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बिहार पर टिप्पणी : जस्टिस काटजू ने मांगी माफी
दिक्कत मजाक से नहीं, मानसिकता से है बहस का मुद्दा. काटजू की पोस्ट पर बिहार के कई लोगों ने खत लिख कर जतायी अपनी नाराजगी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने पिछले दिनों अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘पाकिस्तानियो, चलिए एक बार सारे विवाद खत्म कर देते हैं. हम आपको कश्मीर दे देते […]
दिक्कत मजाक से नहीं, मानसिकता से है
बहस का मुद्दा. काटजू की पोस्ट पर बिहार के कई लोगों ने खत लिख कर जतायी अपनी नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने पिछले दिनों अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘पाकिस्तानियो, चलिए एक बार सारे विवाद खत्म कर देते हैं. हम आपको कश्मीर दे देते हैं. बस शर्त इतनी है कि आपको साथ में बिहार भी लेना होगा. यह एक पैकेज डील है. या तो पूरा कश्मीर आैर बिहार लीजिए या आपको कुछ नहीं मिलेगा.’ इसके अलावा उन्होंने बिहार पर टिप्पणी करते हुए एक पोस्ट और लिखी, ‘इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मेरे इंग्लिश टीचर ने एक बार मुझसे कहा था कि हिंदुस्तान को पाकिस्तान से नहीं, बल्कि बिहार से खतरा है. मैं आज तक उनका मतलब नहीं समझ सका हूं.’ कश्मीर पर लिखी पोस्ट को लेकर विवाद होने पर जहां काटजू ने इसे एक मजाक करार दिया, वहीं बिहारियों पर की गयी टिप्पणी को लेकर उन्होंने लिखा कि लोगों को कोर्ट में पीआइएल दाखिल करनी चाहिए कि बिहार पर अब चुटकुले नहीं बनाये जा सकते हैं.
काटजू की इस टिप्पणी के बाद एक नयी बहस छिड़ गयी है. बिहार के लोग उनकी इस पोस्ट को पढ़ कर आहत हैं. वे दुखी भी हैं और क्रोधित भी. लोगों ने उनकी इस पोस्ट को बिहार व बिहारवासियों के लिए अपमानजनक बताया. सभी ने काटजू से मांगी मांगने को कहा. लोगों ने सोशल साइट्स पर काटजू को कई ‘ओपन लेटर’ लिखे हैं और उन्हें बिहार का गौरवशाली इतिहास याद दिलाया. फेसबुक पर कुछ लेटर व कुछ पोस्ट तेजी से वायरल हो रहे हैं. पेश है उनकी एक झलक.
आदरणीय काटजू साहब,
पिछले दिनों आपने पाकिस्तान से एक पेशकश की थी. आपका कहना था कि अगर पाकिस्तान को कश्मीर चाहिए तो उसे साथ ही बिहार भी लेना पड़ेगा. जहां तक मैंने समझा है, मुझे ये व्यंग्य में कही बात लगी. लेकिन इस व्यंग्य के पीछे की भावना काफी नकारात्मक और एक पूरे राज्य को अपमानित करने की लगी.
कहीं न कहीं आपकी इस ‘पेशकश’ में से उस मानसिकता का बोध हुआ, जो बिहार को इस देश पर एक बोझ या धब्बा मानता है. मैं बिहारी हूं और आपको शायद लग रहा होगा कि इस वजह से आपकी बात ने मुझे आहत किया है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. मैं आहत बिल्कुल भी नहीं हूं, बल्कि मुझे तरस आ रहा है. तरस आपकी उस अनभिज्ञता भरी सोच पर जिसकी वजह से आपके नजरों में बिहार की ऐसी छवि है.
आपको लगा होगा कि बिहार को पाकिस्तान को देने से हमारे देश को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन फर्क आज मैं आपको बताता हूं. अगर बिहार देश का हिस्सा नहीं रहा, तो देश के हाथ से एक ऐसी विरासत छिन जायेगी, जिसके ऊपर इस देश के लोकतंत्र की नींव पड़ी है.
