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छात्र और सरकार दोनों से बनाया पैसा

वीआर कॉलेज कीरतपुर की महिमा. 2005 से अब तक चल रही थी रिजल्ट में हेराफेरी वीआर कॉलेज एक ओर जहां छात्रों को फर्स्ट डिवीजन करा कर मनमाना पैसा वसूलता रहा, वहीं फर्स्ट डिवीजन के नाम पर सरकार ने भी दो साल में एक करोड़ दिया. पटना : रिजल्ट के गोरखधंधे में वीआर कॉलेज कीरतपुर ने […]

वीआर कॉलेज कीरतपुर की महिमा. 2005 से अब तक चल रही थी रिजल्ट में हेराफेरी
वीआर कॉलेज एक ओर जहां छात्रों को फर्स्ट डिवीजन करा कर मनमाना पैसा वसूलता रहा, वहीं फर्स्ट डिवीजन के नाम पर सरकार ने भी दो साल में एक करोड़ दिया.
पटना : रिजल्ट के गोरखधंधे में वीआर कॉलेज कीरतपुर ने करोड़ों कमाया. पैसा कमाने का गोरखधंधा वीआर कॉलेज, कीरतपुर, भगवानपुर, वैशाली में 2005 से ही चल रहा था. इस कॉलेज से जितने भी परीक्षार्थी इंटर की परीक्षा में शामिल होते थे. सभी का रिजल्ट प्रथम श्रेणी में करके पैसा कमाया जाता था.
वित्तरहित कॉलेजों को मिलनेवाले अनुदान के तहत बेहतर रिजल्ट दिखा कर वीआर कॉलेज, कीरतपुर वैशाली ने बिहार सरकार से वर्ष 2007 और 2008 में एक करोड़ रुपये ले लिये. 2007 में 50 लाख और 2008 में भी 50 लाख रुपये बेहतर रिजल्ट के नाम पर इस कॉलेज को मिल चुका है. जबकि बेहतर रिजल्ट के नाम पर छात्रों से तो कमाई की कोई लिमिट ही नहीं रहती है. अब रिजल्ट घोटाले का मामला सामने आ रहा है, तो कॉलेज के गोरखधंधे परत-दर-परत खुल रहे हैं.
वर्ष 2005 में 477 में 473 छात्र हुए थे फर्स्ट : वीआर कॉलेज सबसे पहले 2005 में पकड़ में आया था. उस साल इंटर की परीक्षा में इस कॉलेज से साइंस में 477 परीक्षार्थी शामिल हुए और इनमें से 473 प्रथम श्रेणी में पास कर गये. बाकी चार सेकेंड डिवीजन से पास हुए थे. 20 टॉपर मेरिट लिस्ट में अधिकतर छात्र इसी कॉलेज के थे. रिजल्ट पर शक हुआ. उत्तर पुस्तिकाओं का फिर से मूल्यांकन हुआ. रिजल्ट बदल गया. प्रथम श्रेणी में तीन और द्वितीय श्रेणी में 411 और तृतीय श्रेणी में 54 छात्र आये. नौ फेल भी हो गये. इसके बाद तीन-चार सालों तक यह कॉलेज शांत रहा, लेकिन वर्ष 2013, 2014, 2015 और 2016 में इस कॉलेज के रिजल्ट में प्रथम श्रेणी की संख्या अधिकतर रही. वहीं तत्कालीन अध्यक्ष ने इस पर न ध्यान दिया और न ही कोई कार्रवाई की.
कदाचारमुक्त परीक्षा के डर से 2016 में घटे परीक्षार्थी
2016 में इंटर परीक्षा में कदाचारमुक्त परीक्षा होने के डर से कॉलेज ने परीक्षार्थी की संख्या अाधे से भी कम कर दी. जहां 2015 में केवल इंटर साइंस में 1109 परीक्षार्थी शामिल हुए, वहीं 2016 में इंटर साइंस में यह संख्या घट कर 647 हो गयी. वर्ष 2015 में 1007 परीक्षार्थी प्रथम श्रेणी से पास हुए थे. बाद में रिजल्ट रिवाइज किया गया. टॉपर लिस्ट में 225 परीक्षार्थी की जगह केवल तीन परीक्षार्थी शामिल हुए. बाकी का रिजल्ट सेकेंड और थर्ड डिवीजन किया गया.
बेहतर रिजल्ट पर मिलता है अनुदान
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से 2005 में वित्त रहित स्कूलों और कॉलेजाें के लिए नियम है. तत्कालीन सचिव मदन मोहन झा के कार्यकाल में बनाये गये इस नियम के अनुसार बेहतर रिजल्ट के आधार पर वित्त रहित कॉलेज और स्कूल को पैसे दिये जायेंगे. इसके अंतर्गत प्रति छात्र प्रथम श्रेणी के लिए 4000, द्वितीय श्रेणी के लिए 3500 और तृतीय श्रेणी के लिए 3000 रुपये कॉलेजों को दिये जाते हैं.
कॉलेज ने नहीं दी है अब तक ट्रस्ट की जानकारी
वीआर कॉलेज किस ट्रस्ट के अंतर्गत चल रहा है, इसकी कोई जानकारी बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को नहीं है. समिति अब कॉलेज को नोटिस भेजने की तैयारी कर रहा है. इसके तहत कॉलेज को ट्रस्ट का नाम बताना है.
जायेगा वीआर कॉलेज की मान्यता
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने वीआर कॉलेज की मान्यता खत्म करने की तैयारी शुरू कर दी है. इस कॉलेज के सारे कागजात की इंक्वायरी समिति के सचिव स्तर पर की जा रही है. अभी कॉलेज का एफिलिएशन कोड को निलंबित किया गया है.
सील हो सकता है कॉलेज
विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो पुलिस प्रशासन की आज ही देर रात कॉलेज को सील करने की योजना है. इस लिहाज से यहां बड़ी संख्या में पुलिस बल और कई थाने की पुलिस को बुला ली गयी है. सूत्रों की माने तो पुलिस टीम इसी लिए कैंप कर रही है कि देर रात कॉलेज संचालकों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जायेगी.
जांच की भनक लगते ही गायब हुआ संचालक!
पटना के कोतवाली थाने में इससे संबंधित प्राथमिकी दर्ज किये जाने और पुलिस टीम के कॉलेज पहुंचने की भनक शायद कॉलेज के प्रबंधन को लग चुकी थी और टीम के पहुंचने से पहले ही अधिकतर कर्मी चुपचाप निकल गये. चर्चा यह भी थी कि कॉलेज का संचालक भी फरार हो गया था. डीएसपी शिवली नुमानी के नेतृत्व में जब टीम यहां पहुंची तो कॉलेज गेट का ताला अंदर से बंद था.

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