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मांझी से होगी बात, कोई समस्या नहीं : मंगल

पटना : एनडीए के घटक दल अपने सहयोगी हम के नेता जीतन राम मांझी की बातों को सुनेगी. वैसे भाजपा के अनुसार न कोई समस्या है और न ही कोई कंफ्यूजन. भाजपा के प्रदेश नेतृत्व का कहना है कि राजग में सबकुछ ठीक है. समन्वय में कहीं कोई कमी नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री और हम […]

पटना : एनडीए के घटक दल अपने सहयोगी हम के नेता जीतन राम मांझी की बातों को सुनेगी. वैसे भाजपा के अनुसार न कोई समस्या है और न ही कोई कंफ्यूजन. भाजपा के प्रदेश नेतृत्व का कहना है कि राजग में सबकुछ ठीक है.
समन्वय में कहीं कोई कमी नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने शुक्रवार को भाजपा पर सहयोगियों की अनदेखी करने का अारोप लगाया और विकल्प खुला रहने की बात की. मांझी समय- समय पर अपना राग अलापते रहे हैं.
मांझी के राग से सूबे की सियासत अचानक गरमा गयी और भाजपा विरोधी दल उसपर पिल पड़े. इधर भाजपा नेतृत्व भी इस सोच में पड़ गया कि अचानक इस तरह की बात कहां से आयी. पार्टी का कहना है कि समन्वय में कहीं कोई कमी नहीं है.
विधानसभा के दोरान एनडीए विधायक दल की बैठक में सभी विधायक आते रहे. दो माह के भीतर एनडीए का दो कार्यक्रम आक्रोश मार्च और महिला मोरचा का धरना हुआ. पिछले महीने भाजपा कार्यालय में एनडीए की बैठक हुई, जिसमें सभी लोग आये थे. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय नेकहा कि हमारा सहयोगियों के साथ बेहतर समन्वय है. फिर भी कहां गलतफहमी है, इसको लेकर जीतनराम मांझी से बात करेंगे.
एक साथ मिल कर आंदोलन करे एनडीए : मांझी
पटना : पूर्व मुख्यमंत्री व हिंदुस्तानी अवाम मोरचा सेकुलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा है कि भाजपा-लोजपा-रालोसपा और हम चारों पार्टियां एनडीए के घटक दल हैं. एनडीए घटक दल में भाजपा बड़े भाई की भूमिका है.
भाजपा बाकि पार्टियों के साथ मिल कर आंदोलन का काम नहीं कर रही है. इसलिए मिलकर बातचीत की जायेगी. राज्य में कानून व्यवस्था हो या फिर कोई अन्य अनियमितता, अकेले-अकेले पार्टी अगर आंदोलन करेगी तो उसका उतना असर नहीं पड़ेगा, जितना चारों दलों के साथ करने पर पड़ेगा.
जीतन राम मांझी ने कहा कि पिछले दिनों हुए आंदोलन अगर एक साथ हुए होते तो उसका व्यापक असर पड़ता. एक मार्च को हम की महिला प्रकोष्ठ का राज्य स्तरीय सम्मेलन हुआ. इसमें करीब 10 हजार महिलाएं आयी, अगर भाजपा का साथ मिलता तो यह और व्यापक हो सकता था. राजबल्लभ यादव की गिरफ्तारी के लिए भी हमने अकेले आंदोलन किया.
किसान के मुद्दे पर, कानून व्यवस्था के सवाल पर भी अलग-अलग आंदोलन हो रहे हैं. बिहार विधानसभा के दौरान भी एक दिन भाजपा ने वाक आउट कर दिया और हम बैठे ही रह गये. इसके लिए एक दिन पहले रणनीति बनानी जाती को विधानसभा में विरोध अच्छे से किया जा सकता था. उन्होंने कहा कि जब एक घटक दल में हैं तो ऐसे आंदोलन मिल जुल कर होने चाहिए.

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