पटना : आजमीन-ए-हज का पहला जत्था चार अगस्त को गया से उड़ान भरेगा. इसको लेकर अब जिलों में प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो गया है. इसकी जानकारी वैसे लोगों को दी जाने लगी, जो हज के लिए जाने वाले हैं. इन सभी आजमीन-ए-हज को गया तक पहुंचाने की जिम्मेवारी भी हज कमेटी की है. इसको लेकर विशेष ट्रेनिंग करायी गयी है.
हज के लिए इसका रखें ख्याल
पासपोर्ट- हेल्थ सर्टिफिकेट
हज कमेटी की ओर से मिला कड़ा, जिस पर बैच नंबर होता है (यह कड़ा न तो टूट सकता है और न ही गल सकता है)
हज कमेटी की ओर से इश्यू आइकार्ड (इसके पीछे अपने साथ के पांच लोगों का नंबर जरूर लिखें)
हज कमेटी की ओर से मिला सिम. इसे आप मक्का पहुंच कर रिचार्ज करा लें.
प्लेन पर चढ़ते समय मिलने वाला 2100 रियाल.
क्या है एहराम के दौरान पाबंदी : आजमीन-ए-हज एहराम की हालत में न तो शिकार कर सकते हैं और न शिकारी की मदद कर सकते हैं. वे शिकार की तरफ इशारा भी नहीं कर सकते हैं. वे दरख्त, घास, पौधे नहीं काट सकते हैं. शरीर से पैदा होने वाले जीव जैसे जूं तक को नहीं मारना है.