आप उस चंद्रगुप्त को भारत के इतिहास से छीन लेंगे जिसने पहली बार भारत की परिकल्पना को स्वरूप दिया था. आप शांति के प्रतीक बुद्ध की ज्ञानस्थली एक ऐसे देश को दे देंगे, जिसका मुख्य कारोबार ही हिंसा है. आप उन सात शहीदों की जमीन, जिन्होंने अपनी जान एक तिरंगे के लिए गंवाई थी, एक ऐसे मुल्क को दे देना चाहते हैं जो एक आतंकवादी को अपना नायक मानते हैं. आप उस दिनकर को खो देंगे, जो इस देश के राष्ट्रकवि हैं.
क्या आपके मन में ऐसी विरासत को ठुकराते हुए हिचक नहीं होगी?
ये तो पुरानी बातें हुई, वर्तमान की बात सुनिये. बिहार को गंवा कर आप उन नौजवानों की फौज को गंवा बैठेंगे, जो इस देश की प्रशासनिक व्यवस्था में सबसे ज्यादा योगदान देते हैं. आप उन कामगारों की मेहनत से हाथ धो बैठेंगे, जिनके कर्मठ हाथों की वजह से इस देश के हर महानगर की तरक्की का पहिया घूमता है. और इन सब से ऊपर, आप उस रेजिमेंट को अपना नहीं कह सकेंगे, जिस रेजिमेंट के फौजियों की जान कायर पाकिस्तानियों ने ली. जस्टिस मार्कण्डेय काटजू, क्या आप मजाक में भी उन शहीद सिपाहियों को एक पाकिस्तानी रेजिमेंट के सिपाही बताना चाहते हैं, जिनकी हत्या की पाकिस्तानियों ने? जैसा कि मैंने कहा, मैं आहत नहीं हूं. लेकिन मैं दुखी जरूर हूं. इस बात से दुखी की जिस देश की हिफाजत करने की राह में सैनिकों ने अपनी जान दी, आप उन्हीं को उस देश के दुश्मन मुल्क को सौंपना चाहते हैं.
ये कोई शिकायत नहीं है काटजू साहब और न ही आपको नीचा दिखाने की कोई कोशिश, मेरी कोशिश तो ये है कि बिहार की जैसी गलत छवि और हमारे खिलाफ जो भी पूर्वाग्रह आपके मन में है, उस के इतर आपको बिहार की सच्चाई से रूबरू कराया जाये. बिहार कोई दे दी जाने वाली वस्तु नहीं है, बिहार इस देश के स्तंभों में से एक है. भारत है तो बिहार है, बिहार है तो भारत है.
आपका ये भी कहना है कि बिहारियों के पास सेन्स ऑफ ह्यूमर की कमी है, इस वजह से वो आपके इस व्यंग्य पर आपत्ति जता रहे हैं. इस विषय में मैं ये साफ कर दूं कि दिक्कत मजाक से नहीं, उस मजाक के पीछे की मानसिकता की है. एक मजाक के लिबास में अगर दुर्भावना छिपी हो तो वो मजाक अपना मजा खो देता है. जब मजाक तंज बन जाये, तो उस पर आपत्ति जायज है.
आपके सेन्स ऑफ ह्यूमर में सेन्स आ जाये ऐसी मनोकामना के साथ,
आपका हमवतन बिहारी.
कश्मीर पाकिस्तान को देना राष्ट्रद्रोह है, तो बिहार पाकिस्तान को देने की बात करने वाला राष्ट्रद्रोही की जगह पागल कैसे माना जाये काटजू साहब? बुद्ध, महावीर, अशोक, आर्यभट्ट, चाणक्य की भूमि बिहार अंग्रेजों के अतिशोषण का केंद्र होने के कारण बाकि राज्यों से पिछड़ गया, लेकिन न यहां मेधा की कमी है और न कर्मठता की. गरीब राज्य होते हुए भी कभी यहां अलगाववाद की मांग नहीं की गयी, क्योंकि सही मामले में यह राज्य पूर्ण राष्ट्रवादी है.
