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सलाखों के पीछे होली जश्न, जायके में फंसे वरदी वाले

दुष्कर्म मामले में आरोपित नवादा के िवधायक राजबल्लभ यादव की पार्टी पर मचा बवाल आज की क्राइम कथा में पढ़िए कानून के शिकंजे में जश्न की हकीकत. जब गंठजोड़ खद्दर और वरदी का हो, तो कानून के हाथ भी छोटे पड़ने लगते हैं. दायरे लांघे जाते हैं, नियमों की धज्जियां उड़ती हैं और कायम किया […]

दुष्कर्म मामले में आरोपित नवादा के िवधायक राजबल्लभ यादव की पार्टी पर मचा बवाल
आज की क्राइम कथा में पढ़िए कानून के शिकंजे में जश्न की हकीकत. जब गंठजोड़ खद्दर और वरदी का हो, तो कानून के हाथ भी छोटे पड़ने लगते हैं. दायरे लांघे जाते हैं, नियमों की धज्जियां उड़ती हैं और कायम किया जाता है रुतबा. कुछ ऐसा ही हुआ बिहारशरीफ कारागार में.
नाबालिग से दुष्कर्म के आराेपित नवादा के विधायक राजबल्लभ यादव ने होली उसी तरह से मनायी, जैसे जेल से बाहर रहकर मनाते हैं, रंग-गुलाल उड़े, बाहर से खानसामा आया और मटन का भोज हुआ. यह सब हुआ जेल के अंदर, पर जब पोल खुली तो जेल के साहब और उनके कारिदों पर कार्रवाई हुई. पढ़िए पूरे मामले की सच्चाई.
vijay12november@gmail.com
विजय सिंह
पटना : लाख पाबंदी हो, खाने-पीने के शौकीन हर जगह तरकीब ढूंढ़ लेते हैं. फिर चाहे थाना हो या जेल. एक खास शख्सियत जैसी पहचान है, तो रुतबा कायम रखना और आसान हो जाता है.
किस्से बहुत हैं वरदीधारी और पॉलिटिशयन की मिलीभगत के. इसी कड़ी का एक हिस्सा बना है बिहारशरीफ का मंडल कारा. नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित नवादा विधायक राजबल्लभ यादव की होली सलाखों के पीछे रहने के बाद भी फीकी नहीं पड़ी. दरबार भी लगा, रंग-गुलाल उड़े, भोज-भात भी चला, वह भी अपने अंदाज में. यह सब मुनासिब हुआ जेल अधिकारियों की रहमो-करम से. रहम विधायक जी के रुतबे पर हुआ है या फिर कुछ और बात थी, यह जांच का विषय है.
दाग ऐसा कि हो गये निलंबित : होली से पहले ऐसा दाग लगा कि विधायक राजबल्लभ यादव पार्टी से निलंबित हो गये, काफी दिनों तक अंडर ग्राउंड रहे. कुर्की-जब्ती का आदेश निकला. कुर्की भी हुई. इसके बाद विधायक को आत्मसमर्पण करना पड़ा. जेल गये तो चहेतों में मायूसी छा गयी. छीछालेदर हुआ, लेकिन विधायक के खास चेहरे आरोप को खारिज करते रहे.
डीआइजी शालीन की जांच रिपोर्ट, लड़की के बयान और अन्य साक्ष्यों के चलते विधायक छह फरवरी, 2016 के दुष्कर्म की घटना में घिर गये. थोड़ी देर ही सही, पर उन्हें सलाखों के पीछे जाना पड़ा. उन्हें बिहारशरीफ के मंडल कारा में रखा गया. वहां पर उनके सर्मथकों का आना जाना लगा रहा है. कारा के अधिकारियों की कृपा रही, इसलिए जेल में सुविधा पहुंचनी भी शुरू हो गयी. होली से पहले ऐसा माहौल बना कि विधायक के लिए जेल घर और उनके समर्थकों के लिए जेल का गेट विधायक के दरवाजे जैसा हो गया.
लकदक कुरते में लोग, रोज लग्जरी गाड़ी, भारी संख्या बल के साथ जेल के बाहर जमा होने लगे. इतने गंभीर आरोप के बावजूद यह रुतबा देख कर जेल अधीक्षक फिसल गये. मामला हाइप्रोफाइल था, इसलिए विधायक और उनके लोगों से सांठ-गांठ कर बैठे. होली के करीब आते ही जेल के अंदर भोज की तैयारी होने लगी. खास इंतजाम की बात चली. दो दिनों तक दावत का प्रोग्राम बना.
