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एक एकड़ तक जमीन वाले ही भूमिहीन की श्रेणी में

पटना : राज्य में अब एक एकड़ जमीन तक वाले ही भूमिहीन की श्रेणी में आयेंगे. मॉनसून सत्र के पहले दिन शुक्रवार को बिहार विधानसभा में भूमिहीन व सीलिंग विवाद को लेकर संशोधन विधेयकों की प्रतियां पेश की गयीं. बिहार भूदान यज्ञ (संशोधन) विधेयक, 2016 के प्रावधान के अनुसार अधिनियम 1954 की धारा में निर्धारित […]

पटना : राज्य में अब एक एकड़ जमीन तक वाले ही भूमिहीन की श्रेणी में आयेंगे. मॉनसून सत्र के पहले दिन शुक्रवार को बिहार विधानसभा में भूमिहीन व सीलिंग विवाद को लेकर संशोधन विधेयकों की प्रतियां पेश की गयीं. बिहार भूदान यज्ञ (संशोधन) विधेयक, 2016 के प्रावधान के अनुसार अधिनियम 1954 की धारा में निर्धारित भूमिहीन की परिभाषा बदल जायेगी. पुराने अधिनियम के अनुसार पांच एकड़ तक के जमीन वालों को भूमिहीन माना गया है. ऐसे ये लोग भूदान की जमीन को आसानी से अर्जित कर लेते थे. नये संशोधन विधेयक में सरकार ने धारा-2 (डी)(दो) में अंकित प्रावधानों को बदल कर अब एक

अब एक एकड़ तक…

एकड़ कर दिया जायेगा. अब भूदान की जमीन का परचा एक एकड़ तक वाले भूमिहीनों को ही मिलेगा. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से बिहार भूदान यज्ञ (संशोधन) विधेयक, 2016 और बिहार भूमि सुधार (अधिकतम सीमा निर्धारण तथा अधिशेष भूमि अर्जन) विधेयक, 2016 पेश किये जायेंगे. इन दोनों विधेयकों के पारित होने के बाद भूमि विवाद से संबंधित कई तरह के विवाद समाप्त हो जायेंगे.

सीलिंग मामले में अपील का निष्पादन छह माह में

बिहार भूमि सुधार (अधिकतम सीमा निर्धारण तथा अधिशेष भूमि अर्जन)(संशोधन) विधेयक, 2016 में सीलिंग के मामले में अपील के निबटारे की समयसीमा छह माह तय की गयी है. इस मामले में समयसीमा निर्धारित नहीं होने से मामले काफी लंबे समय तक लंबित रह जाते हैं. नये प्रावधान में भूधारी द्वारा कपटपूर्ण या तथ्यों के हेरफेर कर उसके अधीनस्थ किसी प्राधिकार से अधिनियम के उद्देश्यों अथवा किसी प्रावधान के प्रतिकूल आदेश प्राप्त कर लिया हो, तो जिले के समाहर्ता नये सिरे से कार्यवाही प्रारंभ कर Âबाकी पेज 23 पर

सीलिंग मामले में अपील…

सकते हैं. इसमें पुनरीक्षण संबंधी मामले के निष्पादन की समयसीमा अब तीन माह तय की गयी है. तीन माह में समाहर्ता द्वारा निष्पादित कार्रवाई से संबंधित अभिलेख मांगने, जांच करने व नये सिरे से आदेश पारित करने का अधिकार सरकार के पास है.

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