहीं किया जाना है. उत्पाद विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, विधि विभाग को इन न्यायालयों का गठन करने के लिए हाइकोर्ट से अनुरोध करना है. इसकी प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है.
पूर्ण शराबबंदी कानून के राज्य में लागू होने के बाद अप्रैल से दिसंबर 2016 तक पूरे राज्य में पुलिस ने 11,172 एफआइआर दर्ज की. इस आरोप में 15,000 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. इस दौरान 178,000 लीटर देसी और 2.50 लाख लीटर विदेशी शराब जब्त की गयी है. नये उत्पाद कानून में आरोपियों की गिरफ्तारी कर जेल भेजने का काम तेजी से हो रहा है, लेकिन इनके खिलाफ मुकदमा नहीं चल रहा है.
इस वजह से कई अभियुक्त कुछ महीनों में ही जेल से छूट जाते हैं. मुकदमा नहीं चलने से आरोपियों को नये उत्पाद कानून के तहत सजा नहीं मिल पा रही है और न ही कोई जुर्माना ही हो पा रहा है. जबकि नये उत्पाद अधिनियम में एक से 10 लाख रुपये तक जुर्माना और उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है.
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