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हे भगवान! स्कूली बच्चे हैं या भेड़-बकरी

खतरे में नौनिहाल. अवैध रूप से चल रहे हजारों स्कूल वैन, प्रशासन भी नहीं कर रहा कार्रवाई पटना : शहर के स्कूल वैन की मनमानी जारी है. ये न सिर्फ कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं, बल्कि अभिभावकों से मोटी रकम भी वसूल रहे हैं. प्रावधान नहीं रहने के बाद भी हजारों वैन अवैध रूप […]

खतरे में नौनिहाल. अवैध रूप से चल रहे हजारों स्कूल वैन, प्रशासन भी नहीं कर रहा कार्रवाई
पटना : शहर के स्कूल वैन की मनमानी जारी है. ये न सिर्फ कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं, बल्कि अभिभावकों से मोटी रकम भी वसूल रहे हैं. प्रावधान नहीं रहने के बाद भी हजारों वैन अवैध रूप से बच्चों को ढो रहे हैं. क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार इसे गलत मानता है, बावजूद इसके इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती. स्कूल बसों की भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. सैकड़ों बसें भी बिना परमिट बच्चों को ढो रही हैं. इस साल महज 234 स्कूल बसों ने ही परमिट लिया है.
कॉमर्शियल वाहन का परमिट
स्कूल सेवा का परमिट नहीं मिलने की स्थिति में ये कॉमर्शियल वाहन का परमिट ले अपना धंधा चला रहे हैं. इनका धंधा इतना फल-फूल रहा है कि शहर में कई एजेंसियां बन गयी हैं, जो विभिन्न स्कूलों के बच्चों को लाने, ले जाने का काम कर रही हैं.
कम दूरी व अधिकतम राशि
वैन सेवा देने वाले अभिभावकों से मोटी रकम वसूल रहे हैं. कम दूरी के लिए वे अभिभावकों से अधिकतम राशि लेते हैं. स्थिति यह है कि तीन किलोमीटर तक की दूरी के लिए भी 1500 रुपये माह वसूले जाते हैं. वैन में बच्चों को भेड़-बकरियों की तरह ठूंस दिये जाते हैं. बैठान क्षमता 8 से 10 की होती है, लेकिन 14-16 बच्चे बिठाये जा रहे हैं. ज्यादा से ज्यादा कमाने के चक्कर में वैन की अगली और पिछली सीटों पर भी बच्चों की बिठाया जा रहा है.
सुरक्षा के मानक फेल
वैन में बच्चों की सुरक्षा का कोई ख्याल नहीं रखा जाता है. खिड़कियों में न कोई लोहे का ग्रिल लगा होता है और न ही सीट बेल्ट जैसी व्यवस्था होती है. फर्स्ट एड की सुविधा भी अधिकतर वैन में नहीं देखने को मिलती है.
परमिट का नियम
स्कूल सर्विस देने के लिए सिर्फ बसों को ही परमिट दिया जाता है. वैन बच्चों को नहीं ढो सकते हैं. यह गैर कानूनी है. शहर के स्कूल बसें भी परमिट लेने में काफी पीछे हैं. इस साल सिर्फ 234 बसों ने ही परमिट लिया है. परमिट क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार देता है.
सुस्त है प्रशासन
2013 से अबतक जिला प्रशासन और अनुमंडल कार्यालय की ओर स्कूल बस चालकों की मानमानी रोकने के लिए कुल 11 बैठकें की गयीं, लेकिन कभी भी परमिट और अवैध रूप से बच्चे ढो रहे वैन पर कार्रवाई की बात नहीं की गयी. प्रशासन के इस सुस्त रवैये के कारण यह धंधा राजधानी में फल-फूल रहा है.
ओवरलोडिंग पर नजर
जिला परिवहन कार्यालय और ट्रैफिक पुलिस ने इस साल बगैर परमिट चलने वाले एक भी वाहन जब्त नहीं किया गया है. अवैध रूप से चलने वाले वैन पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.

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