भारत का पहला साम्राज्य बिहार ने ही स्थापित किया, जिसका नाम मौर्य साम्राज्य है, जो असम से अफगानिस्तान तक फैला था. मुख्यतया इसी राज्य के लोगों ने पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में श्री विजय साम्राज्य बनाया जो हजार वर्षों तक चला,भागलपुर के चम्पा के नाम पर उसने अपनी राजधानी का नाम चम्पा रखा था. मॉरीशस की धरती को स्वर्ग बनाने वाले बेचारे गरीब बिहार के ही हैं, जिन्हें काटजू पाकिस्तान को दे देना चाहते हैं.
सुजाता चौधरी
पूर्व जस्टिस और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन जस्टिस मार्कंडेय काटजू की बिहार को लेकर की गयी अशालीन और आपत्तिजनक टिप्पणी की मैं कड़े शब्दों में भर्त्सना करता हूं.
इतने उच्च पदों पर रह चुके शिक्षित व्यक्ति से इस तरह की अपरिपक्व टिप्पणी की उम्मीद नहीं की जा सकती. पाकिस्तान को बिहार सौंप देने और बिहार से देश को खतरा बताने जैसी बेतुकी टिप्पणी के लिए उन्हें बिहार और बिहार की जनता से माफी मांगनी चाहिए. बिहार एक गौरवशाली परंपरा वाला राज्य है, ये देश और दुनिया को राह दिखाने वाले महापुरुषों की धरती रही है. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बिहार के योगदान को कोई नहीं भूला सकता. ये उरी शहीदों की भूमि भी है, इसे वे कैसे भूला सकते हैं? संवेदनशील मुद्दों पर टिप्पणी करने से पहले लोगों को अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए, हम उनकी टिप्पणी का पूरी तरह प्रतिकार करते हैं.
नीतीश मिश्रा, पूर्व मंत्री, बिहार
काटजू जी ने फेसबुक पर सुझाव दिया है कि पाकिस्तान को कश्मीर चाहिए तो उसे बिहार भी लेना होगा, मंजूर है? सच पूछिए तो यहां तक मुझे कोई आपत्ति नहीं, बल्कि हो सकता है हम खुद मजाक में ये कह दें कि पाकिस्तान को कश्मीर के बदले बिहार दे दो, महीने भर में वो बिहार तो लौटाएगा ही लौटाएगा, कश्मीर भी भूल जाएगा और हो सकता है इस्लामाबाद भी सरेंडर करने को तैयार हो जाएगा. आपत्ति मुझे इसके आगे की काटजू की टिप्पणी पर है, जो घोर आपत्तिजनक, निंदनीय और एक तरह से गाली है बिहार को और बिहारियों को.
काटजू कहते हैं कि हिंदुस्तान को खतरा पाकिस्तान से नहीं, बल्कि बिहार से है. क्या इन्हें ये भी नहीं पता कि उरी हमले में शहीद 16 जवान बिहार रेजीमेंट के ही थे (दो डोगरा रेजीमेंट के) उसमें बिहार के भी 3 थे. 18 शहीदों की शहादत पर देश उबल रहा है और आपको मजाक सूझ रहा है. काटजू जी, थोड़ा बिहार के बारे में ज्ञान ले लीजिए, फिर बोलिए.
वहां अस्सी साल के वीर कुंवर सिंह ने भी तलवार थामकर अंग्रेजों को पानी पिला दिया था, आप तो अभी सत्तर में ही अलबला रहे हैं. अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन शुरू करने के लिए समूचे हिंदुस्तान में चंपारण को ही गांधी जी ने चुना था, आप दिल्ली में बैठकर बिलबिला रहे हैं. जब इमरजेंसी में इंदिराजी ने लोकतांत्रिक अधिकारों का गला घोंट दिया था, तब उसके खिलाफ पूरा देश एक बिहारी जयप्रकाश नारायण के पीछे ही लामबंद हुआ था, वर्ना आप जैसों की जुबान पर ताला लगा होता. आप जैसे लोग बिहार को क्या खाकर कोसेंगे जनाब?
