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एक बोर्ड के स्कूल, क्लास में किताबें अलग-अलग

पटना: पटना के तमाम प्राइवेट स्कूल या तो सीबीएसइ बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं या आइसीएसइ बोर्ड से. नियम के अनुसार जिस बोर्ड से संबंधित जो भी स्कूल है, वहां पर उसी बोर्ड के मुताबिक सिलेबस चले. लेकिन ऐसा होता ही नहीं है. प्रभात खबर ने इस बारे में पड़ताल की तो पता चला कि […]

पटना: पटना के तमाम प्राइवेट स्कूल या तो सीबीएसइ बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं या आइसीएसइ बोर्ड से. नियम के अनुसार जिस बोर्ड से संबंधित जो भी स्कूल है, वहां पर उसी बोर्ड के मुताबिक सिलेबस चले. लेकिन ऐसा होता ही नहीं है. प्रभात खबर ने इस बारे में पड़ताल की तो पता चला कि सीबीएसइ बोर्ड के अलग-अलग स्कूलों में अलग-अलग किताबें चल रही हैं.

इसी तरह आइसीएसइ बोर्ड के अलग-अलग स्कूलों में भी अलग-अलग किताबें पढ़ायी जा रही हैं. इस पड़ताल में छठे क्लास पर फोकस किया गया है.
गणित की किताब कहीं 250 तो कहीं पर 300 रुपये में : क्लास छह के लिए गणित की किताब किसी स्कूल में 250 रुपये की है तो दूसरे स्कूल में 300 रुपये की. यह अंतर इसलिए है, क्योंकि ये किताबें अलग-अलग पल्बिकेशन की हैं. यही स्थिति विज्ञान की किताबों में भी है. क्लास छह के लिए एक स्कूल की विज्ञान की किताब 180 रुपये की है, तो दूसरे स्कूल की किताब 288 रुपये की है.
जितना फेमस स्कूल, उतनी बड़ी लूट : जो स्कूल जितना फेमस है, वहां पर उतनी ही ज्यादा लूट है. पुस्तक विक्रेता की मानें तो जो स्कूल अधिक फेमस है, वहां पर प्राइवेट पब्लिकेशन की पहुंच ज्यादा है. ऐसे स्कूल में एनसीइआरटी की किताबें नहीं के बराबर चल रही हैं. हर स्कूल ने अपनी बुक लिस्ट में केवल प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबों को ही शामिल किया है.

प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें चलाने के चक्कर में कई स्कूल तो एक ही सब्जेक्ट की तीन-तीन किताबें चला रहे हैं. एक फेमस स्कूल में क्लास छह में गणित के लिए मैथेमेटिक्स फॉर क्लास-6, हैंड अॉन मैथ और मैथेमेटिक्स नाम से तीन किताबें हैं. इसी तरह साइंस की भी तीन किताबें चलायी जाती हैं. एक साइंस, दूसरी साइंस फॉर क्लास-6 और तीसरी आवर वर्ल्ड देन एंड नाउ हैं.
200 प्राइवेट पब्लिकेशन : पटना में एनसीइआरटी के बुक मिले न मिले, लेकिन प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें आसानी से मिल जाती हैं. हर साल दस के लगभग नये प्राइवेट पब्लिकेशन स्कूल की लिस्ट में शामिल हो जाते हैं. अभी कुल 200 प्राइवेट पब्लिकेशन का कब्जा पटना के स्कूलों में है. हर स्कूल में अलग-अलग पब्लिकेशन की किताबें चलायी जाती हैं.

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