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रजत जयंती समारोह, आद्री बिहार का रेफरेंस इंस्टीट्यूट : नीतीश

पटना: एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीच्यूट (आद्री) के रजत जयंती समारोह में आयोजित पांच दिवसीय व्याख्यानमाला के उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री ने आद्री की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि आद्री एक रेफरेंस इंस्टीच्यूट हो गया है. बिहार के बारे में देश या फिर देश के बाहर की संस्था या कोई लोग जानना चाहते हैं, वे […]

पटना: एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीच्यूट (आद्री) के रजत जयंती समारोह में आयोजित पांच दिवसीय व्याख्यानमाला के उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री ने आद्री की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि आद्री एक रेफरेंस इंस्टीच्यूट हो गया है. बिहार के बारे में देश या फिर देश के बाहर की संस्था या कोई लोग जानना चाहते हैं, वे आद्री से ही संपर्क करते हैं. चुनाव के समय भी इनसे राय ली जाती है. सामाजिक व आर्थिक पहलू पर आद्री का विशेष योगदान रहा है. बिहार के विकास के लिए नीतियों के निर्माण में आद्री की महती भूमिका रही है और आगे भी रहेगी. आद्री से पिछले 10 सालों से वे लगातार सहयोग लेते रहे हैं.

10 साल से हर साल आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जा रहा है. आर्थिक सर्वेक्षण एक रिकॉर्ड होता है कि हम कहां है? आगे बढ़ रहे हैं या नहीं? कहां रुकावट आ रही है? इससे वस्तुस्थिति के बारे में पता चलता है. आद्री के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता हमेशा सब नेशनलिज्म और परमानेंट सेटलमेंट पर जोर देते हैं. कहते हैं बिहार में कमी है, अभाव है, बिहार के साथ न्याय नहीं हुआ है. आजादी से पहले और आजादी के बाद भी बिहार के साथ उपेक्षा हुई है. इसे लोगों के सामने आद्री ने पेश किया और आंकड़ों के साथ तथ्यों को रखा. इसलिए हमने बिहार को विषेश राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग की. इसके बाद केंद्र ने रघुराम राजन कमेटी बनी और शैबाल गुप्ता ने बिहार का प्रतिनिधित्व किया. इससे पहले फायनांस कमिशन को बिहार के सभी दलों की ओर से संयुक्त मेमोरेंडम दिया गया था, जिसे आद्री ने ही कोऑर्डिनेट किया था. आद्री ने अल्पसंख्यकों की स्थिति का अध्ययन किया है. सवर्ण के लिए आयोग बनाया और आद्री की ओर से सवर्णों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति का सर्वे कराया गया. जो रिपोर्ट आयी उसे सरकार ने और आयोग ने माना. हम आरक्षण की बात नहीं कर सकते हैं. संविधान में सामाजिक व शैक्षणिक आधार पर आधार है, आर्थिक आधार पर नहीं. मुख्यमंत्री आउट ऑफ स्कूल के बच्चों की स्थिति, पांचवीं के बच्चों के कोर्स करेक्शन, लड़कियों के लिए चल रही पोशाक-साइकिल की योजना, सेल्फ हेल्प ग्रुप की भी चर्चा की. उन्होंने प्रथम के प्रयास की सराहना की. इस तरह के आइडिया के लिए जरूरी है कि हर समय इसका अध्ययन हो, वस्तुपरक विश्लेषन हो कि किस क्षेत्र में क्या करना है, जिससे राज्य को व्यापक लाभ मिले. शैबाल गुप्ता जी हमेशा कहते हैं कि बिहारी में बिहारीपन जाग जायेगा तो वह बढ़िया हिंदुस्तानी होगा अौर देश व राज्य के विकास में योगदान देगा. उन्होंने सुझाव दिया कि आद्री लीडरशीप को प्रमोट करने की कोशिश की है, इसे और आगे बढ़ाये.

बिहार के विकास में आद्री की नीतियों के निर्माण में महती भूमिका रही है और आगे भी रहेगी. समारोह के अंत में आद्री की सुनिता लाल ने मुख्यमंत्री को प्रतीक चिह्न भेंट किया.
आर्थिक विकास व गरीबी उन्मूलन साथ-साथ चले : चौधरी
सम्मेलन में दूसरे दिन विधानसभाध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने कहा कि आर्थिक विकास की गति कैसे तेज हो, इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए, लेकिन गरीबी कैसे दूर हो, इसपर भी साथ- साथ काम होना चाहिए. लोकतांत्रिक सरकार को इस पर ध्यान देना होगा. विधानसभाध्यक्ष सेमिनार में मुख्य अतिथि पद से कास्ट इन द इंडियन इकोनोमी विषय पर सम्मेलन में बोल रहे थे. चौधरी ने कहा कि जाति एक सच्चाई है और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा प्रभाव है. पारंपरिक अार्थिक तंत्र में बदलाव की जरूरत है. कृषि क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाना होगा.औद्योगिकीकरण के जरिये गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को हम आगे बढ़ा सकते हैं. सेवा क्षेत्र में काफी संभावना बढ़ी है. चौधरी ने आद्री के प्रयास की सराहना की. आद्री जैसे संस्थानों की प्रासंगिकता है. सामाजिक, आर्थिक नीतियों के लिए शोध संस्थानों का महत्व है. ऐसे संस्थानों के शोध से लोक नीतियों के निर्माण में मदद मिलती है. शोध होते रहने चाहिए. लोकनीति के निर्माण में सरकार को मदद मिलेगी.
महिलाएं अब खुद संभाल रही हैं पंचायत
त्रिस्तरीय पंचायती राज में महिलाओं को आरक्षण का लाभ मिला है. कई जगहों पर अब मुखिया पति का काॅन्सेप्ट पुराना पड़ गया और अब महिलाएं खुद पंचायत की कामकाज संभाल रही हैं. जिन पंचायतों में महिला मुखिया हैं वहां अपराध की रिपोर्टिंग अधिक पायी गयी हैं. ऐसा इसलिए हुआ कि महिलाएं अपराध के विरोध में खुलकर आगे आयी. पहले ऐसे मामले गुम हो जाया करते थे. अब भी महिलाओं की संख्या राजनीति में बहुत कम है. राजनीतिक दल महिलाओं को टिकट देने से कतराते हैं. यदि किसी सीट पर महिला उम्मीदवार जीत भी जाती है तो उसका लाभ दूसरी महिलाओं को शायद ही मिल पाता है.
लक्ष्मी अय्यर, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर
नामांकन में तेजी, उपस्थिति उत्साहवर्धक नहीं
राज्य के स्कूलों में नामांकन में तेजी आयी है. इसके बावजूद बच्चों की उपस्थित चिंताजनक है. बिहार में पिछले दस साल में साक्षरता में उत्साहजनक वृद्धि हुई है. इसके बावजूद बचों में सीखने का स्तर अब भी चिंता का विषय बना हुआ है. प्राथमिक स्कूलों में गणित और कौशल विकास में वृद्धि के लिए सरकार को अनेक उपयोगी सुझाव दिये गये हैं. कई जिलों के स्कूलों की स्थिति ठीक नहीं बड़ी संख्या में स्कूलों में शौचालय नहीं है. पांचवीं के बच्चे दूसरे वर्ग का गणित नहीं बना सकता.
रुक्मिणी बनर्जी, प्रथम के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी
जाति अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है : मुंशी
