केंद्रीय मंत्री ने संविधान की मूल प्रति को दिखाते हुए बताया कि संविधान का निर्माण करने के बाद इसे खूबसूरत तरीके से प्रस्तुत करने के लिए इसे उस समय के महान चित्रकार नंदलाल बोस के चित्रों से सुसज्जित किया गया है. इसके मौलिक अधिकार वाले अध्याय में श्रीराम की तसवीर के साथ रामायण के एक प्रसंग को उकेरा गया है. इसी तरह राज्य के निदेशक सिद्धांत के अध्याय में महाभारत में श्रीकृष्ण को उपदेश देते हुए और पृष्टों की सूची वाले पन्ने पर नटराज, कबीर, महाराणा प्रताप, अकबर समेत अन्य की तस्वीर बनी हैं. अकबर तो हैं, लेकिन बाबर और औरंगजेब नहीं हैं. उस समय देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में गठित संविधान सभा के सभी सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर कर इसे मंजूरी दी थी. क्या ये सभी लोग सेक्यूलर थे.
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‘संवैधानिक राष्ट्रवाद की बात करने वाले पहले संविधान पढ़ें’
पटना. केंद्रीय विधि एवं न्याय व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि आज देश में संवैधानिक राष्ट्रवाद की बात करने वाले लोगों को पहले संविधान पढ़ना चाहिए. वह शनिवार को तारामंडल सभागार में आयोजित देश के पहले राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की 132वीं जयंती समारोह को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर […]
पटना. केंद्रीय विधि एवं न्याय व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि आज देश में संवैधानिक राष्ट्रवाद की बात करने वाले लोगों को पहले संविधान पढ़ना चाहिए. वह शनिवार को तारामंडल सभागार में आयोजित देश के पहले राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की 132वीं जयंती समारोह को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे.
केंद्रीय मंत्री ने संविधान की मूल प्रति को दिखाते हुए बताया कि संविधान का निर्माण करने के बाद इसे खूबसूरत तरीके से प्रस्तुत करने के लिए इसे उस समय के महान चित्रकार नंदलाल बोस के चित्रों से सुसज्जित किया गया है. इसके मौलिक अधिकार वाले अध्याय में श्रीराम की तसवीर के साथ रामायण के एक प्रसंग को उकेरा गया है. इसी तरह राज्य के निदेशक सिद्धांत के अध्याय में महाभारत में श्रीकृष्ण को उपदेश देते हुए और पृष्टों की सूची वाले पन्ने पर नटराज, कबीर, महाराणा प्रताप, अकबर समेत अन्य की तस्वीर बनी हैं. अकबर तो हैं, लेकिन बाबर और औरंगजेब नहीं हैं. उस समय देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में गठित संविधान सभा के सभी सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर कर इसे मंजूरी दी थी. क्या ये सभी लोग सेक्यूलर थे.
अगर इस संविधान का निर्माण आज किया जाता, तो क्या ये चित्र शामिल होते. उस समय संविधान में धर्मनिरपेक्ष और सांप्रदायिकता शब्द नहीं थे.
तीन तलाक का मामला गैर-संवैधानिक : उन्होंने तीन तलाक के मामले पर कहा कि यह पूरी तरह से नारी सम्मान, न्याय और गरिमा के खिलाफ है. कई मुस्लिम देशों ने भी इसे गलत बताया है. यह किसी पंथ के सम्मान से जुड़ा प्रश्न नहीं है.
विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सुशील कुमार मोदी ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि महात्मा गांधी ने जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री के लिए क्यों चयन किया, यह आज तक समझ में नहीं आया. कार्यक्रम को पूर्व डीजीपी डीएन गौतम, समाजसेवी रविनंदन सहाय को संबोधित किया. स्वागत संबोधन विधायक संजीव चौरसिया ने किया.
गुलजारबाग स्टेशन का नाम पटनदेवी या पटनेश्वर स्टेशन हो
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रेल मंत्री सुरेश प्रभु को पत्र लिख कर गुलजारबाग रेलवे स्टेशन का नाम पटनदेवी या पटनेश्वर स्टेशन रखने का अनुरोध किया है. प्रसाद ने पटनदेवी मंदिर के पुजारी और पटना के नागरिकों के आग्रह पर यह पत्र लिखा है. अपने पत्र में प्रसाद ने कहा कि गुलजारबाग स्टेशन पटनदेवी मंदिर के सबसे नजदीक का स्टेशन है. पटनदेवी मंदिर भारत के शक्तिपीठों में से एक है. उन्होंने कहा जिस प्रकार पटना साहिब स्टेशन का नाम गुरु गोविंद सिंह जी के नाम पर हुआ उसी प्रकार पटनदेवी के नाम पर रखा जाना चाहिए.
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