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सितंबर से शुरू होगा घरों में नल से पानी पहुंचाने का काम

सात निश्चय. पहले साल में 2000 टोलों में पानी पहुंचाने का लक्ष्य सितंबर से फ्लोराइड प्रभावित इलाके में पाइप बिछाने का काम शुरू होगा. विभाग के जिम्मे दूषित पानी वाले इलाके में पाइप से घर-घर पानी पहुंचाना है. योजना के तहत पहले साल में लगभग 2000 टोले में प्रत्येक घर में शुद्ध जल पानी पहुंचाया […]

सात निश्चय. पहले साल में 2000 टोलों में पानी पहुंचाने का लक्ष्य
सितंबर से फ्लोराइड प्रभावित इलाके में पाइप बिछाने का काम शुरू होगा. विभाग के जिम्मे दूषित पानी वाले इलाके में पाइप से घर-घर पानी पहुंचाना है. योजना के तहत पहले साल में लगभग 2000 टोले में प्रत्येक घर में शुद्ध जल पानी पहुंचाया जायेगा.
प्रमोद झा
पटना : सरकार के सात निश्चय में शामिल घर-घर नल से पानी पहुंचाने पर सितंबर से काम शुरू होने की संभावना है. पहले साल फ्लोराइड प्रभावित दो हजार टोले में घर-घर पाइप से पानी पहुंचाने का लक्ष्य है.
इसके लिए पीएचइडी विभाग द्वारा फ्लोराइड प्रभावित इलाके का सर्वे करा कर डीपीआर तैयार की जा रही है. डीपीआर तैयार करने व टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने में लगभग दो से ढाई माह लगेंगे. विभागीय सूत्र ने बताया कि सितंबर से फ्लोराइड प्रभावित इलाके में पाइप बिछाने का काम शुरू होगा. विभाग के जिम्मे दूषित पानी वाले इलाके में पाइप से घर-घर पानी पहुंचाना है. योजना के तहत पहले साल में लगभग 2000 टोले में प्रत्येक घरों में शुद्ध जल पानी पहुंचाया जायेगा.
400 करोड़ खर्च होंगे : पाइप से घरों में पानी पहुंचाने के लिए दूषित पानी वाले इलाके में पानी को ट्रीटमेंट कर पहले उसे शुद्ध किया जायेगा. इसके बाद घरों में पाइप से पानी पहुंचेगा. पहले साल में इस योजना पर लगभग 400 करोड़ खर्च होंगे. राज्य में 11 जिलों में फ्लोराइड प्रभावित इलाका है. इनमें कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, गया, नालंदा, शेखपुरा, जमुई, बांका, मुंगेर, भागलपुर व नवादा शामिल हैं. फ्लोराइड प्रभावित टोले की संख्या लगभग 4000 हैं.
पहले फेज में हजार जनसंख्या वाले टोले चिह्नित
दूषित पानी से होती हैं कई समस्याएं
जानकारों के अनुसार पीने के पानी का मानक 6़ 5 से 8़ 5 पीएच (पावर ऑफ हाइड्रोजन) है. एक लीटर पानी में 1़ 5 मिलीग्राम से अधिक फ्लोराइड की मात्रा पाये जाने पर वह दूषित होता है. दूषित पानी पीने से लोगों को कई तरह की परेशानी होती है. दूषित पानी पीने से चेहरे पर दाग, हथेली का चमड़ा उड़ना, दांत काला होना, पाचन क्रिया में गड़बड़ी आदि की शिकायत होती है. दूषित पानी वाले इलाके में लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का काम केंद्र द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना से भी हो रहा है.

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