सुनील कुमार
लोगों का आक्रोश देख रात 9.30 बजे काटजू ने पोस्ट पर मांगी माफी
बिहार के बारे में मेरी टिप्पणी मजाकिया लहजे में कही गयी बात थी, लेकिन मुझे लगता है कि इससे काफी लोग आहत हुए हैं. इसलिए मैं उन सभी लोगों से माफी मांगता हूं. एबीपी न्यूज पर अपने इंटरव्यू में मैंने कहा है कि मेरे मन में बिहारियों के लिए बहुत सम्मान है. मेरी बातों को गलत समझा गया. बिहार ने दुनिया को गौतम बुद्ध, चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसी महान हस्तियां दीं हैं. लॉन्ग लिव बिहार
मार्कण्डेय काटजू
भोजपुर निवासी सत्यनारायण जी
द्वारा रचित गीत, जिसे राज्यगीत के लिए चुना गया है.
…मेरे भारत के कंठहार,
तुझको शत-शत वंदन बिहार
… तू वाल्मीकि की रामायण
तू वैशाली का लोकतंत्र
तू महाबुद्ध की करुणा है
तू महावीर का शांति मंत्र
तू ज्ञानदीप नालंदा का
तू ही अक्षत चंदन बिहार
तू है अशोक का धर्मचक्र
तू गुरुगोविंद की वाणी है
तू आर्यभट्ट, तू शेरशाह
तू कुंवर सिंह बलिदानी है
तू ही बापू की कर्मभूमि
धरती पर नंदन वन बिहार
तुझको शत-शत वंदन
तेरा अतीत गौरवशाली
तेरा समृद्ध है वर्तमान
अब जाग उठे तेरे सपूत
लौटेगा खोया स्वाभिमान
अब जाग चुके तेरे सपूत
अब तू माथे का विजय तिलक
तू आंखों का अंजन बिहार
तुझको शत-शत वंदन बिहार
मेरे भारत के कंठहार
बिलकुल सही कहा जस्टिस काटजू सर ने…
लेकिन काटजू सर आपसे कहना चाहता हूं कि ठीक है, बिहार को देश से निकाल देना चाहिए. बहुत बड़ा कलंक है भारत जैसे महान देश पर बिहार और बिहारी… लेकिन मुझे मेरा स्वर्णिम इतिहास लौटा दीजिये,…हम चले जाएंगे पकिस्तान और कसम खाइये कि कभी आप हम बिहारियों की बात भी नहीं करेंगे.
आप कभी किसी से ये नहीं कहेंगे कि चक्रवर्ती सम्राट अशोक हमारे देश भारत के महान शासक थे? आप कभी नहीं कहेंगे कि नालंदा और विक्रमशिला हमारे देश में है जो दुनिया के सबसे प्राचीनतम विश्वविद्यालय है, जहां से एक से बढ़ कर एक विद्वान पैदा हुए? आप महान अर्थशास्त्री चाणक्य, चन्द्रगुप्त मौर्य और वैशाली की गौरवगाथा को भी कभी किसी के सामने जिक्र नहीं करेंगे. आप कभी किसी को यह नहीं कहेंगे कि हमारे बिहारी भाइयों ने ही विश्वविजय योद्धा सिकंदर महान को हराया था.
आप कभी दुनिया के सामने ये नहीं कहेंगे कि हमारे देश की धरती पर भगवान बुद्ध, भगवान महावीर और गुरु गोविन्द सिंह जी का जन्म हुआ था? कपिल, कणाद और यागवल्यव जैसे विद्वान पैदा हुए थे और आप यह भी नहीं कहेंगे कि बिहार में ही प्राचीन भारत के निर्माता शेरशाह सूरी, योद्धा वीर कुंवर सिंह, आधुनिक भारत के निर्माता बाबू राजेंद्र प्रसाद और लोक नायक बाबू जगजीवन राम हुए थे.
ये भी मत जिक्र कीजिएगा कि मेरे पितरों का भी उद्धार इसी बिहार में होता है. महान गणितज्ञ आर्यभट्ट के ‘शून्य’ तो आपको याद ही होगा. चलो उम्र बढ़ गयी है, जाने दो लेकिन ये तो याद होगा कि महान वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्मा का नाम तो जरूर सुने होंगे जिन्होंने भारतीय सेना को ‘तेजस’ दिए हैं.
