पटना: नगर निगम का खेल निराला है. जनता की राशि निगम प्रशासन ईंधन के रूप अनावश्यक रूप से खर्च करते रहे. यह खुलासा हाल में हुए अंकेक्षण से हुआ है. निगम के चारों अंचलों में 66 गाड़ियां हैं. इनको कचरा उठाव में लगाया गया है.
लेकिन, गाड़ियों में सेल्फ, डायनमो, बैटरी आदि के खराब रहने से इनको सुबह छह बजे से लेकर दोपहर के दो बजे तक लगातार चालू स्थिति में रखा जाता है. गाड़ियों में ट्रैक्टर, टीपर, लोडर और बॉबकट शामिल हैं. बताया गया कि कूड़ा प्वाइंट पर ट्रैक्टर खड़ा रहता है और चालू स्थिति में कचरे का उठाव होता रहता है. अगर सेल्फ व बैटरी ठीक होती, तो कूड़ा प्वाइंट पर गाड़ियों को बंद कर उनमें कचरा लोड किया जाता. यही स्थिति कचरों को अनलोड करने के समय भी रहती है. इसके कारण जुलाई 2010 से मार्च 2013 तक डीजल पर 85.26 लाख रुपये का अपव्यय किया गया है.
रोजाना दस से सौ लीटर डीजल की खपत : निगम क्षेत्र में कूड़ा उठाने में लगे ट्रैक्टरों में प्रतिदिन 10 से 15 लीटर, टीपर/लोडर व बॉबकट में 20 से 110 लीटर डीजल का खर्च दिखाया गया है. इन गाड़ियों से प्रतिदिन आठ घंटे का काम लिया जाता है, जिनमें चार-चार घंटे चालू स्थिति में कचरा लोडिंग व अनलोडिंग में व्यतीत होते हैं. यदि लोड-अनलोड के समय गाड़ियों का इंजन बंद रखा जाता, तो 85 लाख रुपये की बचत होती, लेकिन निगम प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया.
जान कर भी लापरवाह बना हुआ निगम : रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रैक्टर के सेल्फ व बैटरी लगाने में प्रति गाड़ी 16 हजार 300 रुपये लगता है. इस स्थिति में 66 गाड़ियों में सेल्फ व बैटरी में 10.76 लाख रुपये का व्यय होता. इस जायज खर्च को नहीं करते हुए 85 लाख रुपये बरबाद किये गये. यह स्थिति कोई एक वर्ष की नहीं है, बल्कि तीन वर्षो से है. इसके बाद भी निगम प्रशासन लापरवाह बना हुआ है.