21.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

वेतन रोकने के प्रस्ताव पर भड़के नगर आयुक्त, कहा प्रस्ताव एकदम अनैतिक

पटना: नगर निगम की स्थायी समिति की बैठक में मेरा वेतन रोकने से संबंधित प्रस्ताव पारित किया जाना एकदम अनैतिक है. नगरपालिका एक्ट में स्पष्ट उल्लेख है कि नगर आयुक्त या प्राइवेट व्यक्ति द्वारा भेजे गये प्रस्ताव पर स्थायी समिति में चर्चा की जाये. प्राइवेट व्यक्ति का प्रस्ताव निर्धारित बैठक से चार दिन पहले आता […]

पटना: नगर निगम की स्थायी समिति की बैठक में मेरा वेतन रोकने से संबंधित प्रस्ताव पारित किया जाना एकदम अनैतिक है. नगरपालिका एक्ट में स्पष्ट उल्लेख है कि नगर आयुक्त या प्राइवेट व्यक्ति द्वारा भेजे गये प्रस्ताव पर स्थायी समिति में चर्चा की जाये.

प्राइवेट व्यक्ति का प्रस्ताव निर्धारित बैठक से चार दिन पहले आता है, तो बैठक में शामिल किया जाता है. लेकिन, महापौर शायद एक्ट के प्रावधान नहीं देख सके. बैठक की कार्यवाही मेरे पास आती है, तो उस पर टिप्पणी कर अनैतिक प्रस्ताव पारित करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए विभाग को भेजेंगे. ये बातें नगर आयुक्त कुलदीप नारायण ने संवाददाता सम्मेलन में कहीं.

हम सही, क्यों डरेंगे
उन्होंने कहा, अगर हम सही हैं, तो पारदर्शिता से क्यों डरेंगे. बैठक की वीडियोग्राफी पर विवाद शुरू हुआ, तो आरोप लगाया गया कि 35 सौ रुपये की बंदरबांट की जा रही है. विवाद को खत्म करते हुए वीडियोग्राफी शुरू की गयी, तो मेयर साहब वीडियो के अनुरूप कार्यवाही क्यों नहीं बनाने दिये? वीडियो के अनुरूप कार्यवाही बनायी जाती है, तो मेयर साहब को आपत्ति लगने वाली बात को उससे हटा दिया जाता है. जबकि वीडियो में पूरा मामला स्पष्ट है. बैठक में प्रस्ताव या संलेख पर चर्चा के बदले एक ही मुद्दा होता है, नगर आयुक्त पर आरोप पर आरोप लगाते रहो. अगर इस आरोप का नगर आयुक्त जवाब देता है, तो उसे कार्यवाही में क्यों नहीं दर्ज किया जाता है? अगर नगर आयुक्त का जवाब दर्ज नहीं होता, तो किसका मंशा क्या है, स्पष्ट है. स्थायी समिति सदस्यों द्वारा जनहित का काम नहीं करने व योजना लंबित का आरोप लगाया गया, जो निराधार है. नगर आयुक्त ने कहा कि पिछले एक माह से 10 महत्वपूर्ण संलेख मेयर के पास पेडिंग हैं. इनमें दैनिक मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी से जुड़ा संलेख भी शामिल है. पिछले एक माह में कई बैठकें हुईं, तो संलेख क्यों नहीं लाया गया. इतना ही नहीं, गुरुवार को हुई बैठक में भी संलेख पर चर्चा नहीं की गयी. इससे स्पष्ट है कि नगर आयुक्त काम करना नहीं चाहते हैं या स्थायी समिति?

बनाया जाता है दबाव
नगर आयुक्त ने कहा कि स्थायी समिति अपना काम करे, मेयर साहब अपना काम करे और नगर आयुक्त अपना काम करे, तो कहीं कोई विवाद नहीं है. लेकिन, मेयर साहब उन कामों पर दबाव बनाना चाहते हैं जिन्हें हम करना नहीं चाहते हैं. मेरे द्वारा कोई भी गलत काम नहीं किया जाता है. अगर किसी को कोई शक है, तो नगर निगम में पदस्थापना काल हो या इससे पहले हमने जहां काम किया है, वहां की फाइल को खंगाल लें, पता चल जायेगा. निगम सचिवालय से दो कार्यवाही फर्जी तरीके से जारी की गयी है. इसकी तहकीकात की गयी, तो सचिवालय के लिपिक ने बताया कि महापौर ने रिसीविंग रजिस्टर की मांग की. इसके बाद रजिस्टर आया, तो फर्जी हस्ताक्षर कर कार्यवाही निकाली गयी. इसका जवाब कौन देगा?

क्या कहते हैं अधिवक्ता
हाइकोर्ट के अधिवक्ता शशि भूषण कुमार मंगलम ने बताया कि नगरपालिका एक्ट की धारा 22 में स्थायी समिति को कार्यपालिका का सभी अधिकार मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने भी धारा 22 का हवाला देते हुए कहा था कि केंद्र या राज्य सरकार की कैबिनेट के समान ही नगर निगम की स्थायी समिति है और यह निर्णय लेने में स्वतंत्र है. इसलिए गुरुवार को स्थायी समिति द्वारा लिये गये निर्णय बिल्कुल सही है. उन्होंने बताया कि नगर आयुक्त अपने अधीन काम नहीं करने के आरोप में दंडित कर सकते हैं, तो नगर आयुक्त के काम नहीं करने पर दंडित कौन करेंगे?

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें