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मोदी की आलोचना अमर्त्य सेन को पड़ा भारी, नालंदा विश्वविद्यालय के बोर्ड में नहीं मिली जगह

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्ष 2015 में आलोचना करना नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को नालंदा विश्वविद्यालय के बोर्ड में जगह नहीं मिली. अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन नालंदा विश्वविश्वद्यालय के कुलाधिपति के गवर्निंग बोर्ड के सदस्य रह चुके हैं. अंगरेजी के अखबार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबरों के अनुसार, […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्ष 2015 में आलोचना करना नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को नालंदा विश्वविद्यालय के बोर्ड में जगह नहीं मिली. अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन नालंदा विश्वविश्वद्यालय के कुलाधिपति के गवर्निंग बोर्ड के सदस्य रह चुके हैं.

अंगरेजी के अखबार इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबरों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने मोदी सरकार के खिलाफ काफी आलोचना की थी. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना के बाद फरवरी, 2015 में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के पद से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद वह गवर्निंग बॉडी के सदस्य रहे. अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार, उन्हें वर्ष 2007 में डॉ मनमोहन सिंह सरकार द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय का पुनः प्रवर्तन करने के बाद नालंदा मेंटर ग्रुप (एनएमजी) का सदस्य बनाया गया था.

मेघनाद देसाई और सुगता बोस को भी नहीं मिली जगह

इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि नालंदा विश्वविद्यालय के नये बोर्ड में भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के अलावा हॉवर्ड विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और टीएमसी सांसद सुगता बोस और यूके के अर्थशास्त्री मेघनाद देसाई को भी जगह नहीं मिली है. वे दोनों भी एनएमजी के सदस्य थे. इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि विश्वविद्यालय में नये बोर्ड का गठन कर दिया गया है. नये बोर्ड में कुलाधिपति, उप कुलपति और पांच सदस्य होंगे. ये पांच सदस्य भारत, चीन, ऑस्ट्रेलिया, लाउस पीडीआर और थाईलैंड के होंगे. बोर्ड को तीन साल तक अधिकतम वित्त सहायता भी प्रदान की जाती है.

अरविंद पनगढ़िया और एनके सिंह बोर्ड में शामिल

अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार, भारत की तरफ से पूर्व नौकरशाह एनके सिंह को बोर्ड में चुना गया है. वह भाजपा सदस्य और बिहार से राज्यसभा सांसद भी हैं. इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा तीन और नामों को दिया गया है. उनमें कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय के धार्मिक अध्ययन संकाय के प्रोफेसर अरविंद शर्मा, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर लोकश चंद्रा और नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ अरविंद पनगढ़िया के नाम शामिल हैं.

राष्ट्रपति प्रणब मु्खर्जीने दी थी गवर्निंग बॉडी के निर्माण की इजाजत

अखबार के अनुसार, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नालंदा विश्वविद्यालय के विजिटर की क्षमता से गर्वनिंग बॉडी के निर्माण की इजाजत दी थी. नालंदा विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2013 को अगस्त 2013 में राज्यसभा के सामने लाया गया था. इसमें नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम-2010 के कुछ प्रावधानों में संशोधन करने को कहा गया था, लेकिन फिर लोकसभा चुनाव की वजह से उस पर काम नहीं हो पाया था.

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