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दो सौ रुपये दीजिए, प्रमाणपत्र लीजिए

पटना: लोक सेवा का अधिकार कानून (आरटीपीएस) का यहां कोई मतलब नहीं. किसी को आय प्रमाणपत्र चाहिए, तो किसी को आवासीय, तो किसी को जाति प्रमाणपत्र. छात्र, युवा, लड़कियां, महिलाएं और बुजुर्ग लाइन में लगे हैं. गरमी में पसीने से तर-बतर लोगों का बुरा हाल है. लेकिन, काउंटर के अंदर बैठे बाबू पर इसका कोई […]

पटना: लोक सेवा का अधिकार कानून (आरटीपीएस) का यहां कोई मतलब नहीं. किसी को आय प्रमाणपत्र चाहिए, तो किसी को आवासीय, तो किसी को जाति प्रमाणपत्र. छात्र, युवा, लड़कियां, महिलाएं और बुजुर्ग लाइन में लगे हैं. गरमी में पसीने से तर-बतर लोगों का बुरा हाल है. लेकिन, काउंटर के अंदर बैठे बाबू पर इसका कोई असर नहीं.

मंगलवार को यह नजारा है गांधी मैदान के पास स्थित आरटीपीएस काउंटर का. प्रभात खबर ने मंगलवार को दूसरे दिन आरटीपीएस काउंटर की पड़ताल की, तो कल और आज में कोई फर्क नहीं दिखा.

दोपहर में प्रमाणपत्र बनवाने के लिए आवेदन के दौरान सब कुछ स्मूथ दिखा, लेकिन शाम में इन प्रमाणपत्रों की प्राप्ति के लिए लाइन में लगे लोगों का हाल बुरा था. लोगों ने बताया कि आवेदन जमा करने के दौरान प्रमाणपत्र के लिए 15 दिनों का समय दिया जाता है. लेकिन, प्रमाणपत्र प्राप्त करने में महीनों बीत जाते हैं. काउंटर खुलने का समय तीन घंटे निर्धारित है, जबकि एक घंटे ही खुलता है. वहीं, दलाल प्रति प्रमाणपत्र दो सौ रुपये लेते हैं और एक दिन में ही आय, आवासीय या जाति प्रमाणपत्र बन जाता है.

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