काटजू साहब, बिहार के कलंक मिटाने के लिए आपको कुछ विकल्प ढूंढ़ने होंगे. झूठ लग रहा है न तो सुनिए देश की आन-बान और शान का प्रतीक ‘तिरंगे’ से सम्राट अशोक का चक्र हटा दीजिए और कोई दूसरा प्रतीक है आपके सामने जो तिरंगे का चक्र का जगह ले सके तो लगा दीजिए. भारत जैसे महान देश की शोभा है अशोक स्तम्भ के वो 4 शेर, जो हर नोट और सरकार के हर कानूनी ठप्पे पर होता है. यहां तक कि आप जिस स्टाम्प पेपर को सत्य मानकर इंसाफ देते थे, उसमें भी वहीं चार शेरों वाला प्रतीक चिन्ह दिखाई देता होगा, जो देश भर के हर कोर्ट के स्टम्प पेपर में होता है, उसे भी पहले आप बदल दीजिए? कर सकेंगे तो करने की कोशिश कीजिए.
काटजू सर,
अगर बिहार को ही देश से अलग करना है तो करोड़ों बिहारी अपनी पहचान भी तो ले जाना चाहेगा, जो उन्होंने देश को समर्पित किया है. तो फिर साहब, हमें लौटा दीजिए वे हजारों शहीद, जिन्होंने देश की रक्षा में सब कुछ लुटा कर आज शहीद होकर बिहार का सर गर्व से ऊंचा कर रहे हैं. क्या आपके पास है ऐसे कोई शहीद?
साहब, मेरे जमीन से निकले देश के सर्वाधिक प्रशासक आइएएस,आइपीएस, आइआरएस, राजनायिक, बड़े-बड़े अधिकारी और आपके बिरादरी वाले आज देश चला रहे हैं. देश के विकास में बढ़-चढ़ कर भाग ले रहे हैं, वापस कर दीजिए. महान बल्लेबाज और विश्व कप विजेता धोनी को तो जानते होंगे?
अरे, जाने दीजिए सर, मेरे पास सूची बहुत बड़ी है जिसको लिखते-लिखते सुबह से शाम और शाम से सुबह हो जायेगी, इसलिए पहले आप इनको लौटाने का काम कर लीजिये, बाकी काम हम बिहारी भाई देख लेंगे. आप बिहारियों को पाकिस्तान भगाना ही चाहते हैं तो कृपया हमारी पूरी पहचान के साथ भगाएं. हमें पूरा इतिहास देकर भगाइये. और अगर आपसे यह नहीं हो सकता है तो कृपया कुछ कहा न करें. क्योंकि जितना अधिकार आपका इस देश पर है, उतना हमाराभी है.
जय हिंद, जय भारत
बिहार को किया है अपमानित
बिहार के बारे में काटजू जी की पोस्ट से बिहार का हर निवासी दुखी है. यह पूरे राज्य को अपमानित करने की बात है. इस राज्य में एक तरफ जहां बाढ़ आती है, वहीं दूसरी तरफ सुखाड़ भी आता है. इसके बाद भी तमाम विपरित हालात में यहां की प्रतिभाएं देश और दुनिया स्तर पर अपने पहचान को बनाये रखी है. प्राचीन काल से लेकर अब तक बिहार का स्वर्णिम इतिहास रहा है. यह पोस्ट हतोत्साहित करने वाली है. बिहार के भविष्य को तय करने का हक किसी को नहीं है. काटजू जी से ऐसी उम्मीद नहीं थी. इससे उनकी इमेज पर काफी असर पड़ा है.
