Advertisement
गोहत्या प्रतिबंध का भाजपा करेगी पूरा समर्थन : सुशील मोदी
पटना : वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि लालू प्रसाद की पार्टी गोवंशीय पशुओं के वध पर प्रतिबंध के लिए कोई भी पहल करती है तो भाजपा उसका पूरा समर्थन करेगी. मोदी ने स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव के वृंदावन में दिये गये उस बयान का भी स्वागत किया […]
पटना : वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि लालू प्रसाद की पार्टी गोवंशीय पशुओं के वध पर प्रतिबंध के लिए कोई भी पहल करती है तो भाजपा उसका पूरा समर्थन करेगी.
मोदी ने स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव के वृंदावन में दिये गये उस बयान का भी स्वागत किया है कि बिहार सरकार शराबबंदी के बाद गोहत्या पर भी प्रभावी रोक लगायेगी. संपूर्ण गोवंशीय पशुओं के वध पर प्रभावी रोक लगाना वर्तमान समय की मांग है. मोदी ने कहा कि मंत्री ने महागंठबंधन के बड़े नेता लालू यादव के निर्देश पर ही इस तरह का बयान दिया होगा. बिहार में गोहत्या पर प्रतिबंध के लिए लागू बिहार पशु संरक्षण व सुधार अधिनियम 1955 जो करीब 60 साल पुराना है और इसके कतिपय छूट का लाभ उठा कर गोहत्या व कटने के लिए गोवंशीय पशुओं को बाहर भेजने का धंधा धड़ल्ले से जारी है.
इस कानून में 15 वर्ष से अधिक उम्र के बैल, सांढ़ और प्रजनन के लिए स्थायी तौर पर अयोग्य गाय के वध की छूट का लाभ उठा कर जहां गोवंशीय पशुओं का वध बेरोक टोक जारी है. कानून के उल्लंघन पर मात्र छह माह का कारावास या एक हजार रुपये जुर्माना के प्रावधान के कारण भी प्रभावी प्रतिबंध संभव नहीं हो पा रहा है. झारखंड में झारखंड गोवंशीय पशु हत्या प्रतिषेध अधिनियम 2005 में 10 साल की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान है.
जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली आदि राज्यों में सम्पूर्ण गोवंशीय पशुओं के वध पर प्रतिबंध है. 2005 में सुप्रीम कोर्ट की एक सात सदस्यीय बेंच ने भी संपूर्ण गोवंशीय पशुओं के वध पर लगे प्रतिबंध को वैध ठहराया है.
राजग सरकार के दौरान सोनपुर पशु मेले से बड़ी संख्या में पशुओं को काटने के लिए पश्चिम बंगाल ले जाने पर रोक लगाई गयी थी. अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी संपूर्ण गोवंशीय पशुओं के वध पर प्रभावी रोक के लिए पुराने कानून में व्यापक संशोधन कर कठोर सजा के प्रावधान करने की जरूरत है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement