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पटना-बक्सर फोर लेन जमीन में फंसा

बाधा : पांच साल से निर्माण का काम बाधित फोर लेन निर्माण के लिए 557 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है पटना : पांच साल से पटना-बक्सर फोर लेन का निर्माण कार्य ठप है. नौ महीना पूर्व आरा की एक सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया, तो लोगों को एक सड़क के बन […]

बाधा : पांच साल से निर्माण का काम बाधित
फोर लेन निर्माण के लिए 557 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है
पटना : पांच साल से पटना-बक्सर फोर लेन का निर्माण कार्य ठप है. नौ महीना पूर्व आरा की एक सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया, तो लोगों को एक सड़क के बन जाने की एक बार फिर उम्मीद जगी थी. लेकिन, इसके भी नौ माह बीत गये, जमीन के अभाव में काम अब तक शुरू नहीं हो सका है. फोर लेन बनाने के लिए 557 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है.
इनमें मात्र 20 फीसदी जमीन का भुगतान हो पाया है. जमीन नहीं मिलने के कारण ही फोरलेन बनाने के लिए वर्ष 2012 में चयनित एजेंसी गैमन इंडिया ने तीन साल बाद काम करने से अपना हाथ खींचा था. फोर लेन के बनाने में तरह-तरह की समस्याएं आयी हैं. पहले एलायनमेंट की समस्या को लेकर काम में बाधा आयी.
संबंधित इलाके के किसान पुराने एलायनमेंट की जगह नये एलायनमेंट पर काम कराने की जिद पर अड़े थे. अब जमीन के अभाव में इसका काम ठप है. पिछले पांच साल से सड़क निर्माण का काम बाधित है. एग्रीमेंट के अनुसार जमीन का मुआवजा ढाइ गुना लेकर भी किसान अपनी जमीन देने में आना-कानी कर रहे हैं. अब चार गुना मुआवजा की मांग कर रहे हैं.
फोर लेन निर्माण के लिए जमीन के मुआवजा को लेकर मामला फंसा है. फोर लेन प्रोजेक्ट के लिए जमीन मालिक से एग्रीमेंट के अनुसार ढाइ गुनी राशि का भुगतान हुआ. अब किसान चार गुना मुआवजा की मांग कर रहे हैं. एनएचएआइ के मुताबिक मुआवजा को लेकर बने एक्ट के अनुसार चार गुना राशि देना संभव नहीं है. इसके लिए एक्ट में संशोधन की जरूरत है, जो आसान नहीं है.
पूरे देश में उक्त एक्ट के अनुसार मुआवजा का भुगतान हो रहा है. केवल बिहार में नये आधार को मान कर चार गुना राशि की मांग हो रही है. एनएचएआइ द्वारा सर्किल रेट के अनुसार उसका चार गुना मुआवजा देने को तैयार है.
इस पर भी किसान जमीन देने को तैयार नहीं है. जानकारों का कहना है जहां 50 फीसदी से कम राशि का भुगतान हुआ है, वहां जमीन मालिक को चार गुना राशि का अब भुगतान करना होगा. एनएचएआइ के आधिकारिक सूत्र ने बताया कि पटना-बक्सर फोर लेन के लिए सड़क की चौड़ाई के लिए 60 मीटर जगह चाहिए, जबकिमात्र 30 मीटर जगह उपलब्ध है. इसके अलावा 557 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है. तीन पार्ट में बनने वाले फोर लेन में पटना से कोइलवर तक 165 हेक्टेयर, कोइलवर से भोजपुर तक 199 हेक्टेयर व भोजपुर से बक्सर तक 193 हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है, जबकि अलग-अलग पार्ट में मात्र 12 से 20 फीसदी जमीन मिली है.
पटना-बक्सर के बीच 125 किलोमीटर फोर लेन का निर्माण तीन पार्ट में होना है. पटना से कोइलवर पहले पार्ट के निर्माण के लिए हैदराबाद की कंपनी मधुकॉन व कोइलवर से भोजपुर व भोजपुर से बक्सर दूसरे व तीसरे पार्ट में संयुक्त रूप से दो कंपनी पीएनसी व एसपी सिंघला शामिल हैं.
फोर लेन के निर्माण में 1900 करोड़ खर्च अनुमानित है. इपीसी मोड में बननेवाले फोर लेन का काम ढाई साल में पूरा करना है. इसके बाद कंपनी को चार साल तक सड़क का मेंटेनेंस करना है. एनएचएआइ के आधिकारिक सूत्र ने बताया कि काॅन्ट्रैक्टर कैंप लगा कर काम करने को तैयार है, लेकिन जमीन के अभाव में काम ठप है.
जमीन अधिग्रहण के मामले में राज्य सरकार को दिलचस्पी लेने की जरूरत है. अगर मुआवजा के लिए कानून में संशोधन होता है तो इसका फायदा किसान को मिलेगा. तब तक राज्य सरकार को किसानों से जमीन दिलाने में सहयोग करना चाहिए.

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