गणितज्ञ अानंद कुमार, सुपर 30
बिहार के बारे में यह पोस्ट शर्मनाक है. बिहार की पहचान बहुत पुरानी है. पूरे विश्व में बिहार को पहचान मिली हुई है. देश या विदेश के कई इंडस्ट्रीज में काम करने वालों की संख्या में भी बिहारी लोगों की कमी नहीं है. ऐसे में बिहार के बारे में इस तरह की बात कहना काटजू जी को शोभा नहीं देता है. बिहार कोई पात्र नहीं, जो लोग इसका मजाक बना दें. इसकी एक अपनी गरिमा है. ऐसे में बिहार के बारे में कुछ भी गलत कहना गलत है. इस बयान से तो बिहार का कुछ नहीं होगा, लेकिन जिन्होंने ऐसी बातें कही है, लोग उनकी मानसिकता पर जरूर हंस रहे हैं.
अशोक सिन्हा, उप निदेशक, उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान
पूर्व जस्टिस होकर काटजू जी इस तरह की बात कहेंगे? यह तो सोचा भी नहीं जा सकता है. उनसे ऐसी उम्मीद नहीं थी. अगर ये कहा जाये कि काटजू साहब को पाकिस्तान ले ले, तो उनको कैसा महसूस लगेगा? वह बिहार, जहां की मिट्टी में भगवान बुद्ध, महावीर, श्री गुरु गोविंद सिंह जी जैसे भगवान हुए वहां के बारे में ऐसी बातें किसी भी स्तर से शोभनीय नहीं है. इस राज्य की मिट्टी में ही अलग शक्ति है. इस तरह की बात से राज्य का अपमान हुआ है.
रवि किशन, एक्टर
काटजू जी को जस्टिस और लॉ का ज्ञान रहा है. ऐसे में इस तरह की छोटी बातें करना बिल्कुल गलत है. इससे बिहार की भावना आहत हुई है. हालांकि उनके बोलने से बिहार की छवि पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हाथी हमेशा हाथी रहता है. उसे चलने के दौरान कोई कुछ भी बोल दे. सबसे बड़ी बात यह काटजू जी की पुरानी आदत है. वे लाइम लाइट में आने के लिए कुछ भी बोल सकते हैं, ताकि कुछ दिन सुर्खियों में रहें. बिहार का अपमान कर के वे खुद अपमानित हो रहे हैं. बिहार की एक अपनी गरिमा है. यहां से कई लोगों ने निकल कर अपने राज्य व देश का नाम रोशन किया है. इसलिए किसी को भी बिहार के बारे में कुछ भी कहने से पहले 100 बार सोच लेना चाहिए.
गजेंद्र, पीआरओ बिहार टूरिज्म
कश्मीर और बिहार का कोई तर्क जुड़ ही नहीं सकता. काटजू द्वारा यह बयान गलत है, लेकिन यह पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी बिहार का मजाक टीवी सीरियल और फिल्मों में उड़ चुका है. बिहार के बारे में कई लोग इस तरह की बातें बोल चुके हैं. इसलिए इन बातों से बिहार का कुछ नहीं हो सकता है. इधर कुछ सालों से नीतीश कुमार के आने के बाद बिहार एक गंभीर राज्य बन चुका है. बिहार सांस्कृतिक और बौद्धिक प्रदेश है. फिर भी इस तरह की बातें को बिहार शुरू से झेलता आया है. बिहार ही नहीं ऐसे बयानों से पूरे देश की भावना को ठेस पहुंचती है.
जावेद अख्तर, अध्यक्ष हिंदी विभाग, टीपीएस कॉलेज
बिहार हो या कोई अन्य राज्य, किसी को इस तरह की बातें कहने का हक नहीं है. बिहार की गरिमा किसी से छुपा हुई नहीं है. बिहार के बारे में इस तरह की बातें कहने वाले लोग मानसिक रूप से बीमार हो सकते हैं. भारत एक अखंड देश है, बिहार को काट कर हम भारत की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक बिहार के पूर्वज देश के राजा-महाराजा रहे हैं. इस बात से जलते हुए भी कई लोग बिहार को बदनाम करना चाहते हैं. बिहार के बारे में ऐसी बातें बोलने पर उन्हें शर्म आनी चाहिए. उन्हें इस तरह के गंभीर मुद्दे पर मजाक नहीं बनाना चाहिए.
मनोज कुमार बच्चन, वरिष्ठ कलाकार
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