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अनुदान लेने को आगे नहीं आ रहे उद्यमी
नयी औद्योगिक नीति के कड़े प्रावधान का असर पटना : नये उद्योग खोलने के लिए अनुदान लेने वाले उद्यमी अब अनुदान राशि को किस्तों में वापसी नहीं कर पायेंगे. नया उद्योग लगाने को विभाग उद्यमियों को जो अनुदान राशि देगा, यदि पांच वर्ष में उद्योग न चले, तो उद्यमियों को सूद समेत उसे वापस करना […]
नयी औद्योगिक नीति के कड़े प्रावधान का असर
पटना : नये उद्योग खोलने के लिए अनुदान लेने वाले उद्यमी अब अनुदान राशि को किस्तों में वापसी नहीं कर पायेंगे. नया उद्योग लगाने को विभाग उद्यमियों को जो अनुदान राशि देगा, यदि पांच वर्ष में उद्योग न चले, तो उद्यमियों को सूद समेत उसे वापस करना होगा. नयी औद्यौगिक नीति में उद्योग विभाग ने इसका प्रावधान किया है.
नयी औद्योगिक नीति के कड़े प्रावधान का असर यह हुआ है कि अनुदान लेने को पहले की तरह उद्यमी आगे नहींआ रहे.वर्ष 2016 में दिसंबर तक मात्र तीन उद्योगों ने 57.46 लाख रुपये का अनुदान लिया है. उद्योग विभाग ने पटना, पूर्णिया और लखीसराय के तीन बिस्कुट और कृषि उद्योगों के लिए 57.46 लाख रुपये की अनुदान की स्वीकृति दी है. तीनों उद्योगों को डीजी सेट्स और कैप्टिव पावर प्लांट लगाने के लिए 57.46 लाख का अनुदान स्वीकृत हुआ है. बिहार में सबसे अधिक फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री लगाने में उद्यमियों की रुचि है, किंतु अनुदान संबंधी नये प्रावधान ने उनके हौसले भी पस्त कर दिये हैं.
उद्यमियों की अनुदान लेने में हिचकिचाहट दूर करने के लिए विभाग उद्यमियों के बीच जागरूकता अभियान चलायेगा. अब तक नया उद्योग लगाने को उद्योग विभाग उद्यमियों को 20 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी देता था. इसके अलावा उन्हें वैट में 300 प्रतिशत की छूट भी मिलती थी. अब उद्योग विभाग नये उद्योग लगाने को उद्यमियों को कैपिटल सब्सिडी नहीं, बल्कि अनुदान देगा. अनुदान इस शर्त पर दी जा रही कि यदि पांच वर्षों तक उद्योग सही ढंग से नहीं चले, तो उद्यमियों को सूद सहित राशि विभाग को लौटानी होगी. बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन अनुदान की इस नयी प्रक्रिया पर मंथन कर रहा है.
एसोसिएशन के अध्यक्ष राम गोपाल खेतान ने कहा है कि इंडस्ट्री न चलने या चलाने पर राशि वापसी का प्रावधान तो उचित है, परंतु पांच वर्ष बाद इंडस्ट्री फेल होने पर सूद समेत राशि वापसी का प्रावधान उलझाने वाला है. एसोसिएशन इस पर अपनी बैठक में विमर्श करेगा आगे की रणनीति बनायेगा.
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