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योजना: हैचरी व लेबोरेटरी पर खर्च होंगे 200 करोड़

पटना: राज्य सरकार मछली उत्पादन में आत्म निर्भर होने के लिए मछली पालकों को मदद करने की बड़ी योजना शुरू की है. जिसमें मछली पालकों को उत्तम मछली बीज के साथ-साथ उपकरणों की खरीद में मदद करेगी. मछली बीज देने के लिए राज्य भर में हैचरी और लेबोरेट्री स्थापित करने पर दो सौ करोड़ रुपये […]

पटना: राज्य सरकार मछली उत्पादन में आत्म निर्भर होने के लिए मछली पालकों को मदद करने की बड़ी योजना शुरू की है. जिसमें मछली पालकों को उत्तम मछली बीज के साथ-साथ उपकरणों की खरीद में मदद करेगी. मछली बीज देने के लिए राज्य भर में हैचरी और लेबोरेट्री स्थापित करने पर दो सौ करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे.

कम मछली उत्पादन के कारण राज्य में दूसरे राज्यों से मछली का आयात होता है. मछली आयात काे कम करने के लिए राज्य सरकार इस क्षेत्र में किसानों को नवीनतम सूचना देने, मछली उत्पादन में हर तरह के तकनीकी सहयोग के साथ-साथ विभिन्न मदों में सब्सिडी देने की योजना शुरू की है. मत्स्य पालन निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार अगले वित्तीय वर्ष में मछली उत्पादकों को उत्तम मछली जीरा उपलब्ध कराने के लिए व्यापक पैमाने पर हैचरी और लेबोरेट्री की स्थापना होगी. इस मद में निदेशालय ने दो सौ करोड़ रुपये खर्च करने का निर्णय लिया है.निदेशालय के अधिकारी ने बताया कि सरकार विभिन्न मदों में किसानों को तालाब खोदने, तालाब में पानी भरने, किसानों को मछली का जीरा देने के लिए हैचरी और तकनीकी सहयोग के लिए अनुमंडल स्तर पर मत्स्य अफसरों की तैनाती की योजना तैयार की है. इसे हरहाल में अगले वित्तीय वर्ष में कार्यरूप दिया जायेगा.

अधिकारी ने बताया कि सुखाड़ के कारण राज्य के तालाबों में पानी नहीं होने से मछली उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है.

अब राज्य सरकार तालाब खोदने और इसमें पानी भरने के लिए सोलर पंप, बोरिंग के साथ साथ बीमा की सुविधा देगी. पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि मछली उत्पादन में आत्म निर्भरता के लिए किसानों को सभी सुविधाएं दी जा रही है. इसके लिए पैसे की कोई कमी नहीं है. किसानों को तालबा, सोलर पंप आदि की खरीद पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बिहार जल्द ही मछली पालन के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनेगा.

मछली उत्पादन और खपत में है बड़ा अंतर

राज्य में भले ही नदी, मॉन, चौर, सालों भर जल जमाव वाले क्षेत्र, तालाब आदि के मामले में धनी हो, पर मछली उत्पादन के मामले में राज्य काफी पीछे है. राज्य में मछली का उत्पादन लगभग 2.61 लाख टन है, जबकि खपत 4.56 लाख टन है. मछली उत्पादन के लिए राज्य को एक सौ करोड़ मछली जीरा चाहिए, जबकि राज्य में उत्पादन मात्र 35 करोड़ जीरा हो रहा है.

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