कैंब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कैवान मुंशी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में जाति विषय पर अपने संबोधन में कहा कि भारत में जाति एक सच्चाई है इसे इनकार नहीं किया जा सकता. ग्रामीण भारत में जाति की बड़ी भूमिका है और यह अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है. विभिन्न जाति समूह व्यापार से जुड़े हुए थे. प्रो मुंशी ने कहा कि जाति आधारित शोषण, पूर्वाग्रह और भेदभाव का गंभीर नकारात्मक आर्थिक परिणाम हो सकते हैं, लेकिन इसके एक पक्ष को हम नकार नहीं सकते वह है जाति से सामाजिक जुड़ाव का जुड़ा होना. शोधार्थी इस ओर ध्यान नहीं देते हैं. अपने संबोधन में मुंशी ने कई तरह के उदाहरण और आंकड़ा दिया. जब बाजार पूर्ण रूप से काम नहीं कर पाता है तब जातियों का आंतरिक सहयोग आर्थिक गतिविधियों में सहयोग देता है. जाति संबंधी नेटवर्क ऐतिहासिक काल से ही है. इस समय से ही जाति समूह सदस्यों को रोजगार, कर्ज और बीमा उपलब्ध करा रहा है. जाति नेटवर्क बड़ा संबल प्रदान कर रहा है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ की और कहा कि बिहार को ट्रासफॉर्म करने में कामयाबी हासिल की है. साथ ही बिहार में विकास की नयी अवधारणा का जन्म दिया है.
लॉर्ड मेघनाथ देसाई
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ की और कहा कि बिहार को ट्रासफॉर्म करने में कामयाबी हासिल की है. साथ ही बिहार में विकास की नयी अवधारणा का जन्म दिया है.
लॉर्ड मेघनाथ देसाई
सामाजिक-आर्थिक मामलों पर हो रहा शोध : शैबाल
आद्री के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता ने उद्घाटन समारोह में राज्य व देश-विदेश से आये अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने आद्री के इतिहास और इसके द्वारा किये जा रहे कामों व उपलब्धियों की जानकारी दी. शैबाल गुप्ता ने कहा कि 25 सालों में आद्री ने राज्य व देश के स्तर पर कई शोध किये हैं. सामाजिक व आर्थिक रूप से रिसर्च किये गये हैं. बिहार के साथ-साथ झारखंड के रांची में भी आद्री का रिजनल सेंटर है. बिहार सरकार ने इकोनॉमी सर्वे का दायित्व भी आद्री को दिया है, जिसे वह 10 सालों से निभा रहा है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि 2005 से उन्होंने नया बेंचमार्क स्थापित किया है.
सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ नहीं पहुंच पाता है लाभार्थी तक
ड्यूक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मनोज मोहनन ने कहा कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी काम हुआ है. कई आंकड़ा देते हुए उन्होेंने कहा कि ग्रामीण बिहार में स्वास्थ्य देखरेख में टेलीमेडिसन और फ्रैंचाइजिग कायर्क्रम में कैसे फासला बना रह गया. ‘स्वास्थ्य संस्थाएं और सेवाएं विषय पर आइडीइनसइट के रोनाल्ड ने अपने शोध का निष्कर्ष प्रस्तुत किया. गर्भवती और महिलाओं, तथा बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए चलने वाली सूखा राशन और पका पूरक आहार देने की समेकित बाल विकास परियोजना का वास्तविक लाभ मात्रा 5 फीसदी से भी कम लाभार्थियों तक पहुंच पाया है. ऑक्सफोर्ड पाॅलिसी मैनेजमेंट की अपर्वा बामेजाई और महजबीन ज गमग ने ‘बिहार बाल समर्थन कायर्क्रम के सबक’ विषय पर अपनी प्रस्तुति में मातृ मृत्यु और बच्चों के कुपषण में कमी के लिए बिहार सरकार द्वारा गर्भवती और महिलाओं को नकद हस्तांतरण के एक पायलट कार्यक्रम पर अपने अध्यन के निष्कर्ष की विस्तार से चर्चा की.
उन्होंने नगद हस्तांतरण में बैंक-कर्मियों के असहयगी रवैये को लेकर चिंता जतायी.

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