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बिगड़ा गणित, किंगमेकरों को नयी जमीन की तलाश
एक दशक से पुराने पार्षदों की जमीन खिसकी प्रभात रंजन पटना : नगर निगम की राजनीति पार्टी चुनाव चिन्ह पर नहीं होने के बावजूद नगर सरकार की लड़ाई दो पक्षों में ही होती रही है. वर्ष 2002 से लेकर वर्ष 2012 तक हुए मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव में किंगमेकर की भूमिका निभानेवाले पार्षदों […]
एक दशक से पुराने पार्षदों की जमीन खिसकी
प्रभात रंजन
पटना : नगर निगम की राजनीति पार्टी चुनाव चिन्ह पर नहीं होने के बावजूद नगर सरकार की लड़ाई दो पक्षों में ही होती रही है. वर्ष 2002 से लेकर वर्ष 2012 तक हुए मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव में किंगमेकर की भूमिका निभानेवाले पार्षदों का गणित 2017 वार्ड चुनाव के आरक्षण रोस्टर ने बिगाड़ दिया है. ऐसे में वर्ष 2002, 2010 और 2012 में हुए मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव में किंगमेकर रहे पार्षदों को नयी जमीन तलाशनी पड़ रही है. आरक्षण रोस्टर के मुताबिक किंगमेकर रहे पार्षदों को नये वार्ड से चुनाव लड़ना पड़ेगा, अन्यथा चुनाव मैदान के बाहर से राजनीति करनी होगी.
विरासत में मिला वार्ड हो गया खत्म : वार्ड नंबर 27 के पार्षद कृष्ण मुरारी यादव को अपने पिता गयादीन प्रसाद यादव से विरासत में वार्ड मिला और वर्ष 2002 से लगातार वार्ड पार्षद के चुनाव में जीत दर्ज की. इतना ही नहीं, वर्ष 2002-07 तक मेयर पद भी संभाला. इसके बाद मेयर व डिप्टी मेयर के हुए चुनाव में एक पक्ष की रणनीति यादव के घर ही तैयार होने लगी, तो दूसरे पक्ष की रणनीति पूर्व डिप्टी मेयर विनय कुमार पप्पू और रूप नारायण मेहता के घर तैयार होती थी.
हालांकि, मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव में किंगमेकर रहे कृष्ण मुरारी यादव के उम्मीदवार ही जीत दर्ज करते रहे. अब किंगमेकर रहे यादव को खुद नयी जमीन तलाशना पड़ रही है, क्योंकि अनारक्षित अन्य से अब अनुसूचित जाति अन्य हो गया है. वही स्थिति पूर्व डिप्टी मेयर रूप नारायण मेहता के वार्ड 61 का भी हो गयी है. वर्ष 2012 में वार्ड अनारक्षित अन्य था, जो बदल कर अनुसूचित जाति महिला हो गया है. हालांकि, पूर्व डिप्टी मेयर विनय कुमार पप्पू का वार्ड पहले भी अनारक्षित था और 2017 के लिए भी वही है.
महिला पार्षदों का भी बदल गया समीकरण
वर्ष 2012 में नगर निगम के 72 वार्डों में चुनाव हुए थे, जिनमें से 36 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित थे. 2017 में 75 वार्डों में चुनाव कराया जायेगा. इसको लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने आरक्षण रोस्टर करते हुए वार्डों की संख्या बढ़ने के बावजूद महिलाओं के लिए 36 वार्ड ही आरक्षित किये हैं. हालांकि, वर्ष 2012 में जीत कर आयी 19 महिला पार्षदों की सीट बदल जाने से उनका समीकरण बदल गया है. जबकि, 17 महिलाओं की सीट बरकरार है. चुनाव को लेकर जारी रोस्टर में महिलाओं के लिए 19 नये वार्डों को आरक्षित किया गया है.
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