कैदियों के निवाले का बढ़ गया टेस्ट : सारी सेटिंग पक्की हो गयी. विधायक ने खर्च उठाने की हामी भरी. होली के पकवान के साथ मटन की दावत कराने का इरादा बनाया गया. विधायक के लोगों ने मटन खरीदने से लेकर बनाने के लिए कारीगर तक का इंतजाम किया. विधायक ने अंदर व्यवस्था बनायी और उनके समर्थकों ने बाहर से सब कुछ मैनेज किया.
दो दिन की दावत होनी तय हुई. 22 मार्च को जेल में सभी कैदियों को निमंत्रण मिला- इस बार विधायक जी का पकवान खाना है. इसी जेल में बंद सुलेखा और उसके घरवाले भी व्यवस्था को बेहतर बनाने में लगे रहे. जेल अधिकारियों की तरफ से छूट थी, इसलिए बेरोक-टोक सब जारी रहा. विधायक के पास नाबालिग लड़की को लाने की आरोपित सुलेखा भी इस दावत में शामिल हुई. शाम को पूरी-सब्जी और खीर की दावत हुई.
हालांकि सभी कैदियों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया, लेकिन ऐसे कैदियों की संख्या कम ही है. उन लोगों ने जेल का खाना खाया. अगले दिन 23 मार्च को जेल में मटन की दावत हुई. सभी ने रंग-गुलाल एक दूसरे को लगाये. यह सब जेल अधिकारियों की मौजूदगी और जानकारी में हुई. जेल अधीक्षक से लेकर कक्षपाल तक शामिल हो गये. जेल में रुतबे की जय-जय हुई और नियम-कानून की धज्जियां उड़ायी गयीं. विधायक भी खुश, कैदी भी खुश और विधायक जी के चहेते भी खुश.
जेल में छूट और रुतबे को बहाल करने वाले बने बलि का बकरा : जेल की चहारदिवारी में जो कुछ हुआ उसका राजफांस तो होना ही था. क्योंकि जो कुछ हुआ, जिस अंदाज में हुआ वह हजम होने वाला नहीं था.
मामला प्रकाश में आया और व्यवस्था को ध्वस्त करके जश्न की बनी सूरत अखबार की सुर्खियाें में छा गयी. जेल अधीक्षक आनंद किशोर ने इस मामले का संज्ञान लिया और बिहार शरीफ के डीएम को जांच का आदेश दिया. डीएम ने डीडीसी की अध्यक्षता में तीन सदस्यी जांच टीम गठित किया.
तो झूठ पर उतरे जेल एसपी : इस मामले की जांच बहुत ही कठिन थी. दरअसल जेल में जो कुछ सप्लाइ हुई थी, उसकी इंट्री कारा पंजी में नहीं हुई थी. ऑन पेपर कुछ भी नहीं था, लेकिन जब कड़ाई से पूछताछ हुई, तो साक्ष्य भी मिले और गवाह भी मिले. इस पर डीएम ने खुद जेल एसपी मोतीलाल से पूछताछ की. उनसे जब पूछा गया, तो उन्होंने मटन के बजाय चिकेन बनने की बात स्वीकार की. वह झूठ पर उतर गये. लेकिन 26 मार्च को जब जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, तो चार लोग दोषी पाये गये. इसमें जेल अधीक्षक मोतीलाल, सहायक अधीक्षक रामानंद पंडित, कक्षपाल रमेश कुमार, कक्षपाल राम लखन यादव को सस्पेंड कर दिया गया.
मतलब की कानून व्यवस्था हलाल कराने के आरोप में ये वरदीधारी बकरा बन गये. निलंबन के दौरान इनकी तैनाती क्रमश: मुख्यालय हाजीपुर मंडल कारा, किशनगंज कारा और दोनों कक्षपाल की मुख्यालय शहीद खुदी राम बोस केंद्रीय कारा मुजफ्फरपुर में की गयी.
तब जाकर जेल के अंदर की खुली पोल : जेल के अंदर जो कुछ हुआ, उसकी पोल केस ने खोल दी. प्रभावशाली लोगों और कैदियों को विशेष व्यवस्था मुहैया कराने का खेल उजागर हुआ. जेल में मोबाइल, सामान कितनी आसानी से अंदर चला जाता है और अधिकारी खास वजह से खामोश रहते हैं. फिलहाल इसमें जेल अफसरों की जम कर किरकिरी हुई है.

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