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जल संकट के बीच खरीफ की खेती में जुटा विभाग

राज्य के 21 जलाशयों में पानी न्यूनतम स्तर से नीचे पटना : भीषण गरमी के कारण राज्य के अधिकांश ताल, तलैया और सभी छोटी नदियां सूखने लगी हैं. बड़ी नदियों में पानी की कमी के कारण बालू तप रहा है. सरकार ने भी स्वीकार किया है कि राज्य में पानी का स्तर तीन से चार […]

राज्य के 21 जलाशयों में पानी न्यूनतम स्तर से नीचे
पटना : भीषण गरमी के कारण राज्य के अधिकांश ताल, तलैया और सभी छोटी नदियां सूखने लगी हैं. बड़ी नदियों में पानी की कमी के कारण बालू तप रहा है. सरकार ने भी स्वीकार किया है कि राज्य में पानी का स्तर तीन से चार फुट नीचे चला गया है. इस संकट के बीच कृषि विभाग ने खरीफ की खेती की तैयारी शुरू कर दी है. लगभग एक माह के अंदर खरीफ फसलों की खेती शुरू होगी.
किसान धान की खेती के लिए बिचड़ा डालने का काम शुरू करेंगे, लेकिन किसानों को अभी से ही पानी की समस्या ने परेशानी में डाल दिया है. यदि प्रकृति ने साथ नहीं दिया तो किसानों की खेती चौपट होना तय है.
सिंचाई के लिए बनाये गये जलाशयों में पानी का पता नहीं है. पानी का स्तर न्यूनतम स्तर सें भी नीचे पहुंच चुका है. कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि मौसम विज्ञान विभाग के अनुमान के मुताबिक अच्छी बारिश होगी. यदि अच्छी बारिश नहीं हुई तो किसानों को खरीफ फसल की खेती किसानों के लिए महंगा सौदा साबित होगा. अधिकारी ने बताया कि राज्य में 41 लाख हेक्टेयर में खरीफ की खेती का लक्ष्य तय किया गया है. जिसमें सबसे अधिक धान की खेती 34 लाख हेक्टेयर, मक्का की खेती 4.75 लाख हेक्टेयर, अन्य मोटे अनाज की खेती 50 हजार हेक्टेयर, दलहन 1.75 लाख हेक्टेयर और तेलहन 20 हजार हेक्टेयर में खेती होगी.
खरीफ में 95.20 लाख टन 15.50 लाख टन मक्का, 50 हजार टन मोटे अनाज, 1.90 लाख टन दलहन और 20 हजार टन तेलहन समेत कुल 113.10 लाख टन उपज का लक्ष्य तय किया गया है.
इसके लिए व्यापक पैमाने पर सिंचाई की आवश्यकता होगी. वहीं खरीफ की खेती के लिए कई जिलों के जलाशयों में पानी न्यूनतम स्तर से भी नीचे (डेड स्टोरेज लेवल) पहुंच चुका है. सिंचाई विभाग से मिली सूचना के अनुसार भागलपुर, जमुई, बांका, मुंगेर, लखीसराय के 15 जलाशय योजनाओं में दो योजना को छोड़कर सभी जलाशयों में पानी न्यूनतम स्तर से भी नीचे पहुंच गया चला गया है. यानी इन 13 जलाशय योजनाओं से सिंचाई संभव नहीं हो सकेगा.
वहीं डिहरी, कैमूर, नवादा और औरंगाबाद के दो जलाशयों को छोड़ चार में पानी का डेड स्टोरेज लेवल से भी कम पानी है. दूसरी ओर इंद्रपुरी बराज के चीफ इंजीनियर रामेश्वर चौधरी ने कहा कि फिलहाल पानी की समस्या विकट है. 25 मई को इंद्रपुरी बराज से पानी किसानों के लिए दिया जाता है. पानी उपलब्ध रहा तो किसानाें के लिए छोड़ा जायेगा. हालांकि कोसी और गंडक से किसानों को पानी मिलने की उम्मीद है, लेकिन जिस तरह से गरमी का प्रकोप जारी रहा तो समस्या गंभीर होगी.
पटना : राज्य के कई जिलों में पानी के स्तर में तेजी से कमी आयी है. जिसमें रोहतास, नालंदा, औरंगाबाद, गया, लखीसराय, शेखपुरा, जमुई और कैमूर में पानी का स्ती तीन फीट से नीचे चला गया है. ऐसे जिलों मे कई जगहों पर लोगों को टैंकर से पानी पहुंचाने का निर्देश दिया गया है. आपदा प्रबंघन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार उत्तर बिहार के लगभग सभी जिलों सहित दक्षिण बिहार के अधिकांश जिलों में दो फुट से भी अधिक जल स्तर नीचे चला गया है.
माॅनसून समय पर नहीं आया तो पानी के स्तर में तेजी से कमी आने की आशंका बन गयी है. अधिकारी ने बताया कि ऐसे में राज्य के लोगों को सुखाड़ जैसे हालात का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि मौसम विज्ञान केंद्र ने सामान्य से अधिक बारिश की जानकारी दी है. यदि समय पर बारिश नहीं हुए तो पानी की समस्या और गहरायेगा. अधिकारी ने बताया कि दक्षिण बिहार के कई जिलों में 66 जगहों पर टैंकर से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है.
मंगलवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में क्राइशिश मैनेजमैंट ग्रुप की बैठक में भी पानी के स्तर में आ रही कमी पर चिंता व्यक्त किया गया. मुख्य सचिव ने पीएचइडी को सभी जिलों के वाटर टेबूल की जानकारी लेने का निर्देश दिया.

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