पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता सह विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि भाजपा नेता सुशील मोदी राजनीति की परिपाटी बदलना चाहते हैं. अब तक ये परंपरा रही है कि केंद्र में या राज्य में सरकार द्वारा दिये गये भाषण को ही राष्ट्रपति या राज्यपाल पढ़ते रहे हैं, लेकिन वे बजट शुरू होने से पहले राजभवन मार्च करते हैं और राज्यपाल से अपील करते हैं कि अभिभाषण में विपक्ष की बातों को रखा जाए. उन्हें लग रहा है कि भाजपा खेमे के राज्यपाल हैं तो उनसे कुछ भी भाषण करवा देंगे.
वे राज्यपाल के भाजपा खेमे के होने का नाजायज फायदा उठा रहे हैं, जबकि इस अभिभाषण में कोई छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सुशील मोदी पंचायत चुनाव में आरक्षण बढ़ाने का खुद श्रेय ना लें. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पंचायत चुनाव में अतिपिछडों को आरक्षण दिया था.
सुशील मोदी को यदि ये लगता है कि पंचायत चुनाव में अतिपिछड़ों का आरक्षण बढ़ना चाहिए तो केंद्र में भाजपा की सरकार वो पूरे देश में अतिपिछडों को 30 फीसदी आरक्षण करा दें, बिहार में अपने आप लागू हो जाएगा. सुशील मोदी दोहरी नीति ना अपनाएं. अतिपिछडों के लिए घडियाली आंसू बहाते हैं और जब अपने पर आती है तो मुकर जाते हैं. असल बात है कि सुशील मोदी की हिम्मत केंद्र में कुछ भी कहने की नहीं है, तो वो बिहार में यूं ही बोलते रहते हैं.
संजय सिंह ने कहा कि सुशील मोदी ये कहते है कि सबसे ज्यादा दलित, पिछड़े, अतिपिछडों का आरक्षण भाजपा और जनसंघ ने किया. वे बताएं कि आखिर भाजपा बिहार में हार क्यों गयी, जब भाजपा के पास इन सभी समुदायों का वोट बैंक है तो फिर ये बुरी तरह से पराजित क्यों हो गये. सच यह है कि उनको और भाजपा को बिहार का एक भी समुदाय फूटी आंख देखना नहीं चाहता है.
जो चुनौती वो नीतीश कुमार को दे रहे हैं वो अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दे सकते हैं. सुशील मोदी प्रधानमंत्री को पत्र लिखे कि देश के हर राज्य में आरक्षण बढा कर 50 फीसदी होनी चाहिए. सिर्फ बिहार ही क्यों पूरा देश क्यों नहीं इस आरक्षण का लाभ उठाये.