पटना: सरकारी अस्पतालों के लिए खरीदी जानेवाली दवाओं की जांच तीन निजी लेबोरेटरी में होगी. तीनों लैब एनएबीएल से मान्यता प्राप्त हैं. जांच में स्टैंडर्ड पाये जाने पर ही दवाओं का वितरण अस्पतालों में होगा. राज्य औषधि प्रशासन ने यह व्यवस्था तात्कालिक रूप से की है. बिहार राज्य औषधि प्रयोगशाला के पूर्णत: कार्यरत होने के बाद जांच पटना में होगी.
300 करोड़ की होती है खरीद : सरकारी अस्पतालों के लिए विभिन्न मदों में करीब 300 करोड़ रुपये की दवाएं खरीदी जाती हैं. इन दवाओं की खरीद अब बिहार आधारभूत संरचना निगम के माध्यम से होगी. आपूर्ति कंपनियों की जांच के बाद सभी दवाओं को राज्य के विभिन्न औषधि भंडारों में रखा जायेगा.
वहां से सभी बैच की दवाओं का सैंपल लेकर एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैब में भेजा जायेगा. जिन लैब के साथ एग्रीमेंट किया गया है, उनमें स्टैंडर्ड एनालिटिकल लेबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड,परपटगंज,नयी दिल्ली,आइटीएल लेबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड,मंगोलपुरी,नयी दिल्ली और पीआरके फार्मा एनालिस्ट प्राइवेट लिमिटेड, हिमायतनगर, हैदराबाद हैं. वैक्सिन व हार्मोन की जांच कसौली,हिमाचल प्रदेश में होगी. इसी तरह रक्त और रक्त उत्पादों की जांच के लिए एआइबी, नोएडा के साथ एग्रीमेंट हुआ है.
दो स्तरों पर होगी जांच : राज्य औषधि नियंत्रक हेमंत कुमार सिन्हा ने बताया कि सरकारी खरीद की दवाओं के अलावा जिन दवाओं की जांच पटना के लैब में नहीं होगी. उन दवाओं की जांच भी तीन निजी संस्थानों में होगी. सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति की गयी दवाओं के भंडार की जांच के बाद दोबारा जांच औषधि प्रशासन अपने स्तर से करायेगा. ऐसी दवाएं अस्पताल से सीधे लैब भेजी जायेंगी. दो स्तरों पर जांच से गुणवत्ता में होनेवाली गड़बड़ी का पता लगाया जा सकता है. सरकारी अस्पतालों को छोड़कर सूबे में सलाना 3500-4000 करोड़ की दवाओं का कारोबार होता है. उन्होंने कहा कि निजी संस्थानों में जांच की व्यवस्था कार्यकारी है. सरकारी लैब पूर्णत: कार्यरत होने पर वहां जांच करायी जायेगी.