डायरिया, टीबी समेत कई अन्य बीमारियों का लोगों में बढ़ा खतरा
अनजाने में लोग पेट की गंभीर बीमारी हेपेटाइटिस, जांडिस और कई अन्य बीमारियों के शिकार हो रहे हैं
ग्रामीण इलाकों में दूध जांच के लिए पशुपालन विभाग का कोई डॉक्टर नहीं पहुंचता, इससे होती है परेशानी
पटना : बिहार में लोग बिना जांचे गाय-भैंस की दूध पी रहे हैं. शहरी और ग्रामीण इलाकों में जिस हिसाब से खटालें फैल रही है, उसके एवज में राज्य में दूध की जांच का एक भी पेथोलॉजिकल लैब कार्यरत नहीं है. इसके कारण अनजाने में लोग पेट की गंभीर बीमारी हेपेटाइटिस, जांडिस और कई प्रकार की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. इसका प्रभाव नवजात शिशुओं के सेहत पर भी पड़ रहा है. नवजात बच्चों में इसका काफी बुरा असर पड़ रहा है.
सरकार के पास अभी दूध जांचने की एक भी लैब कार्यरत नहीं है. ग्रामीण इलाकों में दूध जांच के लिए पशुपालन विभाग के कोई डॉक्टर नहीं पहुंचते. पशु संसाधन विभाग के निदेशक राधेश्याम साह ने कहा कि लैब को जल्द ही दुरुस्त कर लिया जायेगा. इसके बाद किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी. अधिकारियों ने बताया कि देश के लगभग सभी राज्यों में निचले स्तर तक दूध की नियमित जांच की जाती है. किसी बीमारी की आशंका पर लोगों को चेतावनी भी दी जाती है, पर बिहार में ऐसा कुछ नहीं है. इस वजह से ही समस्या और गंभीर होती जा रही है.
राज्य के 101 अनुमंडलों में से 100 अनुमंडलों में पशुपालन विभाग का पैथोलॉजिकल लेबोरेट्री है. इन लेबोरेट्री में सिर्फ पशुओं के गोबर और मूत्र तक की ही जांच का इंतजाम है. कई मामलों में पशुओं के रक्त तक की जांच का इंतजाम नहीं है, जबकि पशुओं से लोगों में एंथ्रेक्स जैसे घातक बीमारी तक का खतरा रहता है.
अरवल और शिवहर जिले में जांच की सामग्री नहीं मिलने के कारण कई माह से जांच ठप है. इससे लोगों को परेशानी हो रही है. अधिकारी ने बताया कि कई साल से विभाग को दूध जांच समेत अन्य जांच के लिए सामग्री की मांग की गयी. लेबोरेट्री को मजबूत करने के लिए लिखा गया, लेकिन अब दूध जांच का कोई इंतजाम हो सका है.
सुधा के उत्पादों की होती है जांच
कंफेड की एमडी सीमा त्रिपाठी ने कहा कि सुधा दूध के हर उत्पाद की हर स्तर पर जांच होती है. इस दूध के पीने से लोगों को कोई खतरा नहीं है.