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जमीन खरीद मामले में केंद्र ने भी किया गंभीर अपराध : जदयू

पटना : जदयू के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक, प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह, नीरज कुमार व राजीव रंजन प्रसाद ने मंगलवार को भाजपा से सितंबर में ही ज्यादा जमीन खरीदने और केंद्र सरकार द्वारा गोपनीयता भंग करने को लेकर छठा सवाल पूछा. जदयू नेताओं ने कहा कि कालाधन को सफेद करने की केंद्र की साफ एवं […]

पटना : जदयू के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक, प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह, नीरज कुमार व राजीव रंजन प्रसाद ने मंगलवार को भाजपा से सितंबर में ही ज्यादा जमीन खरीदने और केंद्र सरकार द्वारा गोपनीयता भंग करने को लेकर छठा सवाल पूछा. जदयू नेताओं ने कहा कि कालाधन को सफेद करने की केंद्र की साफ एवं प्यारी योजना का भरपूर आनंद उठाया. जदयू नेताओं ने कहा कि नोटबंदी के पहले भाजपा ने बड़े पैमाने पर जमीन की खरीद जमकर कालाधन को सफेद करने की केंद्र सरकार ने अंतिम क्षण तक उपयोग किया.
इसमें उसकी सहायता करने के लिए केंद्र सरकार ने गोपनीयता भंग करके भाजपा को भविष्य के सरकारी अभियानों की जानकारी दी. पार्टी नेताओं ने कहा कि जमीन खरीद में केवल भाजपा के विरुद्ध महज आर्थिक अपराधों का ही मामला नहीं बनता बल्कि केंद्र सरकार के विरुद्ध भी बड़े गंभीर और संवैधानिक सवाल खड़े होते हैं.
जदयू नेताओं ने कहा कि पूरे प्रकरण की टाइम लाइन इसकी ओर स्पष्ट इशारा करती है. केंद्र ने एक जून, 2016 से 30 सितंबर 2016 तक के लिए कालाधन सफेद करने की स्कीम लांच की थी. यानी इनकम डिक्लरेशन स्कीम.
बिहार में भाजपा द्वारा की गयी जमीन खरीद का इससे गहरा रिश्ता है. बीजेपी द्वारा बिहार में जमीन खरीदने के अपनी जानकारी में आय 31 मामले अप्रैल से अक्तूबर के बीच संपन्न हुए. इनमें से सर्वाधिक 15 खरीददारी (49 फीसदी) केंद्र के इनकम डिक्लरेशन स्कीम के अंतिम महीने सितंबर में हुई. इन 15 मामलों में ही सभी 31 जमीन खरीद दिखलायी गयी है. इसकी कुल कीमत का 58 फीसदी यानी आठ करोड़ बासठ लाख छत्तीस हजार रुपये का भुगतान किया गया. स्कीम के दौरान जून में एक और अगस्त में दो खरीदारी भी की गयी है.
हालांकि जमीन खरीद के लिए 16 फरवरी, 2016 को ही पार्टी की तरफ से अधिकारिक पत्र जारी किये गये थे और जमीन की खरीदारी इनकम डिक्लरेशन स्कीम शुरू होने के पहले, अप्रैल 2016 से ही शुरू हो गयी थी. स्कीम के अंतिम महीने सितंबर में सर्वाधिक खरीदारी स्पष्ट इशारा करती है कि उन्हें समय रहते जमीन खरीदने की हड़बड़ी थी. काला को सफेद करने की सरकारी सुविधा मिली. इनका सारा अभियान कालाधन को सफेद करने का रहा है.

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