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राजद का मुख्य मकसद भाजपा को रोकना था : शहाबुद्दीन

सीवान. पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन ने रविवार को कहा कि किसी भी सरकार में बड़ी सदस्य संख्या वाली पार्टी का मुख्यमंत्री होता है, लेकिन राजद ने इस परंपरा को दरकिनार कर भाजपा को रोकने के लिए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया. प्रतापपुर स्थित आवास पर पत्रकारों से शहाबुद्दीन कहा कि राज्य में शराबबंदी का समर्थन […]

सीवान. पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन ने रविवार को कहा कि किसी भी सरकार में बड़ी सदस्य संख्या वाली पार्टी का मुख्यमंत्री होता है, लेकिन राजद ने इस परंपरा को दरकिनार कर भाजपा को रोकने के लिए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया.
प्रतापपुर स्थित आवास पर पत्रकारों से शहाबुद्दीन कहा कि राज्य में शराबबंदी का समर्थन करते हुए पूर्व सांसद ने उसे लागू करने के तरीकों पर सवाल उठाया. कहा कि शराबबंदी को काला कानून का शक्ल दिया गया है. सख्ती के बजाय पहले लोगों में जागरूकता लायी जाती. शराब पीनेवालों की संख्या आमतौर पर 15% होती है. ऐसे में पूरे समाज के बजाय उन्हें जागरूक किया जाता और तब कानूनी शिकंजा कसा जाता.
अनहोनी की आशंका पर बिना शुल्क के जाने दिया था काफिला
मनियारी. पूर्व राजद सांसद मो शहाबुद्दीन के काफिले को मनियारी टॉल प्लाजा के अधिकारियों और कर्मियों ने शनिवार को अनहोनी की आशंका पर बिना शुल्क के ही जाने दिया था.
टॉल प्लाजा पर पैसा वसूली के लिए काफिले को रोकने पर कुछ भी हो सकता था, इसलिए टॉल प्लाजा वालों ने जोखिम नहीं लिया. इस बीच सूत्रों का कहना है कि एक पुलिस अधिकारी ने मनियारी टॉल प्लाजा से जुड़े लोगों से काफिले को बिना शुल्क ही जाने देने को कहा था. इसके बाद ऐसा हुआ. बाद में वीआइपी वाहनों को बिना शुल्क पास करने की इजाजत होने के नियम का हवाला देकर सही ठहरा दिया. हालांकि, टॉल प्लाजा के 2007 के गजट के अनुसार, किन-किन व्यक्तियों को टॉल प्लाजा पर शुल्क नहीं लगेगा, इसका जिक्र है, लेकिन इनमें पूर्व सांसद का जिक्र कहीं नहीं है.
फिर भी कई बार भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन और इस बार पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन के काफिले को पास कराने का मामला सामने आया. विधायक, मंत्री और प्रतिपक्ष के नेता का जिक्र है. लेकिन, उनके काफिले में कितने वाहनों को नि:शुल्क पास करा देना है, इसका स्पष्ट जिक्र नहीं है. यह नियम भी उनके उलझन का कारण हो सकता है.
इस काफिले को नि:शुल्क पास कराने के बाद भी टॉल प्लाजा के अधिकारियों ने मनियारी पुलिस को कोई लिखित आवेदन नहीं दिया. टॉल प्लाजा के सहायक प्रबंधक दीपक चौबे ने बताया कि इस काफिले में चार रेड लाइट व दो नीली बत्ती वाली गाड़ियां थीं. बाकी गाड़ियों कुछ पर विधायक, और गाड़ियों पर मुखिया, जिला पर्षद सदस्य आदि लिखा हुआ था.
वीआइपी गाड़ियों को छोड़ काफिले की बाकी गाड़ियों को अगर रोकी जाती, तो परेशानी उत्पन्न हो सकती थी. इस कारण सभी को जंप करा दिया गया. पूर्व सूचना नहीं होने के कारण नियंत्रण की व्यवस्था नहीं हो सकी थी. इतनी बड़ी संख्या में वाहनों को कंट्रोल करना वश की बात नहीं थी.
मनियारी के प्रभारी थानाध्यक्ष अमित कुमार ने कहा कि टॉल प्लाजा वालों की ओर से कोई आवेदन नहीं मिला है. अगर आवेदन मिलता है, तो आगे विचार किया जायेगा.

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