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मंत्रीजी! कहां से आयेंगे एक्स्ट्रा टीचर

घाेषणा. शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने बोर्ड परीक्षा के लिए एक्स्ट्रा क्लास चलाने की कही बात नौवीं-दसवीं तथा 11वीं-12वीं में पहले से ही है शिक्षकों की कमी अनुपम कुमारी पटना : बोर्ड परीक्षार्थी परीक्षा में बेहतर कर सकें, इसके लिए शिक्षा मंत्री ने स्कूलों में एक्स्ट्रा क्लास कराने की घोषणा की. साथ ही इसे सख्ती […]

घाेषणा. शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने बोर्ड परीक्षा के लिए एक्स्ट्रा क्लास चलाने की कही बात
नौवीं-दसवीं तथा 11वीं-12वीं में पहले से ही है शिक्षकों की कमी
अनुपम कुमारी
पटना : बोर्ड परीक्षार्थी परीक्षा में बेहतर कर सकें, इसके लिए शिक्षा मंत्री ने स्कूलों में एक्स्ट्रा क्लास कराने की घोषणा की. साथ ही इसे सख्ती से लागू कराने का निर्देश भी अधिकारियों को दिया. शिक्षा विभाग ने इसके लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी को खास निर्देश भी दिया है.
पर, स्कूलों की स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है. न तो स्कूल में एक्स्ट्रा क्लास लेनेवाले शिक्षक हैं और न ही बच्चे, जिसे पढ़ाया जा सके. ऐसे में मंत्री जी ने स्कूलों की हकीकत जाने बिना ही एक्स्ट्रा क्लास कराने की घोषणा कर दी. गौरतलब है कि कई प्रतिष्ठित स्कूलों में नौवीं-दसवीं और 11वीं-12वीं के कुछ विषयों में शिक्षक ही नहीं हैं. इससे अधिकांश स्कूल माध्यमिक और प्लस टू शिक्षकों के ही सहारे चल रहे हैं. अब ऐसे में बच्चों के सेंटअप परीक्षा के बाद एक्स्ट्रा क्लासेस कराने के वादे को पूरा करने के लिए स्कूल प्रशासन शिक्षक लायें, तो लाये कहां से.
बच्चों की नहीं होती है उपस्थिति : शिक्षकों के कम रहने से स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति 50 फीसदी से भी कम रह गयी है. सेंटअप परीक्षा होने के बाद बच्चे स्कूलों में आना भी पसंद नहीं कर रहे हैं. कुछ बच्चे आते भी हैं, तो स्कूल में उन्हें एक-दो क्लास के बाद घर भेज दिया जाता है. बीएन काॅलेजियेट स्कूल में दसवीं में आठ-दस की संख्या में बच्चे आते हैं.
नहीं की जा रही मॉनीटरिंग : स्कूलों में एक्स्ट्रा क्लासेज की मॉनीटरिंग भी की जानी थी. इसकी जिम्मेवारी जिला शिक्षा पदाधिकारी को दी गयी है. लेकिन, वे स्कूलों की स्थिति से भलीभांति अवगत हैं. इससे अब तक उनके द्वारा एक भी स्कूल की जांच इस संबंध में नहीं की गयी है.
बॉटनी के शिक्षक पढ़ा रहे हैं कमेस्ट्री
राजकीय बालक उच्च माध्यमिक विद्यालय में कुल नामांकित बच्चों की संख्या एक हजार है, जबकि नौवीं-दसवीं के शिक्षकाें के स्वीकृत पद 24 हैं. लेकिन, इस विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों की संख्या मात्र तीन है.
अंगरेजी, गणित और सामाजिक विज्ञान के शिक्षक के सहारे ही इस वर्ष 106 बच्चे मैट्रिक का इम्तिहान देंगे. इन बच्चों का सिलेबस पूरा कराने के लिए प्लस टू के शिक्षक अंगरेजी वाले हिंदी और बॉटनी वाले केमेस्ट्री विषय को पढ़ा रहे हैं.हमारे स्कूल में शिक्षक की बहुत कमी है. दूसरे विषयों के शिक्षक के सहारे स्कूल चलाना पड़ रहा है. कई बार डीइओ से शिक्षकों की मांग की गयी है, जहां शिक्षकों की संख्या ज्यादा है.
अभय नाथ झा, प्राचार्य, राजकीय बालक उच्च माध्यमिक विद्यालय, शास्त्रीनगर
ज्यादातर स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, वहीं कुछ स्कूल में शिक्षक हैं भी, तो स्कूल की स्थिति ठीक नहीं है. इससे वहां बच्चों की उपस्थिति कम है. खास कर बच्चे सेंटअप के बाद नहीं आना चाहते हैं. कुछ स्कूलों में
एक्स्ट्रा क्लासेज सुचारू रूप से चल रहे हैं. एक्सट्रा क्लासेज नहीं चलनेवाले स्कूलों की जांच की जायेगी.
डॉ अशोक कुमार, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, पटना
स्कूल में एक्स्ट्रा क्लासेज की जानकारी दी गयी है. इसके लिए प्रतिदिन स्कूल आने के लिए कहा गया है, पर स्कूल आने के बाद पढ़ाई नहीं हो पाती है. कई विषयों में शिक्षक नहीं है़ं.
उत्कर्ष, छात्र, दसवीं
न ही शिक्षक हैं और न ही बच्चे स्कूल आते हैं. अगर कुछ बच्चे आ भी जाते हैं, तो उन्हें एक-दो घंटी ही पढ़ाई जाती है. ऐसे में एक्स्ट्रा क्लासेज का कोई मायने नहीं है. इससे अच्छा है कि घर में ही पढ़ाई करें.
अभिकर्ष, छात्र, दसवीं

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