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80 लाख के फर्जीवाड़े की पुष्टि, दर्जन भर कर्मी फंसे
पटना : पटना में छात्रवृति घोटाले में 80 लाख रुपये के फर्जीवाड़े की पुष्टि हो चुकी है. 50 स्कूलों के विद्यार्थियों के तरक्की के सपने भ्रष्टाचारियों ने निगल लिए. पटना में शिक्षा, कल्याण विभाग और सरकारी बैंकों के कर्मचारियों के नेक्सस ने प्री मैट्रिक छात्रवृति की राशि में यह बड़ा घोटाला किया है. घोटाला सामने […]
पटना : पटना में छात्रवृति घोटाले में 80 लाख रुपये के फर्जीवाड़े की पुष्टि हो चुकी है. 50 स्कूलों के विद्यार्थियों के तरक्की के सपने भ्रष्टाचारियों ने निगल लिए. पटना में शिक्षा, कल्याण विभाग और सरकारी बैंकों के कर्मचारियों के नेक्सस ने प्री मैट्रिक छात्रवृति की राशि में यह बड़ा घोटाला किया है.
घोटाला सामने आने पर डीएम ने जांच कमेटी गठित की थी, जिसने प्रिमिलरी रिपोर्ट तैयार कर ली है. इसकी रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा और कल्याण विभाग के कर्मियों की मीलीभगत से घोटाला किया गया है. अब तक 80 लाख रुपये दूसरे व्यक्ति के खाते में भेज दी गयी है. ये सभी निजी लोगों के खाते हैं. एक दर्जन से ज्यादा कर्मचारियों पर इसकी गाज गिर सकती है.
वर्ष 14-15 की गड़बड़ी
यह गड़बड़ी उस वक्त की है जब 2014-15 में प्री मैट्रिक छात्रवृति की राशि स्कूलों की शिक्षा समिति के खाते में भेजी जाती थी. पटना के करीब 1150 मीडिल स्कूलों में छात्रवृति की राशि भेजी गयी थी. कहीं कोई मॉनिटरिंग की ही नहीं गयी. विभागीय कर्मियों ने अपना नेटवर्क बनाया और उन्होंने सरकारी पैसे भ्रष्टाचारियों के खाते में पहुंचा दिए. पहले दिन ही 15 लाख का घपला सामने आ गया और जांच में पटना के 50 से ज्यादा स्कूल ऐसे पाए गए है जिसमें बगैर जांच के राशि हस्तांतरित की गयी है.
क्या है योजना
प्री मैट्रिक छात्रवृति वर्ग एक से आठ और नौ से दस के विद्यार्थियों को दी जाती है. स्कूल के शिक्षा समिति के खाते में राशि भेजी जाती है. जहां से निकासी कर छात्रों के बीच वितरण किया जाता है. स्कूलों के खाते और कितनी जरूरत है, उसकी सूची शिक्षा कार्यालय कल्याण को भेजता है. इसी के आधार पर कल्याण कार्यालय बैंकों के माध्यम से स्कूल के खाते में राशि भेजता है. इसके बाद छात्र-छात्राओं को दी जाती है.
अब तक पटना में 15 लाख रुपये के फर्जीवाड़े की पुष्टि हो चुकी है. साईं स्कूल, धनरुआ को 6.50 लाख, बाढ़ के कंसाबिगहा मध्य विद्यालय को 4.35 लाख और रघुनाथपुर के उत्क्रमित मीडिल स्कूल को 4.92 लाख रुपया भेज दिया गया. दोनों स्कूल का कोई अस्तित्व नहीं है. इन स्कूलों के नाम पर भ्रष्टाचारियों के खाते में रुपया भेजा गया था.
कहां हुई चूक : इस पूरे प्रकरण में पहली चूक शिक्षा कार्यालय की दिखाई दे रही है. शिक्षा कार्यालय जो सूची बनाता है, उसको क्रास चेक नहीं करता है और कल्याण कार्यालय भी जहमत नहीं उठाता है कि देखें कि हम जो राशि भेज रहे हैं, उसका कौन कैसे प्रयोग कर रहा है. बैंकों की भी इसमें मिलिभगत है, क्योंकि खाता कैसे खोला गया, उसकी जांच बैंकोंने क्यों नहीं की?
पटना में कितने स्कूल?
प्राइमरी : 2183
मीडिल : 1156
हाइस्कूल : 243
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