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शराबी पकड़ाये, थानेदार ‘छूटे’

शपथ पत्र का सच. शराब पकड़े जाने के बाद भी थानेदारों को नोटिस तक नहीं पटना : थानेदारों का शपथ पत्र झूठा साबित हो रहा है. राजधानी में शराब बेचने और पीने के मामले लगातार उजागर हो रहे हैं. तस्करी भी हो रही है. लोगों के पास स्टॉक भी है और शराब निर्माण की भी […]

शपथ पत्र का सच. शराब पकड़े जाने के बाद भी थानेदारों को नोटिस तक नहीं
पटना : थानेदारों का शपथ पत्र झूठा साबित हो रहा है. राजधानी में शराब बेचने और पीने के मामले लगातार उजागर हो रहे हैं. तस्करी भी हो रही है. लोगों के पास स्टॉक भी है और शराब निर्माण की भी पोल खुल चुकी है. फिर भी थानेदारों को न तो नोटिस किया गया है और न ही उनकी थानेदारी ही गयी है. खास बात यह है कि शराब बरामदगी के मामले को देखें, तो पुलिस की चौकसी काम नहीं आ रही है. मामला उजागर करने में घर के भेदी काम आ रहे हैं.
दरअसल बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद सीएम ने सख्त रूप से चेतावनी दी थी कि जिस इलाके में शराब बेची जायेगी, उसके जिम्मेवार थानेदार होंगे. उनको 10 साल तक थानेदारी नहीं दी जायेगी.
इस संबंध में पुलिस हेड क्वार्टर से आदेश जारी किया गया था और थानेदारों से शपथ पत्र लिये गये थे. थानेदारों ने अाश्वस्त कराया था कि उनके इलाके में शराब नहीं बेची जा रही है. लेकिन, इसके उलट अगर बरामदगी पर ध्यान दिया जाये, तो तसवीर साफ है.
कोतवाली इलाके के रेस्टोरेंट और होटलों से जिस तरह से पीने-पिलाने का मामला उजागर हुआ है, उससे इस बात के संकेत मिलते हैं कि मदहोशी की बोतलें अभी खत्म नहीं हुई हैं. पड़ोसी राज्य से शराब की तस्करी हो रही है. इसी प्रकार दानापुर में शराब फैक्टरी पकड़ी गयी. नकली शराब बनाये जाने का मामला उजागर हुआ. ट्रेनों में लगातार शराब बरामद हो रही है. इसके बाद भी कोई कार्रवाई अब तक नहीं की गयी है.
पंचायत चुनाव की अधिसूचना मार्च में ही जारी हो गयी थी, जबकि शराबबंदी एक अप्रैल से हुई है. ऐसे में चुनाव में कूदने वाले प्रत्याशियों ने शराब का इंतजाम पहले ही कर लिया था.
इस दौरान शराब का जबरदस्त स्टॉक किया गया. इसमें देशी शराब ज्यादा छुपाये गये थे. अंगरेजी शराब का भी बंदोबस्त प्रत्याशियों ने कर लिया है. अब तक पांच चरणों में हुए चुनाव के दौरान ड्यूटी में गये विश्वस्त सूत्रों की मानें तो चुनाव में शराबबंदी का असर नहीं है. चोरी से ही सही, पर शराब बांटी जा रही है. यही वजह है कि कभी इस प्रखंड में तो कभी उस प्रखंड में शराब मिलने का सिलसिला लगातार जारी है.
विभीषण खोल रहे भेद, पुलिस को नहीं लग रही भनक
फेल है पुलिस का नेटवर्क : राजधानी में कहा शराब बन रही है, कहां बेची जा रही है, कहां से आ रही है, इसकी जानकारी पुलिस को अपने नेटवर्क से नहीं पता चल रहा है. अब तक जो भी मामले सामने आये हैं, उसमें विभीषण बने लोगों की भूमिका दिखी है. पड़ोसी के माध्यम से, घरवालों की शिकायत पर, किसी द्वेष बस दुश्मनी निकालने के लिए पुलिस को सूचना दी गयी, तब शराब बरामद की गयी है.
इससे पुलिस की मुस्तैदी व चौकसी सवालों के घेरे में हैं. शराब बरामदगी पर लोग तरह-तरह के सवाल कर रहे हैं.40 दिनों के बाद भी जारी : जिम्मेवार पुलिस पदाधिकारियों ने शराब बरामदगी को लेकर कार्रवाई तो दूर, थानेदारों को नोटिस नहीं किया है. शराबबंदी के 40 दिन बाद भी शराब की बरामदगी जारी है. अंगरेजी शराब, देशी शराब शहरी इलाके में तो दियारा इलाके में महुआ शराब बरामद हो रही है. लेकिन, इस पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लग पा रहा है. यहां तक कि पिछले दिनों दानापुर में शराब की फैक्टरी का खुलासा हुआ था. वहां से शराब के साथ सामग्री भी बरामद हुई थी. सेना के नाम पर शराब बेची जा रही थी.
शराबबंदी पर चली बहस : पटना. शराबबंदी पर रोक लगाने के लिए दायर याचिकाओं पर गुरुवार को भी बहस जारी रही. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस नवनीति प्रसाद सिंह की कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले में सुनवाई की.
सुप्रीम कोर्ट से आये वकीलों की टीम ने कहा कि सरकार की शराबबंदी को लागू करने संबंधी अधिसूचना कानूनी तौर पर सही नहीं है. शराब कंपनियां सरकार की इस नीति को कोई चुनौती नहीं दे रही, बल्कि अधिसूचना जारी करने की नीयत पर शराब कंपनियां सवाल उठा रही हैं.

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