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संतोष की हत्या के बाद दुर्गेश वसूलने लगा रंगदारी

संतोष की हत्या के बाद दुर्गेश वसूलने लगा रंगदारी संवाददाता, पटना वर्ष 2015 के फरवरी माह में मैनपुरा में संतोष सिंह की हत्या के बाद से ही दुर्गेश शर्मा गिरोह सक्रिय हो गया था. संतोष सिंह जब तक जिंदा था, उसकी या उसके गिरोह की एक नहीं चलती थी और मैनपुरा, बोरिंग केनाल रोड में […]

संतोष की हत्या के बाद दुर्गेश वसूलने लगा रंगदारी संवाददाता, पटना वर्ष 2015 के फरवरी माह में मैनपुरा में संतोष सिंह की हत्या के बाद से ही दुर्गेश शर्मा गिरोह सक्रिय हो गया था. संतोष सिंह जब तक जिंदा था, उसकी या उसके गिरोह की एक नहीं चलती थी और मैनपुरा, बोरिंग केनाल रोड में स्थिति सामान्य थी. संतोष के कारण उसकी रंगदारी नहीं चल रही थी. इसके साथ ही दुर्गेश शर्मा अपने गुरु बिरजू राय की हत्या का भी बदला लेना चाहता था. इस हत्याकांड में संतोष नामजद आराेपित था. इन्हीं कारणों से उसने खुद यदु उपाध्याय व लंगू मिराज के साथ मिल कर संतोष की हत्या कर दी थी और सात गोलियां मारी थीं. संतोष की मौत के बाद उसका विरोध करने वाला कोई नहीं रह गया था और फिर दुर्गेश के इशारे पर मैनपुरा, बोरिंग केनाल रोड, दुजरा आदि में छोटे दुकानदारों से लेकर बिल्डरों से भी रंगदारी वसूलने की धंधा शुरू हो गया. पकड़ा गया मुनचुन पहले मंदिरी के शंकर गोप के गिरोह में शामिल था, लेकिन बाद में दुर्गेश शर्मा के साथ काम करने लगा. इसके साथ ही सुमन व अखिलेश भी दुर्गेश के साथ हो गये. इसके पूर्व वह चांदीलाल, छोटका संतोषवा व सुल्तान मियां के साथ भी काम कर चुका था. पटना में हुए डॉ भरत सिंह अपहरण कांड में सुल्तान मियां के साथ ही इन सभी अपराधियों के नाम सुर्खियों में आये. बाद में पैसे के बंटवारे को लेकर चांदी लाल, छोटका संतोष व दुर्गेश शर्मा अलग हो गये और अपना-अपना गिरोह बना लिया. हालांकि बाद में सुल्तान मियां, चांदीलाल व छोटका संतोष अचानक ही गायब हो गये और केवल पुराने अपराधियों में दुर्गेश ही बचा है. इसी बीच उसकी दोस्ती सुमन, अखिलेश व शंकर गोप से हुई, लेकिन बिरजू राय की हत्या के बाद गिरोह में फिर अनबन हुई और शंकर गोप व दुर्गेश शर्मा अलग-अलग हो गये. शंकर गोप अभी जेल में बंद है. इसके बाद उसने राह में रोड़ा संतोष सिंह की हत्या की और फिर आराम से रंगदारी वसूलने लगा. अपराध की दुनिया में आने से पहले दुर्गेश शर्मा आरा में रहता था और वहां बैंक डकैती में उसका नाम आया. फिर वह पटना के मैनपुरा में अपनी ससुराल में आकर रहने लगा. इसी दौरान उसकी पटना के अपराधियों से सांठ-गांठ हुई.रंगदारी वसूलने के लिए अलग-अलग ग्रुपदुर्गेश शर्मा ने अपने ही गिरोह में दो ग्रुप बना लिये. इनमें से एक ग्रुप छोटे दुकानदारों से रंगदारी वसूलने के साथ ही किसी भी घटना को अंजाम देने के लिए तैयार रहते थे, जबकि दूसरा ग्रुप बड़े व्यवसायियों व बिल्डरों से रंगदारी की रकम वसूलता था. पिछले साल फरवरी से अब तक दुर्गेश शर्मा लाखों रुपये रंगदारी वसूल चुका है. लोग इतने सहमे हुए थे कि कोई भी प्राथमिकी दर्ज भी नहीं कराना चाहता था. पकड़े गये मुनचुन, गणेश छोटे दुकानदारेां से रंगदारी वसूलता था और पैसे विक्की के माध्यम से दुर्गेश तक पहुंचाये जाते थे.

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