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पेड़ के नीचे पढ़ने को विवश बच्चे
राज्य सरकार जहां शिक्षा के क्षेत्र में पानी की तरह रुपये बहा रही है और विद्यालय के प्रति बच्चों का आकर्षण बढ़ने व सारी सुविधा से सुसज्जित करने की बात तो करती है, लेकिन सरकार की नीति और नीयत में अंतर नजर आता है. कुछ ऐसा ही लचर रवैया शिक्षा विभाग का देखने को मिल […]
राज्य सरकार जहां शिक्षा के क्षेत्र में पानी की तरह रुपये बहा रही है और विद्यालय के प्रति बच्चों का आकर्षण बढ़ने व सारी सुविधा से सुसज्जित करने की बात तो करती है, लेकिन सरकार की नीति और नीयत में अंतर नजर आता है. कुछ ऐसा ही लचर रवैया शिक्षा विभाग का देखने को मिल रहा है. नौबतपुर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय के प्रति जहां पेड़ के नीचे बच्चे पढ़ने को विवश हैं. साथ ही बच्चों का मध्याह्न भोजन भी खुले आसमां के नीचे बनाने कि भी विवशता इस विद्यालय के सामने है, जो कभी भी बड़े हादसे का अंजाम दे सकता है.
इस विद्यालय का अब तक अपना कोई भवन नहीं हैं .मालूम हो कि राजधानी से 25 किमी पर बसे इस गांव के बच्चे पेड़ों के नीचे शिक्षा ग्रहण करने को विवश हैं. बीते 2008-9 में इस विद्यालय के भवन निर्माण के लिए 7,75000 रुपये आया, लेकिन पूर्व विद्यालय के सचिव और पूर्व प्रधानाध्यापक के आपसी मतभेद के कारण पैसा खर्च नहीं हो पाया.
भवन का काम तो कुछ हद तक पूरा हुआ है. वर्तमान प्रधानाध्यापक भीमसेन के मुताबिक जब उन्हें प्रभार दिया गया था. उस समय खर्च का ब्योरा तो नहीं दिया गया, लेकिन भवन का 5,75000 रुपये शेष थे.
इस संबंध में में प्रधानाध्यापक ने प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को जानकारी दिये और भवन बनाने के लिए लिखित मांग भी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान पटना से भी की.
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