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उठाओ फायदा शताब्दी नलकूप योजना : शैलो नलकूप व मोटर पंप के लिए किसानों की मदद

लघु जल संसाधन विभाग ने सिंचाई सुविधा से वंचित लघु व मध्यम किसानों को सिंचाई सुविधा मुहैया कराने के लिए ‘बिहार शताब्दी नलकूप योजना’ शुरू की है. यह है योजना मॉनसून की अनिश्चितता और सुखाड़ संकट से लघु व सीमांत किसानों को राहत दिलाने की लघु जल संसाधन विभाग ने यह योजना शुरू की है. […]

लघु जल संसाधन विभाग ने सिंचाई सुविधा से वंचित लघु व मध्यम किसानों को सिंचाई सुविधा मुहैया कराने के लिए ‘बिहार शताब्दी नलकूप योजना’ शुरू की है.
यह है योजना
मॉनसून की अनिश्चितता और सुखाड़ संकट से लघु व सीमांत किसानों को राहत दिलाने की लघु जल संसाधन विभाग ने यह योजना शुरू की है. सिंचाई पंप लगाने से असक्षम 80 प्रतिशत लघु व सीमांत किसानों को इसका जबरदस्त लाभ मिलेगा. लघु जल संसाधन विभाग की इस योजना से बिहार में कृषि विकास और उत्पादन में वृद्धि का विशेष लाभ मिलेगा.
किसे मिलेगा योजना का लाभ
कम-से-कम एक एकड़ कृषि योग्य भूमि वालों को ही मिलेगा लाभ
सिंचाई पंप लगाने को लघु व सीमांत किसानों को ही मिलेगा लाभ
अनुसूचित जाति के 16% किसानों को प्राथमिकता
अनुसूचित जाति-जनजाति के किसानों को 01% लाभ
प्रगतिशील किसानों को विशेष प्राथमिकता
नलकूप के लिए जमा कराना होगा गांव-पंचायतों के स्कूल, सामुदायिक-भवन और पंचायत भवनों में हर माह लगने वाले कैंप में आवेदन
सिंचाई पंप लगाने की स्वीकृत राशि किसानों को सीधे नहीं, बल्कि बैंक खातों में जमा होगी
पंद्रह दिन बीत गये, नहीं शुरू हुई आठ होमियोपैथी कॉलेजों की जांच
पटना. स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के निजी होमियोपैथी कॉलेजों की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम को 15 दिनों की समय सीमा निर्धारित की थी, जांच की यह समय सीमा गुजर गयी. अब तक एक भी होमियोपैथ कॉलेजों की जांच शुरू नहीं हो पायी. सरकार ने जांच का आदेश तो दे दिया पर परिवहन की सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी. समस्या यहीं खत्म नहीं हुई. गाड़ी की सुविधा मिली तो नोट के चक्कर में टीम के सदस्यों को रुकना पड़ा. शुक्रवार को 15 दिनों की समय सीमा पूरी हो गयी.
होने के बाद अब जांच टीम द्वारा जांच की प्रक्रिया आरंभ की जा रही है. केंद्रीय होमियोपैथिक चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ रामजी सिंह को रिश्वत लेते सीबीआइ की टीम द्वारा गिरफ्तार करने के बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद टूटी. राज्य में चल रहे बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र वाले निजी होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेजों की जांच के लिए एक बार फिर से प्रक्रिया आरंभ की गयी. इसके लिए 26 अक्तूबर को स्वास्थ्य विभाग द्वारा उप निदेशक (आयुष) डॉ झूलन प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया गया.
इसमें पटना आयुर्वेदिक कालेज के प्राचार्य डा दिनेश्वर प्रसाद सिंह और प्रशाखा पदाधिकारी प्रशांत कुमार को सदस्य बनाया गया. स्वास्थ्य विभाग द्वारा आदेश जारी करने के साथ ही जांच टीम को 15 दिनों की समय सीमा निर्धारित की गयी कि इस दौरान वह जांच रिपोर्ट सौंप दे. गुरुवार को यह समय सीमा पूरी हो चुकी है. जांच टीम के अध्यक्ष डा झूलन प्रसाद सिंह ने बताया कि वाहन के लिए एक एजेंसी को हायर की गयी है. एजेंसी से अभी तक संपर्क नहीं हो सका है. उन्होंने बताया कि जल्द ही जांच आरंभ कर दिया जायेगा.
समय सीमा को लेकर विभाग को अवगत करा दिया गया है. निरीक्षण टीन को जिन आठ निजी होमियोपैथी कालेजों की जांच की जिम्मेवारी दी गयी है उसमें पटना होमियोपैथी कालेज,पटना, सिन्हा होमियोपैथिक कालेज,दरभंगा, आरडी केडिया होमियोपैथिक कालेज, मोतिहारी, पूर्वी चंपारण, महर्षि मेही होमियोपैथिक कालेज,कटिहार, केंट होमियोपैथिक कालेज हाजीपुर,वैशाली, मुजफ्फरपुर होमियोपैथिक कालेज मुजफ्फरपुर और मंगला कमला होमियोपैथिक कालेज सीवान और बीएन मंडल होमियोपैथिक कालेज सहरसा शामिल हैं.
निरीक्षण टीम द्वारा इन मेडिकल कालेजों की जांच में देखा जायेगा कि ये संस्थान वास्तव में कही स्थापित हैं या कागजों पर चलाये जा रहे हैं. इसके अलावा इन कालेजों में विद्यार्थियों के पठन-पाठन के लिए संसाधनों की उपलब्धता कितनी है. शिक्षक मानकों के अनुसार हैं या नहीं. अगर इन संस्थानों को केंद्रीय होमियोपैथिक परिषद द्वारा मान्यता दी गयी तो बिना राज्य सरकार के अनापत्ति के कैसे चलाये जा रहे हैं. . केंद्रीय परिषद का मानकों के अनुसार शक्षिक, स्ठाफ, लैब, सहति अन्य सुविधाएं उपलब्ध है या नहीं.
इसकी रिपोर्ट सरकार को दी जायेगी. मालूम हो कि राज्य में 1995 के बाद से निजी क्षेत्र के होमियोपैथी कालेजों में नामांकन के लिए सरकार द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं दिया गया है. 1999 में राज्य के साथ निजी होमियोपैथिक कालेजों ने एनओसी के लिए आवेदन दिया था. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद केंद्रीय होमियोपैथिक परिषद के साथ सहयोग कर राज्य के सभी निजी क्षेत्र के होमियोपैथिक कालेजों को न्यूनतम मापदंड के आलोक में जांच की गयी. उस जांच के आधार पर राज्य के चार होमियोपैथिक कालेजों जिसमें बिहार होमियोपैथिक कालेज पटना, गया होमियोपैथिक कालेज,गया, मगध होमियोपैथिक कालेज नालंदा (बिहारशरीफ) और द टेंपल आफ हेनिमन होमियोपैथ कालेज मुंगेर को 50-50 विद्यार्थियों का नामांकन बीएचएमएस प्रथम वर्ष में नामांकन की अनुमति वर्ष 2000 में दी गयी. राज्य सरकार द्वारा पुन: वर्ष 2002 में राज्य के दो होमियोपैथी कालेजों के न्यूनतम मापदंडों की जांच की गयी. इसके आधार पर जीडी मेमोरियल होमियोपैथी कालेज,पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना और डा हालिम होमियोपैथिक मेडिकल कालेज,लहेरियासराय को नामांकन को लेकर अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया गया.

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