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डीआरडीए को केंद्रीय सहायता न मिलने की बात गलत: मोदी

पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कपा है कि बिहार सरकार केंद्र सरकार पर बेबुनियाद दोषारोपण कर अपनी हर कमियों व खामियों से बचना चाह रही है. जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) कोे केंद्रीय अनुदान नहीं मिलने को लेकर सरकार गलतबयानी कर रही है. सच्चाई यह है कि वर्ष 2014–15 में राज्य के […]

पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कपा है कि बिहार सरकार केंद्र सरकार पर बेबुनियाद दोषारोपण कर अपनी हर कमियों व खामियों से बचना चाह रही है. जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) कोे केंद्रीय अनुदान नहीं मिलने को लेकर सरकार गलतबयानी कर रही है. सच्चाई यह है कि वर्ष 2014–15 में राज्य के 14 डीआरडीए ने अनुदान के लिए केंद्र सरकार के पास कोई प्रस्ताव ही नहीं भेजा वहीं 15 डीआरडीए के पास खर्च नहीं होने से ओपनिंग बैलेंस अत्यधिक होने के कारण नियमानुसार राशि जारी नहीं हो सकी.
वर्ष 2014–15 में जिला ग्रामीण विकास अभिकरणों को केंद्रीय अनुदान के तौर पर 13.22करोड़ रुपये पहली और दूसरी किस्त के तौर पर जारी किया गया था.
14 डीआरडीए ने पूर्व से प्राप्त राशि खर्च नहीं की जिसके कारण उनका ओपनिंग बैलेंस अत्यधिक होने के कारण नियमानुसार राशि जारी करना संभव नहीं हो सका।
वर्ष 2015–16 में 38 में से 35 डीआरडीए को पहली किस्त के तौर पर 7.30 करोड़ की राशि भेजी जा चुकी है. दूसरी किस्त के लिए मात्र 16 डीआरडीए ने अपना प्रस्ताव भेजा है.
इनमें से 10 के लिए 1.60 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी जा चुकी हैं जबकि 6 को अनुदान राशि स्वीकृत करने की प्रक्रिया चल रही है. इस साल अब तक प्रदेश के 22 डीआरडीए ने दूसरी किस्त के अनुदान के लिए कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है.
दरअसल बिहार सरकार अपनी कमियों को छुपा कर केन्द्र सरकार पर आरोप मढ़ रही है। अगर डीआरडीए कर्मियों के वेतन पर संकट छाया है तो इसके लिए समय पर अनुदान प्रस्ताव नहीं भेजने और पूर्व की राशि खर्च नहीं करने के लिए पूरी तरह से राज्य सरकार जिम्मेवार है।

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