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बिहार विधानसभा स्थापना दिवस : नीतीश ने दी विधायकों को नसीहत

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनप्रतिनिधि को उनके दायित्वों के निर्वहन को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए आज कहा कि सदन के सदस्यों को आम आदमी से जुड़ी समस्याओं को बेहतर तौर पर उठाना चाहिए. बिहार विधानसभा के स्थापना समारोह सह बिहार विधानमंडल के सदस्यों के प्रबोधन कार्यक्रम का आज उद्घाटन करते […]

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनप्रतिनिधि को उनके दायित्वों के निर्वहन को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए आज कहा कि सदन के सदस्यों को आम आदमी से जुड़ी समस्याओं को बेहतर तौर पर उठाना चाहिए. बिहार विधानसभा के स्थापना समारोह सह बिहार विधानमंडल के सदस्यों के प्रबोधन कार्यक्रम का आज उद्घाटन करते हुए नीतीश ने कहा कि यह दिन हमारे लिये गौरव का दिन है. 1921 में आज ही के दिन वर्तमान बिहार विधानमंडल परिसर में पहली बार बैठक का आयोजन किया गया था. इस बैठक में बिहार और उड़ीसा से निर्वाचित प्रतिनिधि हिस्सा लिये था.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार और बिहार विधानसभा का इतिहास गौरवशाली है. हमने बिहार के 100 साल पूरे होने पर भी जर्बदस्त कार्यक्रम का आयोजन किया था. उन्होंने संसदीय प्रणाली को सर्वश्रेष्ठ शासन प्रणाली बताते हुए कहा, ‘‘जनता अपने चुने हुए जनप्रतिनिधियों के माध्यम से शासन चलाती है. जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनती है और जिनके पास बहुमत होता है वह सरकार बनाते हैं. ऐसे में जनता के मन ही मुताबिक सरकार बनती है और उनके मन ही के मुताबिक सरकार चलती है.’ नीतीश ने कहा, ‘‘जनता ने जिन्हें अपना प्रतिनिधि बनने का अवसर दिया उसका उसने अगर सदुपयोग नहीं किया तो उसे अगले चुनाव में धूल चटा देती है.’ उन्होंने कहा कि संसदीय प्रणाली में जनता का शासन होता है और चुने हुए प्रतिनिधि के माध्यम से जनता अपनी बात रखती है और शासन चलाती है.

नीतीश ने कहा कि जिन्हें जनता ने चुना है उनकी अपने क्षेत्र के प्रति जवाबदेही तो है ही, लेकिन उसके साथ वह पूरे राज्य और पूरे देश के लिए चुना जाता है. इसलिए अपने क्षेत्र के साथ-साथ राज्य और देश के बारे में उन्हें सोचना है. उन्होंने कहा कि जनता अपने प्रतिनिधि से अपेक्षा रखती है कि उनके व्यवहार, आचरण और काम सही रहे और इससे वह अपने को गौरव महसूस करती हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इससे जो सदस्य पहली बार निर्वाचित होकर आये हैं उन्हें सीखने का पर्याप्त अवसर मिलेगा. उन्होंने कहा कि विधायक जिन्हें जनता चुनकर भेजती है, उन्हें प्रशिक्षण नहीं दिया जा सकता. इसलिये प्रबोधन का कार्यक्रम रखा गया है, जो दो दिन तक चलेगा. लोकसभा के पूर्व महासचिव एवं संविधान विशेषज्ञ जीसी मल्होत्रा आज सदस्यों को प्रश्नकाल एवं लोकमहत्व के मामले को सदन में उठाने की प्रक्रिया, संसदीय समितियों के अधिकार एवं कर्तव्य एवं संदर्भित जिज्ञासाओं का समाधान करेंगे तथा कल लोकसभा के पूर्व महासचिव एवं संविधान विशेषज्ञ डॉ सुभाष कश्यप विधानमंडल एवं उनके सदस्यों के विशेषाधिकार विषय से अवगत कराएंगे एवं सदस्यों के संदर्भित जिज्ञासाओं का समाधान करेंगे.

वर्ष 1985 में पहली बार अपने पैतृक जिले नालंदा के हरनौत विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए नीतीश उसके बाद पटना के बाढ और नालंदा लोकसभा क्षेत्र से छह बार सांसद रहे तथा वर्तमान कार्यकाल से लेकर तीन बार बिहार विधान परिषद के सदस्य मनोनीत हुए हैं. नीतीश पांचवी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं और इससे पूर्व केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल के दौरान रेल, कृषि और परिवहन मंत्री रहे थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन में अपनी बातों को रखने के लिये एक सामान्य प्रक्रिया होती है, जिसका अनुपालन करना होता है. सदस्यगण अपने क्षेत्र अथवा पूरे प्रदेश की समस्या को सदन में उठा सकते है. पूरक प्रश्न पूछने की भी व्यवस्था होती है, लेकिन यह प्रासंगिक होना चाहिये और जब भी अवसर मिले उसका सदुपयोग करना चाहिये.

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